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मंगलवार, 27 मार्च 2018

न जाने कहाँ !!!





















हम
क्षितिज हैं
जहाँ प्रेम का वहम है
मिलन की मरीचिका है
पर,
मिल रहे हैं
नज़्मों में उतर रहे हैं
ख्यालों की सड़क पर
एक दूसरे को थामे
चलते जा रहे हैं ...

न तुम हो
न मैं हूँ
ना ही है कोई ठोस सड़क
पर चल पड़े हैं  ... न जाने कहाँ !!!


3 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सूत्र सुन्दर प्रस्तुति।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

ब्‍लॉग आज भी सामयिक हैं, बस अब खरपतवार छंट गया है =D

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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