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रविवार, 15 जून 2014

फादर्स डे




फादर्स डे दुनिया के अधिकांश देशों में मनाया जाता है और इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। फादर्स डे परंपरा की शुरुआत करने का श्रेय अमेरिका में रहने वाली श्रीमती सोनोरा स्मार्ट डोड के संघर्ष को दिया जाता है। उन्हें इसकी प्रेरणा अपने पिता से मिली, जो अपने 6 बच्चों की परवरिश अकेले ही कर रहे थे। 1909 में सोनोरा के मन में यह विचार कौंधा कि जब मदर्स डे मनाया जा सकता है तो पिता को सम्मान देने के लिए फादर्स डे क्यों नहीं। यह ठीक है कि शुरू में उनके विचार का खंडन किया गया, लेकिन बाद में अपना लिया गया। सोनोरा फादर्स डे 5 जून को अपने पिता के जन्मदिन के दिन मनाना चाहती थी, लेकिन इसे जून के तीसरे संडे को मनाया जाना तय किया गया। पहला फादर्स डे 19 जून 1910 को आयोजित किया गया।

आज फादर्स डे है  … मेरी बड़ी बहन नीलम प्रभा की रचना इस दिन के नाम सबकी ओर से -

तेरे आशीषों की छाँव तले 
ये लता हर पल फूले फले 
…………… 
जीवन पात्र मेरा खाली रह जाता 
पिता के रूप में जो तुम्हें नहीं पाता 
ऊँचा आकाश है मंदिर ऊँचा 
पर कब हमने इनको है पूजा 
सरे किस्मत तेरे दर से उठे ना  ……। 

पिता एक स्तम्भ - जो वटवृक्ष की तरह जीवन में होता है, जिसके आगे हर तूफ़ान दिशा बदल लेते हैं  … 

पापा बस पापा - सोच का सृजन - Blogger

ताकि पापा न कहें कि "मैं हार गया !!"


इस लिंक के साथ फेसबुक के ख़ास पल पापा के नाम 


हम हमेशा से यह सुनते आए हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का होता है। परन्तु मुझे इस बात पर यकीन नहीं होता। पति-पत्नी के आपसी रिश्ते कैसे भी हों उन्हें सात ही जन्मों का ही माना जाता है। जब भी कोई स्त्री व्रत रखती हैं तो भी वह पति के साथ अपने सात जन्मों का ही साथ मांगती हैं। लेकिन किसी और रिश्ते में ऐसा क्यों नहीं है। जैसे बहन-भाई, माता-पिता और उनके बच्चों, चाहे उनमें कितना भी प्यार हो, ऐसी मान्यता क्यों नहीं है कि ये सभी रिश्ते भी सात जन्मों के लिए ही हों। यहां तक कि मां भी अपने बेटे-बेटी के लिए व्रत रखती पर उसमें सात जन्मों का साथ नहीं मांगती बल्कि उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि ही मांगती है।
-शशि

.....प्यारे पापा...


कितना खूबसूरत है इस दुनिया में पिता होना...!

रविवार, 16 जून 2013

कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

आज जून महीने का तीसरा रविवार है ... हर साल की तरह इस साल भी जून का यह तीसरा रविवार फदर्स डे  के रूप मे मनाया जा रहा है ... पर सिर्फ एक दिन पिता को समर्पित कर क्या हम सब उस के कर्ज़ से मुक्त हो सकते है ... यही है क्या वास्तव मे हमारा संतान धर्म ??? 

जागरण के छपी एक खबर के अनुसार कहने को तो हमारे देश में बुजुर्गो की बड़ी इज्जत है, मगर हकीकत यह है कि वे घर की चारदीवारियों के अंदर भी बेहद असुरक्षित हैं। 23 फीसदी मामलों में उन्हें अपने परिजनों के अत्याचार का शिकार होना पड़ रहा है। आठ फीसदी तो ऐसे हैं, जिन्हें परिवार वालों की पिटाई का रोज शिकार होना पड़ता है।
बुजुर्गो पर अत्याचार के लिहाज से देश के 24 शहरों में तमिलनाडु का मदुरई सबसे ऊपर पाया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश का कानपुर दूसरे नंबर पर है। गैर सरकारी संगठन हेल्प एज इंडिया की ओर से कराए गए इस अध्ययन में 23 फीसदी बुजुर्गो को अत्याचार का शिकार पाया गया। सबसे ज्यादा मामलों में बुजुर्गो को उनकी बहू सताती है। 39 फीसद मामलों में बुजुर्गो ने अपनी बदहाली के लिए बहुओं को जिम्मेदार माना है।
बूढ़े मां-बाप पर अत्याचार के मामले में बेटे भी ज्यादा पीछे नहीं। 38 फीसदी मामलों में उन्हें दोषी पाया गया। मदुरई में 63 फीसदी और कानपुर के 60 फीसदी बुजुर्ग अत्याचार का शिकार हो रहे हैं। अत्याचार का शिकार होने वालों में से 79 फीसदी के मुताबिक, उन्हें लगातार अपमानित किया जाता है। 76 फीसदी को अक्सर बिना बात के गालियां सुनने को मिलती हैं।
69 फीसदी की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया जाता। यहां तक कि 39 फीसदी बुजुर्ग पिटाई का शिकार होते हैं। अत्याचार का शिकार होने वाले बुजुर्गो में 35 फीसदी ऐसे हैं, जिन्हें लगभग रोजाना परिजनों की पिटाई का शिकार होना पड़ता है। हेल्प एज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू चेरियन कहते हैं कि इसके लिए बचपन से ही बुजुर्गो के प्रति संवेदनशील बनाए जाने की जरूरत है। साथ ही बुजुर्गो को आर्थिक रूप से सबल बनाने के विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा।

आज के दिन इन खबरों के बीच याद आती है स्व॰ ओम व्यास 'ओम' जी की यह कविता ...   



पापा हार गए…


रात-ठण्ड की

बिस्तर पर

पड़ी रजाईयों को अखाडा बनाता

मेरा छोटा बेटा पांच बरस का |

अक्सर कहता है -

पापा ! ढिशुम-ढिशुम खेले ?

और उसकी नन्ही मुठ्ठियों के वार से मै गिर पड़ता हूँ … धडाम

वह खिलखिला कर खुश हो कर कहता है .... ओ पापा हार गए |

तब मुझे

बेटे से हारने का सुख महसूस होता है |

आज, मेरा वो बेटा जवान हो कर ,

ऑफिस से लौटता है, फिर

बहू की शिकायत पर, मुझे फटकारता है

मुझ पर खीजता है,

तब मै विवश हो कर मौन हो जाता हूँ

अब मै बेटे से हारने का सुख नहीं,

जीवन से हारने का दुःख अनुभूत करता हूँ

सच तो ये है कि

मै हर एक झिडकी पर तिल तिल मरता हूँ |

बेटा फिर भी जीत जाता है,

समय अपना गीत गाता है …

मुन्ना बड़ा प्यारा, आँखों का दुलारा

कोई कहे चाँद कोई आँखों का तारा

- स्व॰ ओम व्यास ‘ओम’

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 आज के दिन आइये एक संकल्प लें कि हमारे रहते कभी पापा को यह नहीं कहना पड़ेगा कि................. "मैं हार गया !"
आप सभी को पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऎँ !!
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सादर आपका 
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बलद बेचना है?????

आठ मास का आदि और फ़ादर्स डे....



ओ मेरे पिता !

गर्मी छुट्टी डायरिज़ में हैप्पी फ़ादर्स डे

क्या करूँ समर्पित

पितृ-सत्तात्मक समाज में फादर्स डे

पिता

पितृ दिवस पर कुछ कवितायेँ .......

आज पिता सम्मान पा रहे हैं...........यशोदा

बस महज इतना ही योगदान है क्या पिता का?

आशीषों तक पापा !!

ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू ...

सुदृढ़ बाहें ...... ( पितृदिवस पर कुछ हाइकु )

पापा

मेरे पापा

विश्व वयोवृद्ध दुर्व्यवहार विरोध दिवस !

प्यार: पापा का

फादर डे स्पेशल

बरगद से बाबूजी

मेरे पापा को तो बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा है!

नए जमाने के डैडी

 

पापा जैसा कोई नही --फादर्स डे पर

 

पापा ---------


पितृ दिवस


पापा, मैं, कार्तिक और फादर'स डे


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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

लेखागार