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रविवार, 11 मई 2014

ब्लॉग बुलेटिन - मेरे पास माँ है


पिछले साल गुजरात की बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये. मगर गर्मी से राहत भी मिली. एक शाम हम लोग अपने घर की बालकनी में बैठे सड़क का नज़ारा देख रहे थे. रिमझिम बरसता पानी और सड़क पर कमर तक पानी का जमाव. लोग अपनी स्कूटी पर पानी में तैरते हुये भाग रहे थे. तभी हमने देखा कि गायों का एक झुण्ड सामने वाले रास्ते से आया और पानी से बचने के लिये कोई आसरा खोजने लगा.

थोड़ी दूर पर एक मकान के सामने बने टिन के शेड के नीचे जगह भी थी और वहाँ बारिश का पानी भी नहीं गिर रहा था. सारी गायें उसी ओर लपक लीं. इसी भागदौड़ में गाय का एक बछड़ा पीछे रह गया और अपने झुण्ड से अलग हो गया. जैसे ही उसे अपने अकेलेपन का एहसास हुआ, उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई, माँsssss!! और ताज्जुब की बात यह थी कि शेड तक पहुँच चुकी गायों ने वो पुकार सुनी और तुरत पलटकर तीन चार गायें उस बछड़े तक पहुँचीं.

और इसके बाद जो दृश्य दिखाई दिया उसे देखकर बस हाथ उठाकर उस परमात्मा का धन्यवाद करने का जी चाहा. चारो गायों ने उस बछड़े को दो-दो की कतार में घेर लिया और सड़क पर बहते हुये पानी के बहाव से सम्भालती हुई उस शेड तक ले गयीं. बछड़े की आँखों से घबराहट ग़ायब हो चुकी थी और शेड में पहुँचते ही बाकी की गायें उसे घेरकर उसका हाल पूछने लगी थीं. चार माँओं के उस बेटे ने पता नहीं अपने शौर्य की कौन सी दास्तान सुनाई, लेकिन मुझे माता के इस स्वरूप को देखकर परमात्मा के साक्षात दर्शन हुए.

एक बछड़ा और उसकी चार-चार माएँ. यह सिफत ईश्वर ने सिर्फ उसी शख्स को बख्शी है जिसे माँ कहते हैं. किसी का भी बच्चा पड़ोस में रोये तो कोई भी माँ चैन से नहीं सो पाती. मातृ दिवस पर तमाम माताओं को मेरा नमन.

ऑफिस में समाचार पत्र “राजस्थान पत्रिका” के परिशिष्ट में एक बड़ी सुन्दर कविता और एक बहुत ही सुन्दर कॉलम दिखाई दिया.

कविता कवि जगदीश व्योम की:

माँ कबीर की साखी जैसी, तुलसी की चौपाई सी,
माँ मीरा की पदावलि सी, माँ है ललित रूबाई सी,
माँ वेदों की मूल चेतना, माँ गीता की वाणी सी,
माँ त्रिपिटक के सिद्ध सूक्त सी, लोकोत्तर कल्याणी सी,
माँ द्वारे की तुलसी जैसी, माँ बरगद की छाया सी,
माँ कविता की सहज वेदना, महाकाव्य की काया-सी!!


अब वो सुन्दर सा कॉलम जो कहता है कि माँ को अपनी संतान के विषय में सब पता होता है. लेकिन संतान को कितना पता होता है अपनी माँ के बारे में. आप बताइये और आनन्द लीजिये कुछ चुनी हुई पुरानी पोस्ट्स का, जिनमें माँ के अनगिनत रूप दिखाई देंगे आपको.

आपकी माँ का नाम        आपकी माँ की ऊँचाई और वज़न
माँ का पसन्दीदा रंग        माँ का पसन्दीदा खाना
माँ हमेशा कहती है         माँ सबसे अच्छा पकाती है
माँ हँसती है, जब          ख़ाली समय में क्या करती है
माँ को वाक़ई पसन्द है     माँ से प्यार करता/करती हूँ क्योंकि

जवाब दीजिये और मेरी ओर से “मातृ दिवस” पर माँ तुझे सलाम...!!

                                                  - सलिल वर्मा 




















और एक रूप यह भी माँ से विदा लेने का

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