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गुरुवार, 7 मार्च 2019

नकलीपने का खेल : ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
अपने आपको तीसमारखां समझने वाला एक नेता टाइप युवक अपने समर्थकों सहित घूमते हुए एक गाँव जा पहुँचा. समर्थकों पर अपना प्रभाव जमाने के लिए उसने कहा कि देखो अभी सिद्ध करके बताता हूँ कि गाँव के लोग बेवकूफ होते हैं. ऐसा कह कर वह गाँव में बनी एक दुकान पर जा पहुँचा. दुकान में एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे. उस युवक ने उनको पैंतीस रुपये का एक नोट देते हुए कहा कि बाबा जरा इसके खुले पैसे दे दो. 

बुजुर्ग नोट देखकर बोले, बेटा ये नोट तो नकली है. पैंतीस रुपये का कोई नोट होता ही नहीं है.

तब वह युवक बड़े ही घमंड में बोला, बाबा ये पैंतीस रुपये का नोट अभी शहर वालों के लिए आया है. गाँव तक आने में समय लगेगा.

बुजुर्ग ने सहमति में सिर्फ हिलाया और फिर अपनी संदूकची से कुछ नोट निकाल कर उस युवक को दिए.

युवक ने देखा कि बुजुर्ग द्वारा दिए गए रुपयों में एक सत्तरह रुपये का और एक अठारह रुपये का नोट है. उसने कहा, बाबा ये क्या? एक सत्तरह का और एक अठारह का, ये तो नकली हैं.

बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा, नहीं बेटा ये नकली नहीं. सरकार ने अभी ये गाँव वालों के लिए ही छपवाए हैं. शहर तक आने में समय लगेगा.



सोच सकते है कि उस युवक की क्या हालत हुई होगी अपने समर्थकों के बीच. मगर समर्थक तो समर्थक ही होते हैं. वे फिर भी उसके साथ हँसते-मुस्कुराते, उसके नारे लगाते आगे बढ़ गए. ऐसा ही कुछ आजकल समाज में हो रहा है. सब अपने-अपने नकलीपने को समाज में चलाने में लगे हैं. दूसरों को आरोपित करने में लगे हैं. और हाँ, सबके समर्थक बस नारेबाजी में मगन हैं, खुश हैं.

आइये हम सब भी खुश हों, आज की बुलेटिन के साथ, यह नकली नहीं, गाँव-शहर सबके लिए एक जैसी है.

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शनिवार, 17 अगस्त 2013

शनिवार बड़ा मज़ेदार

प्रिये मित्रों प्रणाम,

लो जी आज फिर आ गया शनिवार का दिवस | तो क्या कहते हैं करने चलें कलयुगी शनिदेव को प्रसन्न ? सप्ताह का अंतिम दिवस है और सबसे चहेता भी | इस दिन लोगों में उत्साह भरपूर होता है | कल फिर रविवार है तो फ़िक्र कैसी | आज तो जम के मस्ती करते हैं और कल घोड़े-गधे सब बेच कर पलंग तोड़ते हैं | शनिवार का इंतज़ार हफ्ते के पहले दिन सोमवार से रहता है | अनगिनत योजनायें बनाई जाती हैं आज के दिन के लिए जैसे कोई फिल्म देखने जायेगा, कोई माशूका से मिलके आएगा, कोई दारू में डूब जायेगा तो कोई टीवी में घुस जायेगा...कुछ खान पान के शौक़ीन हैं तो कुछ परिवार संग मस्ती में लीन हैं | 

आज के दिन लोग शनि मंदिर भी जाते हैं | साढ़े-साती दूर भगाने के लिए जनाब शनिदेव को मनाते हैं | अगर शनि देव मान गए तो बल्ले बल्ले नहीं तो भाई फिरते रहो लेकर उनकी कुदृष्टि का बोझ कल्ले-कल्ले | कुछ लोग तो बजरंगबली को भी प्रसाद चढ़ाते हैं | वैसे तो ये भी कहा जाता है के जो बजरंगबली के भक्त होते हैं उनसे शनि देव ज़रा दूर ही रहते हैं | वाह! पुराने लोगों ने बड़ी ही मजेदार बातें कहीं हैं और तर्क के साथ सटीकता भी हैं | हर बात के पीछे प्रमाण होता है | मानो शनिदेव पाकिस्तान हो गए और अपने हनुमान जी हिन्दुस्तान | जहाँ पड़ी पाकिस्तान की बुरी नज़र हिन्दुस्तानी जनता पर निकल पड़े पवनपुत्र बेड़ा पार करने अपने भक्त का |

मेरा तो ऐसा मानना है के इस देश में सभी वर्ग, मान्यता और सोच के लोग हैं | आस्तिक-नास्तिक, अमीर गरीब, छोटे बड़े आदि पर सबसे अच्छी बात यह है कि ज़्यादातर लोगों को शनिवार के दिन का उपयोग छुट्टी मनाने के लिए करने मैं अत्यंत आनंद आता है | मुझे ऐसा लगता है के हम युवाओं को छुट्टी मानाने की जगह कुछ सामाजिक कार्यों में भागीदारी करनी चाहियें और जनता की मदद करनी चाहियें | अपने अपने गली मोहल्ले और क्षेत्र में किसी न किसी छोटे बड़े मुद्दे पर काम करना चाहियें | परेशानियों को देखना चाहियें | सरकारी  योजनाओं को समझ कर उनका लाभ जनता को दिलवाना चाहियें | ज़रुरात्मंदो की ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहियें | अन्याय से लड़ना चाहियें | गरीबों की मदद करनी चाहियें | समाज का कल्याण करना चाहियें | सिर्फ सोने या छुट्टी मनाने से देश आगे नहीं बढ़ेगा | देश में विकास करने के लिए जागरूक हो कर युवा को ही कदम आगे बढ़ाना होगा | 

तो मेरी सिर्फ इतनी गुज़ारिश है कि सामाजिक कल्याण में अपना योगदान देने के बारे में ज़रूर सोचें | लोगों के विकास से देश का विकास संभव है | कुछ सकारात्मक करने से शनिदेव और बजरंगबली दोनों ही प्रसन्न होंगे और उनकी अनुकम्पा सभी पर बरसती रहेगी | इस विषय में कृपया सोचें और .... आज के शनिवार का आनंद उठायें | 

आज की कड़ियाँ 
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अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार

जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 



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