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बुधवार, 21 मार्च 2018

हमेशा परफॉरमेंस देखी जाती है पोज़िशन नहीं

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक बार एक पादरी मर गया। जब वो स्वर्ग के वेटिंग लाइन में खडा था उनके आगे एक काला चश्मा, जींस, लेदर जैकेट पहन कर एक लडका खडा था।

धरम राज लडके से: कौन हो तुम?

लड़का: मैं एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर हूँ।

धरम राज: ये लो सोने की शाल और अंदर आ आकर गोल्डन रूम ले लो।

धरम राज पादरी से: तुम कौन हो?

पादरी: मैं पादरी हूँ और 40 सालों से लोगों को भगवान के बारे में बताया करता था।

धरम राज: ये लो सूती वस्त्र और अंदर आ जाओ।

पादरी: प्रभु, ये गलत है ये तेज गति से गाड़ी चलाने वाले को सोने की शाल और जिसने पूरा जीवन भगवान का ज्ञान दिया उसे सूती वस्त्र। ऐसा क्यों?

धरम राज: परिणाम मेरे बच्चे परिणाम... जब तुम ज्ञान देते थे सभी भक्त सोते रहते थे लेकिन जब यह आटो रिक्शा तेज चलाता था तब लोग सच्चे मन से भगवान को याद करते थे।

हमेशा परफॉरमेंस देखी जाती है पोज़िशन नहीं।

सादर आपका

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7 टिप्पणियाँ:

Sadhana Vaid ने कहा…

सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज के बुलेटिन में ! मेरी रचना 'आक्रोश' को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शिवम् जी !

कतरब्योंत ने कहा…

thanks bhai

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहतरीन रचनाएँ अच्छी सामयिक बुलेटिन प्रस्तुति !!

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

सोहेल कापड़िया ने कहा…

सच है हम भले ही पोजीशन से प्रभावित हो , पर ऊपरवाले के दरबार मे निश्चित ही काम ही देखा जाएगा ।

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

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