नमस्कार साथियो,
अरे हुजूर, वाह
ताज बोलिए, ये वाक्य आप सभी को आज भी याद होगा. घुंघराले
हुए, उलझे से बाल लिए एक व्यक्ति बिजली की तेजी से तबले पर अपनी उँगलियों के
द्वारा मनोहारी धुन निकालता दिखता है. उसी बीच वाह उस्ताद वाह! के
जवाब में वह व्यक्ति चाय का एक घूँट लेने के बाद यही वाक्य बोलता है. वो व्यक्ति
और कोई नहीं बल्कि मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन हैं. उनका जन्म आज यानि कि 9
मार्च 1951 को हुआ था. वे मशहूर तबला वादक क़ुरैशी अल्ला रक्खा ख़ान के पुत्र हैं.
ज़ाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में ही बीता. महज 12 साल की उम्र में ही उन्होंने तबले
के साथ संगत बैठाना शुरू कर दिया था. कॉलेज की शिक्षा के बाद वे खुद को कला के क्षेत्र
में स्थापित करने में जुट गए. सन 1973 में उनका पहला एलबम लिविंग इन द मैटेरियल
वर्ल्ड आया. उसके बाद तो उन्होंने रुकने का नाम नहीं लिया. उन्होंने अपने तबले
की धुनें दुनिया भर में बिखेर दीं. इसी कारण वे भारत के साथ-साथ विश्व के विभिन्न हिस्सों
में भी लोकप्रिय हैं.
उनकी कला प्रतिभा के
चलते उनको पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है. सन 1988
में जब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया तब उनकी उम्र महज 37 वर्ष थी. इतनी
कम उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले वे पहले व्यक्ति हैं. इसके बाद सन 2002 में संगीत
के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया. इसके
अतिरिक्त उनको सन 1992 और सन 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रैमी
अवार्ड भी मिल चुका है.
आज उनके जन्मदिन पर
उनको शुभकामनायें.
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3 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
https://mayankkvita.blogspot.in/2018/03/blog-post_9.html
खूबसूरत प्रस्तुति.. मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए आपका आभार..
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