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रविवार, 25 मार्च 2018

जीतकर भी अवसाद से मुक्ति नहीं मिलती ...




कोई बात करते हुए
उंगलियों को तोड़ता मरोड़ता है
कोई गले से अजीब सी आवाज़ निकालता है
कोई आंखों की पुतलियों से हरकतें करता है 
कोई कंधे उचकाता है
...
गलत आदत !
काम्प्लेक्स !
.. जाने क्या क्या हम कह देते हैं !
आदत और काम्प्लेक्स के अलावे
यह आत्मविश्वास की कमी भी तो हो सकती है 
और यह एक गंभीर बात है !
आत्मविश्वास के आगे 
कोई दुर्घटना हो सकती है
कोई भी 
जिससे बचपन
युवावस्था, वृद्धावस्था 
अत्यधिक प्रभावित हो 
और हम ताल ठोककर कहते जाएं 
"अरे हीनभावना से भरा हुआ आदमी है"
!!!
जहाँ तक मेरी सोच जाती है
मेरा अनुभव है 
हीनभावना से भरा व्यक्ति
बहुत खतरनाक होता है
वह चीजों को जानबूझकर तोड़ता है 
रिश्ते बिगाड़ता है
अप्रासंगिक,अचानक 
लड़ने, 
और बहस करने के मुद्दे उठाता है  
....
लेकिन आत्मविश्वास की कमी 
भीड़ में अकेला बनाती है 
अकेलेपन में भयभीत करती है 
लोगों के अट्टाहास में घबराहट देती है 

जीतकर भी अवसाद से मुक्ति नहीं मिलती  ... 

तो - किसी में ऐसा कुछ नज़र आए तो उसका मज़ाक न उड़ाएँ !


आखिर में रामनवमी के विशेष दिन पर 

5 टिप्पणियाँ:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

फेसबुक की तीनों पोस्ट मिलकर एक ब्लॉग पोस्ट बना दिया। आप चाहें तो अब इसका लिंक दे सकती हैं। सादर।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

यह आत्मविश्वास की कमी ही लगती है मुझे भी।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सहमत। सुन्दर बुलेटिन। रामनवमी शुभ हो।

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

रजनीश तिवारी ने कहा…

मुझे यहाँ शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद

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