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गुरुवार, 1 मार्च 2018

बुरा न मानो, होली है




अब कोई अशिक्षित नहीं 
हर विषय के ज्ञानी हैं सब 
....... मैं अपनी अज्ञानता लिए किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ। 

ख़ैर चलिए, वक़्त गुलाल लिए होलिका दहन की कहानी सुना रहा है, और फिर लगाएगा रंग,गुलाल आत्मीयता के सबके चेहरे पर, और कहेगा हँसकर 
बुरा न मानो, होली है 




#लप्रेक
#30_फरवरी
••••••••••••••••
"मैं रोज रोज की किच किच से तंग आ गयी हूँ। घर में आते ही तुम शुरू हो जाते हो। दोस्तों के साथ कुछ भी हो, गुस्सा आकर मेरे ऊपर उतारते हो। आज होली है फिर भी तुमको तो बस मुझसे झगड़ना है।"
अंजलि ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। आज पहली बार वह इतने जोरों से शुभम् के ऊपर चिल्ला रही थी। आज कई दिनों का गुस्सा और खीज वह शुभम् के ऊपर उतार देना चाहती थी। शुभम् ने कभी सोचा भी नहीं था अंजलि इस तरह बोल सकती है। वह अचानक हुए अंजलि के वाणी के इस प्रहार से सकते में आ गया।
शुभम् कुछ बोलता उससे पहले अंजलि एक बार फिर बोल पड़ी,
"शुभम्! रोज रोज अच्छा लगता है क्या ये सब? जब देखो तब तुम झगड़ा ही करते रहते हो।"
"हाँ हाँ मैं रोज रोज झगड़ा करता हूँ। चलो तुम ही कोई एक तारीख बता दो जिस दिन मैं झगड़ा करूँ।"
शुभम् दाँत पीसते हुए बोला।
"30 फरवरी"
अंजलि ने बड़ी मासूमियत से कहा।
एक पल को कमरे में सन्नाटा छा गया। लेकिन जैसे ही शुभम् को समझ आया। उसकी हंसी छूट गयी। उसने अंजलि को गोद में उठा लिया और उसके माथे पर प्यार की मोहर लगाता हुआ बोला,
"हैप्पी होली अंजलि"
अंजलि आज शुभम् के प्यार के रंग से अंदर तक सराबोर हो गयी थी।

खोल कर
रात की दराज़
निकाल कर
सपनों की दो गोली
चलो गटक लें 
एक गिलास
नींद के साथ

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4 टिप्पणियाँ:

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़िया दी।सभी को होली की बधाई।

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!

Alkasrivastava168 ने कहा…

बहुत बढ़िया..👍

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

इसमें बुरा क्या मानना ! शुभकामनाएं स्वीकारें

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