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दांडी मार्च से अभिप्राय उस पैदल यात्रा से है, जो महात्मा गाँधी और उनके स्वयं सेवकों द्वारा 12 मार्च, 1930 ई. को प्रारम्भ की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था- "अंग्रेज़ों द्वारा बनाये गए 'नमक क़ानून को तोड़ना'।" गाँधी जी ने अपने 78 स्वयं सेवकों, जिनमें वेब मिलर भी एक था, के साथ साबरमती आश्रम से 358 कि.मी. दूर स्थित दांडी के लिए प्रस्थान किया। लगभग 24 दिन बाद 6 अप्रैल, 1930 ई. को दांडी पहुँचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक क़ानून को तोड़ा। महात्मा गाँधी ने दांडी यात्रा के दौरान सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया था। यहाँ से कराडी और दांडी की यात्रा पूरी की थी। नवसारी से दांडी का फासला लगभग 13 मील का है।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
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आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
6 टिप्पणियाँ:
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, हर्षवर्धन।
बेहतरीन अल्फ़ाज़ सारयुक्त चर्चा, सार्थक मंच... शुक्रिया हमें बुलाने का... आभार के साथ विदा।
बढ़िया चर्चा। दांडी यात्रा के बारे में बताने के लिए धन्यवाद।उम्दा बुलेटिन। मेरी रचना आपने शामिल की इसके लिए आभार प्रगट करती हूँ।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति......बहुत बहुत बधाई......
बढ़िया रहा संकलन
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