नमस्कार
साथियो,
आज,
15 मार्च को उस महिला की पुण्यतिथि है, जिसने तमाम रूढ़ियों
को, अमान्य परम्पराओं को तोड़ते हुए इतिहास रचा था. ऐसा उन्होंने उस समय किया था
जबकि हमारा देश आज़ाद भी नहीं हुआ था. सन 1936 में पहली बार
किसी भारतीय महिला ने हवाई जहाज उड़ाया था. जी हाँ, अपने आपमें आश्चर्य का विषय
इसलिए भी है क्योंकि तब आज की तरह स्त्री-विमर्श, नारी-सशक्तिकरण चारों तरफ गूँज
नहीं रहा था. तब सरकारी अथवा गैर-सरकारी संस्था द्वारा बेटियों को बचाने, उनके
सशक्तिकरण के कार्य भी नहीं किये जा रहे थे. गुलामी की जंजीरों में जकड़े भारत में
ऐसा जीवट का काम करने वाली वह सम्मानीय महिला थी सरला ठकराल. पहली बार भारतीय
महिला द्वारा हवाई जहाज उड़ाए जाने के साथ-साथ कुछ और आश्चर्य भी जुड़े थे, वो ये कि
सरला ठकराल ने साड़ी पहन कर हवाई जहाज़ उड़ाने का गौरव हासिल किया था. उस समय वह चार
साल की एक बेटी की मां भी थीं.
सरला
ठकराल का जन्म सन 1914 में नई दिल्ली में हुआ था. उन्होंने 1929 में दिल्ली में फ़्लाइंग क्लब में विमान चलाने का प्रशिक्षण लेकर एक हज़ार
घंटे का अनुभव भी प्राप्त किया. दिल्ली के फ़्लाइंग क्लब में ही उनकी मुलाकात पी०डी०
शर्मा से हुई, जिनके साथ बाद में उनका विवाह भी हुआ. उनके पति ने ही उन्हें व्यावसायिक
विमान चालक बनने को प्रोत्साहन दिया. इससे प्रोत्साहित होकर सरला जोधपुर फ्लाइंग क्लब
में ट्रेनिंग लेने लगी. इसके बाद सन 1936 में वह ऐतिहासिक पल
आ गया जो स्वर्णाक्षरों में आज भी अंकित है. महज 22 साल की सरला
ठकराल ने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया, आँखों पर चश्मा चढ़ाया और जिप्सी मॉथ नामक
दो सीटों वाले विमान को अकेले ही आकाश में ले उड़ीं. तत्कालीन समय में विमान उड़ाना
बहुत बड़ी बात समझी जाती थी. इस तरह सरला ठकराल भारत की पहली महिला विमान चालक बनीं.
सन
1939 में ही एक विमान दुर्घटना में उनके पति का देहांत हो
गया. इसी दौरान द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ जाने से जोधपुर क्लब बंद हो गया. सरला ठकराल
के माता-पिता ने उनका दूसरा विवाह कर दिया और वे विभाजन के बाद लाहौर से दिल्ली आ गईं.
दिल्ली आकार उन्होंने पेंटिंग शुरू की, बाद में वे कपड़े और गहने डिज़ाइन करने लगीं.
इस क्षेत्र में भी वे खासी सफल रहीं. अपने जीवन में सफलताओं के कई आयाम छूने वाली सरला
ठकराल का 15 मार्च 2008 को निधन हो गया.
उनका जीवन प्रेरणा, साहस और आत्मविश्वास की एक अनूठी कहानी है. उनकी ज़िन्दगी का संघर्ष
और उसके बाद मिली सफलता महिलाओं के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेगी.
ऐसी
साहसी और आत्मविश्वास की धनी महिला को बुलेटिन परिवार की तरफ से श्रद्धासुमन
अर्पित हैं.
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3 टिप्पणियाँ:
सरला ठकराल जी को सादर नमन |
बेहतरीन रचनाएँ और महत्त्वपूर्ण जानकारी ।
आदरणीय बहुत बहुत आभार
महत्त्वपूर्ण जानकारी
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