प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज ९ जुलाई है ... आज का दिन समर्पित है हिन्दी सिने जगत के दो दिग्गज कलाकारों के नाम ... गुरु दत्त साहब और संजीव कुमार साहब | संयोग से आज इन दोनों की ही जयंती है |
अपनी बेजोड़ अदाकारी के दम पर इन दोनों की अभिनेताओं ने हिन्दी सिने जगत में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया |
लोग आज भी इन दोनों अभिनेताओं की अभिनय क्षमता की मिसालें देते नहीं थकते| आइये जानते हैं इन के बारे में ...
प्रणाम |
आज ९ जुलाई है ... आज का दिन समर्पित है हिन्दी सिने जगत के दो दिग्गज कलाकारों के नाम ... गुरु दत्त साहब और संजीव कुमार साहब | संयोग से आज इन दोनों की ही जयंती है |
अपनी बेजोड़ अदाकारी के दम पर इन दोनों की अभिनेताओं ने हिन्दी सिने जगत में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया |
लोग आज भी इन दोनों अभिनेताओं की अभिनय क्षमता की मिसालें देते नहीं थकते| आइये जानते हैं इन के बारे में ...
गुरु दत्त (वास्तविक नाम: वसन्त कुमार शिवशंकर पादुकोणे,
जन्म: 9 जुलाई, 1925 बैंगलौर, निधन: 10 अक्टूबर, 1964 बम्बई) हिन्दी
फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता,निर्देशक एवं फ़िल्म निर्माता थे। उन्होंने
1950वें और 1960वें दशक में कई उत्कृष्ट फ़िल्में बनाईं जैसे प्यासा,कागज़
के फूल,साहिब बीबी और ग़ुलाम और चौदहवीं का चाँद। विशेष रूप से, प्यासा और
काग़ज़ के फूल को टाइम पत्रिका के 100 सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों की सूचि में
शामिल किया गया है और साइट एन्ड साउंड आलोचकों और निर्देशकों के सर्वेक्षण
द्वारा, दत्त खुद भी सबसे बड़े फ़िल्म निर्देशकों की सूचि में शामिल हैं।
उन्हें कभी कभी "भारत का ऑर्सन वेल्स" (Orson Welles) भी कहा जाता है।
2010 में, उनका नाम सीएनएन के "सर्व श्रेष्ठ 25 एशियाई अभिनेताओं" के सूचि
में भी शामिल किया गया।
गुरु दत्त 1950वें दशक के लोकप्रिय सिनेमा के प्रसंग में, काव्यात्मक और
कलात्मक फ़िल्मों के व्यावसायिक चलन को विकसित करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
उनकी फ़िल्मों को जर्मनी, फ्रांस और जापान में अब भी प्रकाशित करने पर
सराहा जाता है।
10 अक्टूबर
1964 की सुबह को गुरु दत्त पेढर रोड बॉम्बे में अपने बेड रूम में मृत पाये
गये। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने पहले खूब शराब पी उसके बाद ढेर सारी नींद
की गोलियाँ खा लीं। यही दुर्घटना उनकी मौत का कारण बनी। इससे पूर्व भी
उन्होंने दो बार आत्महत्या का प्रयास किया था। आखिरकार तीसरे प्रयास ने उनकी जान ले ली।
संजीव कुमार (मूल नाम : हरीभाई जरीवाला; जन्म: 9 जुलाई 1938, मृत्यु: 6 नवम्बर 1985) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। उनका पूरा नाम हरीभाई जरीवाला था। वे मूल रूप से गुजराती
थे। इस महान कलाकार का नाम फ़िल्मजगत की आकाशगंगा में एक ऐसे धुव्रतारे की
तरह याद किया जाता है जिनके बेमिसाल अभिनय से सुसज्जित फ़िल्मों की रोशनी
से बॉलीवुड हमेशा जगमगाता रहेगा। उन्होंने नया दिन नयी रात फ़िल्म में नौ रोल किये थे। कोशिश फ़िल्म में उन्होंने गूँगे बहरे व्यक्ति का शानदार अभिनय किया था। शोले फ़िल्म में ठाकुर का चरित्र उनके अभिनय से अमर हो गया।
उन्हें श्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार के अलावा
फ़िल्मफ़ेयर क सर्वश्रेष्ठ अभिनेता व सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार
दिया गया। वे आजीवन कुँवारे रहे और मात्र 47 वर्ष की आयु में सन् 1984 में
हृदय गति रुक जाने से बम्बई में उनकी मृत्यु हो गयी। 1960 से 1984 तक पूरे
पच्चीस साल तक वे लगातार फ़िल्मों में सक्रिय रहे।
उन्हें उनके शिष्ट व्यवहार व विशिष्ट अभिनय शैली के लिये फ़िल्मजगत में हमेशा याद किया जायेगा।
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से इन दोनों महान कलाकारों को शत शत नमन |
सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~
मेरी पहली रचना
राग बोती ग़ज़ल
संजीव कुमार: इस मोड़ से जाते हैं....!
जो न मिल सके वही बेवफा, ये बड़ी अजीब सी बात है
कार्टून :- जेल में मर्डर
परदे न हों तो दीप जलाते नहीं ... सुनो ...
ईश्वरीय प्रतिमान .......
क्रिकेट के कुछ अजीबो-गरीब नियम !
दरदी बंधु
तुम्हारी नज़र में दिल्ली क्या है ?
गुरु दत्त साहब की ९३ वीं जयंती
~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
6 टिप्पणियाँ:
दो दिग्गजों को याद करने और याद दिलाने का शुक्रिया...! नमन फ़िल्मी दुनिया के इन दो मील के पत्थरों को!
दोनों ही मेरे प्रिय कलाकार हैं .
सुन्दर प्रस्तुति हमेशा की तरह।
बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
आप सब का बहुत बहुत आभार।
ब्लॉग बुलेटिन पर मेरी ग़ज़ल का लिंक देने के लिए बहुत शुक्रिया शिवम् जी ।
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