एक पुरुष
शरीर की मांग के लिए,
विकृत चाह के लिए,
किसी भी तबके की स्त्री के साथ हो सकता है,
वह स्त्री पागल ही क्यूँ न हो,
मरणासन्न ही क्यूँ न हो ...
सहज, विनम्र, सुसंस्कृत, संयमी पुरुष
बहुत कम होते हैं ।...
एक स्त्री,
प्रेम के नाम पर किसी भी पुरुष के साथ चल सकती है,
वह गरीब हो, अपाहिज हो,
मृत्युशय्या पर ही क्यूँ न हो...
एक स्त्री ,
समर्पण कर सकती है,
कुछ लेने के लिए
किसी भी स्तर पर नहीं उतर सकती,
व्यवहारिक स्त्रियाँ बहुत कम होती हैं !!!
...लेकिन,
वक़्त बदल गया है,
स्त्रियाँ अति व्यवहारिक हो गई हैं,
किसी के साथ नहीं चल सकती अब,
पूरे हिसाब-किताब के साथ रिश्ते बनाती हैं,
बहुत व्यवहारिक चाह हो गई है उनकी,
तथाकथित प्यार से पहले वह जानना चाहती है,
घर,गाड़ी, बैंक बैलेंस ...
.....
अब हीर होने से ज्यादा,
अमीर हो जाना चाहती हैं स्त्रियाँ ।
(अपवाद हर जगह है )
4 टिप्पणियाँ:
घड़ियाँ तो वही हैं समय बदल रहा है कहते हैं। सुन्दर प्रस्तुति।
बदलते हुए समय के साथ लोग बदलते हैं, वस्तुओं के प्रति उनका नजरिया बदलता है..लेकिन प्रेम और शांति की तलाश कभी समाप्त नहीं होती..
बदलते वक्त के साथ बदल रहे हैं सभी क्या स्त्री क्या पुरुष ...........बहुत शानदार बुलेटिन ........हार्दिक आभार
बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
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