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गुरुवार, 22 नवंबर 2018

एहसासों के दीप जलाना, अच्छा है पर कभी-कभी - ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार दोस्तो,
एक स्व-रचित रचना के साथ आज की बुलेटिन. आशा है कि दोनों पसंद आयेंगे आपको.
+
एहसासों के दीप जलाना, अच्छा है पर कभी-कभी
बीते लम्हे याद दिलाना, अच्छा है पर कभी-कभी.

शब्द तुम्हारे जादू जैसे, सम्मोहित कर जाते हैं,
दिल को बातों से बहलाना, अच्छा है पर कभी-कभी.

चाँद सितारे, फ़ूल और कलियाँ, तुमको घेरे रहते हैं,
हमें छोड़ सबसे मिल आना, अच्छा है पर कभी-कभी.

जो पल गुज़रे संग में तेरे, यादें बन कर महक रहे,
यादों में आँखें भर आना, अच्छा है पर कभी-कभी.


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2 टिप्पणियाँ:

Digvijay Agrawal ने कहा…

शुभ संध्या...
बेहतरीन रचनाओं का संगम
सादर...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति।

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