नमस्कार दोस्तो,
आज एक कविता, स्व-रचित दोस्तों के नाम
समर्पित....
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मुझ पर दोस्तों का प्यार,
यूँ ही उधार रहने दो।
बड़ा हसीन है ये कर्ज़,
मुझे कर्ज़दार रहने दो।
वो आँखें छलकती थीं,
ग़म में ख़ुशी में मेरे लिए।
उन आँखों में सदा,
प्यार बेशुमार रहने दो।
मौसम लाख बदलते रहें,
आएँ भले बसंत-पतझड़।
मेरे यार को जीवन भर,
यूँ ही सदाबहार रहने दो।
महज़ दोस्ती नहीं ये,
बगिया है विश्वास की।
प्यार, स्नेह के फूलों से,
इसे गुलज़ार रहने दो।
वो मस्ती, वो शरारतें,
न तुम भूलो, न हम भूलें।
उम्र बढ़ती है ख़ूब बढ़े,
जवाँ ये किरदार रहने दो।
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5 टिप्पणियाँ:
सुन्दर कविता बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति।
बेहतरीन रचना
लाजवाब बुलेटिन
सादर
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति👌
आपकी लाजवाब रचना का जवाब नहीं ...
ये बुलेटिन भी जोरदार है ... आभार मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए ...
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