प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
पत्नी ने पति को मैसेज भेजा: ऑफिस से वापिस आते हुए सब्जियां लाना मत भूलना और हाँ, सविता आपको नमस्ते कह रही है!
पति: ये सविता कौन है?
पत्नी: कोई भी नही, मैं तो बस पक्का कर रही थी कि आपने मेरा मैसेज पूरा पढ़ा कि नही?
कहानी में ट्विस्ट...
पति: लेकिन मैं तो खुद सविता के ही साथ हूँ! तुम किस सविता की बात कर रही हो?
कहानी में ट्विस्ट...
पति: लेकिन मैं तो खुद सविता के ही साथ हूँ! तुम किस सविता की बात कर रही हो?
पत्नी (गुस्से से): तुम अभी कहाँ हो?
पति: सब्जी मार्किट के पास!
पत्नी: रुको मैं अभी वहीं आती हूँ!
10 मिनट के बाद पत्नी ने फिर फ़ोन किया, "तुम हो कहाँ? मैं सब्जी मार्किट आ गई हूँ |"
10 मिनट के बाद पत्नी ने फिर फ़ोन किया, "तुम हो कहाँ? मैं सब्जी मार्किट आ गई हूँ |"
पति: मैं अभी ऑफिस में ही हूँ, अब तुम्हें जो भी सब्जी चाहिए खरीद लेना!
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
9 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी रचनाओं का संयोजन है।
आपकी लिखी भूमिका सामान्यतः अलग होती है।
आपका सादर आभार आदरणीय मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए।
बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति।
आपकी प्रस्तावना सदैव रोचक होती है । इस'"ब्लॉग बुलेटिन" का आरम्भ भी एक मुस्कुराहट के साथ बेहतरीन रचनाओं के संकलन के रुप में है । मेरी रचना को इस संकलन में स्थान देने के लिए सादर आभार ।
शुभ प्रभात भाई शिवम जी
नहले पे दहला..
बेहतरीन बुलेटिन...
आभार....
सादर....
बहुत सुंदर ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को स्थान देने के लिए शिवम् जी
शिवम् मिश्रा जी , आभार, गुदगुदाती पृष्ठभूमि के साथ सार्थक ब्लॉग बुलेटिन चर्चा। इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।
बुलेटिन का आरंभ मन को प्रसन्न करता है, श्रेष्ठ प्रस्तुति और शानदार संकलन। सभी चचयनि रचनाकारों को बधाई मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
सही खेल गए पति महोदय। पर इस दुस्साहस का क्या खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा ये भी उनसे पूछना चाहिए था।
रोचक संकलन। मेरी रचना को इनके मध्य जगह देने के लिए हार्दिक आभार।
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