लगे,
कि किसी ने वजूद छीन लिया
लगे,
कि हँसी कहीं खो गई है
तो उनलोगों को याद करना
जिनकी हर सांस में दुआओं के बोल थे
जिन्होंने हर बार कहा,
तुम्हारा वजूद एक ब्रह्मास्त्र है
जिसे कोई भी नहीं छीन सकता
....
और फिर
उनके आशीर्वचनों की सार्थकता के लिए जीना
खुश रहना,
अपना वजूद फिर से स्थापित करना।
रश्मि प्रभा
3 टिप्पणियाँ:
प्र्तिभा जी ने मना किया था फिर भी आप ले आयी :) हमें तो कोई एतराज नहीं है क्योंकि अपना कूड़ा कोई उठा ले जाये तो भी अच्छा लगता है। आभार 'उलूक' का। प्रतिभा जी से हम भी माँफी माँग लेते हैं आपकी तरफ से भी। सुंन्दर बुलेटिन प्रस्तुति।
हमारा वजूद..कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी..अनंत काल से हम हैं और अनंत काल तक रहेंगे..ऐसा ही लगता है जब उन ऋषियों की वाणी को पढ़ते सुनते हैं...सुंदर सूत्रों से सजा बुलेटिन..अभी पढ़ना शेष है, आभार !
मेरी पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद रश्मि प्रभा जी !!!
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