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मंगलवार, 28 अगस्त 2018

नेत्रदान कर दुनिया करें रोशन - ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
आज सुबह-सुबह समाचार पत्र में मात्र छत्तीस घंटे जीवित रहे शिशु द्वारा दो नेत्रहीन व्यक्तियों को रौशनी दिए जाने की खबर पढ़ी. किसी गंभीर इन्फेक्शन के चलते नवजात शिशु चंद घंटे ही इस दुनिया में रहा. उसके इलाज के भागदौड़ में लगे परिजन उसका नाम तक न सोच पाए थे. बाद में उसको दफनाये जाने के दौरान ही श्मशान घाट में उसका नामकरण कर शिवा नाम से पुकारा गया. उसी समय कुछ जागरूक समाजसेवियों की पहल पर उसके परिजनों को नेत्रदान के लिए समझाया गया. परिजनों ने उनकी बात स्वीकारते हुए नेत्रदान की प्रक्रिया पूर्ण करके नन्हे शिवा को इस संसार से भले ही अलविदा कर दिया गया हो मगर उसकी आँखों के सहारे दो व्यक्ति इस दुनिया को देख सकेंगे.


उस नवजात के द्वारा किये गए नेत्रदान से दो लोग ये दुनिया देख सकेंगे किन्तु अभी भी बहुत से लोग हैं जो देख नहीं सकते. कई लोग जन्म से नेत्रहीन हैं तो कुछ लोग हादसों में अपनी आंखें गंवा चुके हैं. आँखें हमें जीवित रहने के दौरान रोशनी देती ही हैं और यदि हम चाहें तो मृत्यु के बाद भी वे किसी दूसरे को रौशनी दे सकती हैं. जब भी नेत्रदान की चर्चा की जाती है तो अनेक लोग इस अन्धविश्वास में पड़ जाते हैं कि नेत्रदान के बाद वे अगले जन्म में नेत्रहीन पैदा होंगे. लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए देश में प्रतिवर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. हमारे देश में करीब ढ़ाई लाख लोग हैं जो कि कर्निया की समस्या से पीड़ित हैं. यदि ऐसे लोगों को किसी मृत व्यक्ति का कार्निया लगा दिया जाये तो इनको दृष्टि मिल सकती है. ऐसा उसी दशा में संभव है जबकि कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में ही नेत्रदान की घोषणा लिखित रूप में ना कर दे.नेत्रदान करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति की मृत्यु के छह घंटे के भीतर ही उसका कार्निया निकाल कर चौबीस घंटे के भीतर नेत्रहीन व्यक्ति को लगाया जा सकता है.


नेत्रदान के बारे में सामान्य सी जानकारी ये है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग, रक्तसमूह और धर्म का हो, नेत्रदान कर सकता है. लेंस या चश्मे का उपयोग करने वाले व्यक्ति, जिनकी आँखों की सर्जरी हुई हो वे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं. बीमारी की दशा में एड्स, हेपेटाइटिस बी/सी, रेबीज, टिटनेस, मलेरिया आदि जैसे संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा मधुमेह, रक्तचाप, अस्थमा आदि से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं. यहाँ तक कि मोतियाबिंद से पीड़ित रोगी भी नेत्रदान कर सकता है.
नेत्रदान एक नेक काम है. कोई भी व्यक्ति अपनी आंखें दान करके दो व्यक्तियों के जीवन में उजाला ला सकता है. आइये संकल्प लें नेत्रदान का और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें. अपने समाज के नेत्रहीन व्यक्तियों को रौशनी प्रदान करें, उनकी आँखों के सहारे इस दुनिया को आजीवन देखें.  

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7 टिप्पणियाँ:

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

wah!!!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

नमन शिवा और उसके परिजनों के लिये। सुन्दर बुलेटिन।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

नमन शिवा और उसके परिजनों के लिये।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नेत्र दान महादान ...
किसी के काम कुछ भी आ सके शरीर का वही अमर होना भी है उस अंग का ...
आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

Adi Singh ने कहा…

The National Testing Agency (NTA) has organized the Joint Entrance Examination (JEE) Head all over India, it is one of the National Level Entry Examination for Twelfth Students for taking admission in various Engineering courses in top IIT and NIT institutions. to read more click here

Kavi Ravindra Pandey ने कहा…

मेरी रचना "पतझड़ का मौसम है" शामिल करने के लिए हृदयतल से आभार....

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