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गुरुवार, 9 अगस्त 2018

नौ दशक पूर्व का काकोरी काण्ड और ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
आज, 9 अगस्त काकोरी काण्ड दिवस के रूप में याद किया जाता है. भारतीय स्वाधीनता संग्राम में काकोरी कांड ऐसी घटना है जिसने अंग्रेजी शासन को हिला कर रख दिया था. यह घटना भारत के वीर क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेजी सरकार के खिलाफ युद्ध जैसा विगुल था जिसे खिसियाये अंग्रेजों ने काकोरी डकैती का नाम दे दिया था. आज़ादी के मस्तानों - आजाद, बिस्मिल, अशफाक, राजेंद्र लाहिड़ी, रोशन सिंह सहित दस क्रांतिकारियों द्वारा 9 अगस्त 1925 को लखनऊ से कुछ दूर स्थित काकोरी में ट्रेन से जा रहे अंग्रेजी खजाने को लूट लिया. क्रांतिकारी इस धन का उपयोग हथियार खरीदने तथा आजादी के आंदोलन के लिए करना चाहते थे. काकोरी कांड से अंग्रेजी सरकार बुरी तरह तिलमिला उठी और उसने क्रांतिकारियों के खिलाफ अपनी बर्बरता को और तेज कर दिया.


क्रांतिकारियों के बीच रह रहे कुछ गद्दारों के चलते चंद्रशेखर आजाद को छोड़कर इस घटना में शामिल शेष सभी क्रांतिकारी पकडे़ गए. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. अंग्रेजों में क्रांतिकारियों को फाँसी की सजा सुना देने के बाद भी इतना खौफ था कि राजेंद्र लाहिड़ी की फांसी की सजा 19 दिसंबर 1927 को निर्धारित की गई थी लेकिन उनको इससे दो दिन पहले 17 दिसंबर को ही गोंडा जेल में फांसी दे दी गई. 19 दिसंबर 1927 को रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में तथा अशफाक उल्ला को फैजाबाद जेल में फांसी दी गई. आज़ादी के परवाने वीर क्रांतिकारियों के चेहरे पर किसी तरह का डर, भय नहीं था. वे हंसते-हंसते, भारत माता की जय-जयकार करते हुए फांसी के फंदे को चूम गए. अंग्रेजी सरकार ने क्रांतिकारियों को फाँसी की सजा सुनाकर भले ही उनको मौत की नींद सुला दिया था किन्तु उनके इस निर्णय की बहुत निंदा हुई. इसके पीछे कारण यह था कि डकैती जैसे मामले में फांसी की सजा सुनाना अपने आप में एक अनोखी घटना थी.

सभी जांबाज क्रांतिकारियों को बुलेटिन परिवार की तरफ से सादर नमन

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काकोरी काण्ड के साथ-साथ आज का दिन वैश्विक इतिहास में दो घटनाओं के लिए भी जाना जाता है.

एक तो, भारतीय इतिहास में 9 अगस्त  अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बाद भी जब अंग्रेज़ भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो महात्मा गाँधी ने सन 1942 में इसी दिन भारत छोड़ो आंदोलन का ऐलान किया था.

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दूसरी घटना को नागासाकी दिवस के रूप में जाना जाता है. अमेरिका ने 9 अगस्त 1945 को दक्षिणी जापान के बन्दरगाह नगर नागासाकी पर 11 बजकर 1 मिनट पर 6.4 किलो का प्लूटोनियम-239 वाला फैट मैन नामक बम गिराया था. इस परमाणु बम से तत्काल हुई मौतों की संख्या का अनुमान 40,000 से 75,000 के बीच लगाया गया था. इससे पहले 6 अगस्त 1945 को ही अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा शहर पर लिटिल बॉय नामक यूरेनियम बम गिराया गया था. इससे लगभग एक लाख चालीस हज़ार लोग मारे गए थे.

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6 टिप्पणियाँ:

yashoda Agrawal ने कहा…

शुभ संध्या राजा साहब
बेहतरीन बुलेटिन
सादर

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन।

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सभी जांबाज क्रांतिकारियों को सादर नमन |

संध्या आर्य ने कहा…

सभी क्रांतिकारियों को सादर नमन !सुन्दर प्रस्तुति ! शुक्रिया और आभार !

अनुभूति ने कहा…

सभी क्रांति वीरों को कोटि कोटि नमन
अति उत्तम प्रस्तुति
हार्दिक आभार

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