हमलोग के जिन्नगी में
केतना तरह का लोग हमरे साथ होता है... कोनो बहुत अच्छा दोस्त अऊर कोनो के साथ एकदम
नहीं मन मिलता है. लेकिन हमलोग के सोचने का तरीका हमेसा एक्के होता है – अपना आप
को केंद्र मानकर. तनी बिस्तार से बताते हैं. अब कोई अदमी हमरा बहुत करीबी दोस्त है, त हम सबसे पहिले एही कहते हैं कि अच्छा अदमी को अच्छा दोस्त
मिलिये जाता है. यानि हम अपने आप को खुद्दे अच्छा मानने लगते हैं अऊर एही से समझते
हैं कि हमको दोस्त भी बढ़िया मिला है. मगर इसके उलट कोनो खराब अदमी के बारे में हम
नहीं कहते कि हम खराब थे एही से ऊ खराब अदमी हमसे टकरा गया. बल्कि हम त इहाँ तक
सुने हैं कहते हुए कि हमरे जइसा अदमी के साथ जिसका नहीं निभा उसका किसी के साथ
नहीं निभ सकता है.
हम त एक्के बात जानते हैं
कि ई सब संजोग का बात है. ऊपरवाला हमको किसके साथ मिलाने का प्रोग्राम बनाया है, हम कभी नहीं जान सकते अऊर काहे मिलाया है, ई जानना त असम्भव है. ओसो एगो कथा सुनाते हैं कि बुद्ध एक बार कहीं
रास्ता में जा रहे थे, तब उनको रास्ता में एगो पत्थर से ठोकर
लग गया. चोट भी लगा होगा, बाकी ऊ झुककर ऊ पत्थर को धन्यवाद दिये
अऊर आगे बढ़ गये. आनंद उनको पूछा कि आपको त पत्थर से चोट लगा था, त आप काहे पत्थर को धन्यवाद दिये. गौतम बुद्ध बोले –हो सकता है कभी हम ई
पत्थर को चोट पहुँचाए होंगे, इसलिये आज ई हमको चोट पहुँचाया.
हम त इसलिये धन्यवाद दिये कि ई अगर चाहता त हमारा माथा भी फोड़ सकता था.
अब ई सब हिसाब-किताब त ओही
परमात्मा के हाथ में है. कोई अच्छा अदमी से मुलाकात हुआ त उससे मिलाने का धन्यवाद
उसको दिजिये अऊर बुरा अदमी मिला त सोचिये कि परमात्मा हमरे गलत व्यवहार के कारण
हमको लौटा दिया ओही बुरा ब्यबहार. दुन्नो उसी का दिया हुआ है, हमरा इसमें कोनो जोगदान नहीं है.
हमरा दू गो बच्चा न्यु
यॉर्क चला गया है. बेटी राखी बाँधती है. अब राखी भेजने में तरह तरह का समस्या आ
रहा था. सिरीमती जी का ताना अलगे रोज सुनने को मिलता था कि आपके आलस में अब राखी
के बाद राखी जाएगा. अचानक सोचते-सोचते ध्यान आया कि अपने देव बाबू त न्यु
यॉर्क में हैं. एक बार उनको रिक्वेस्ट करके देखते हैं, अगर काम बन गया त ठीक है, नहीं त
देखेंगे. लेकिन उम्मीद था कि काम हो जाएगा.
सनीचर का दिन हम उनको
मेसेज किये कि एगो काम है, अगर हो सके त किरपा कीजिये. ऊ पूछे कि पता
बताइये, हम बता दिये. जवाब आया कि ई त हमरे ऑफिस के बगल में
है. हम कल रबिबार को खरीद लेते हैं अऊर सोमबार को दे आएँगे, आपके डेलिवरी बॉय बनकर. हमको फिलिम “चुपके
चुपके” याद आ गया कि कम से कम फूल-पत्ती तो कह सकते हो, हम
बोल दिये डेलिवरी बॉय नहीं संदेशवाहक त कह सकते हैं.
अब हम कहें कि हमरे नीमन
सोभाव के कारण ई सम्भव हुआ त बेकार बात होगा. परमात्मा को हमरा कस्ट समझ में आया
अऊर ऊ देव बाबू का खयाल हमरे दिमाग में दिये. देव बाबू हमारा इज्जत करते हैं त
हमरा बात रखे. इसमें हमरा त कोनो कमाल नहीं है.
हम जब सोचने
लगते हैं कि ई सब कमाल हमरा है तब हम अदमी को जइसा ऊ है, ओइसहिं सुइकार करने के जगह उसको ठोंक-पीटकर अपने मुताबिक
बनाने में लग जाते हैं. अऊर ई जादा दिन नहीं चल पाता है.
अजय कुमार झा जी का आगमन, 𝟮𝟭𝟱𝟬 वाँ
बुलेटिन अऊर एतना सीरियस बातचीत. त चलिये एगो चुटकुला सुनाते हैं बचपन में सुने थे.
एगो लड़की बिआह के बाद
ससुराल गई त कम उमर का बिआह था, इसलिये
ससुराल का कायदा कानून नहीं पता था. किसी भी अदमी को कुछ बोल देती थी. घर में लोग
समझाया कि ससुराल में सबको इज्जत से पुकारना चाहिये. एक रोज ऊ अपनी सास के पास
भागल भागल आई. सास पूछी – का हुआ. ऊ बोली- सास जी, अपना गाय
जी का बछड़ा जी, ससुर जी का धोती जी पर गोबर जी कर दिये हैं.
त आप भी ठहाका लगाइये अऊर
आनंद लीजिये मजेदार मजेदार पोस्ट सब का.
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13 टिप्पणियाँ:
शुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन, बुलेटिन परिवार और खासकर सलिल जी का आज के 2150 की बधाई भी शुभकामनाएं भी और आभार भी 'उलूक' की बकबक को जगह देने के लिये। ये मिलना मिलाना चलता रहे। सलिल जी कम आते हैंं थोड़ा ज्यादा ज्यादा आना जाना करें इसी आशा के साथ पुन: आभार आज की जबर्दस्त प्रस्तुति के लिये।
शुभकामनाएँ दू हजार एक सौ पचास का सुईकारे...
आभार सलिल प्रिय जी..
बढ़िया रचना पढ़वाए...
सादर
सुंदर बुलेटिन।
लिखने की स्थानीय शैली बहुत अच्छी लगी।
लिंक्स शानदार थे।
👍
बाह...मजा आई गईल!
शानदार लिंक्स हैं।
बहुत सुंदर बुलेटिन
सच है कि अच्छे रिश्ते भाग्य से ही याने भगवान ही देता है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
हर बार बहुत रोचक होती है आपकी बुलेटिन प्रस्तुति
मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार आपका!
सभी सुधि पाठकों का आभार! सुशील जोशी सर से क्षमा सहित!
सभी पाठकों और पूरी बुलेटिन टीम को 2150 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ |
ऐसे ही स्नेह बनाए रखिए |
सलिल दादा को सादर प्रणाम |
Aapka andaj-e-bayan ka kya kahiye......sundar...rochak... Muda ee apne aje bhaiya aaj kal hain kahan....kahin loukte nai hain...
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