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त्रिलोचन शास्त्री (अंग्रेज़ी: Trilochan Shastri; जन्म- 20 अगस्त, 1917, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 9 दिसम्बर, 2007, गाज़ियाबाद) को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्य धारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है। वे आधुनिक हिन्दी कविता की प्रगतिशील 'त्रयी' के तीन स्तंभों में से एक थे। इस 'त्रयी' के अन्य दो स्तम्भ नागार्जुन व शमशेर बहादुर सिंह थे। त्रिलोचन शास्त्री काशी (आधुनिक वाराणसी) की साहित्यिक परम्परा के मुरीद कवि थे।
शास्त्री जी को 'हिन्दी सॉनेट' का साधक माना जाता है। उन्होंने इस छंद को भारतीय परिवेश में ढाला और लगभग 550 सॉनेट की रचना की। इसके अतिरिक्त कहानी, गीत, ग़ज़ल और आलोचना से भी उन्होंने हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। उनका पहला कविता संग्रह 'धरती' 1945 में प्रकाशित हुआ था। 'गुलाब और बुलबुल', 'उस जनपद का कवि हूं' और 'ताप के ताये हुए दिन' उनके चर्चित कविता संग्रह थे। 'दिगंत' और 'धरती' जैसी रचनाओं को कलमबद्ध करने वाले त्रिलोचन शास्त्री के 17 कविता संग्रह प्रकाशित हुए।
जीवन के अंतिम वर्ष उन्होंने अपने सुपुत्र अमित प्रकाश सिंह के परिवार के साथ हरिद्वार के पास ज्वालापुर में बिताए थे। अंतिम वर्षों में भी वे काफ़ी जीवंत रहे। वार्धक्य ने शरीर पर भले ही असर डाला था, पर उनकी स्मृति या रचनात्मकता मंद नहीं पड़ी थी। त्रिलोचन शास्त्री का निधन 9 दिसम्बर, 2007 को गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ।
आज कविवर त्रिलोचन शास्त्री जी के 101वें जन्म दिवस पर हम सब उन्हें याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
5 टिप्पणियाँ:
कविवर त्रिलोचन शास्त्री जी के 101वें जन्म दिवस पर उन्हे श्रद्धांजलि। आज के बुलेटिन की सुर्खियों में 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये आभार हर्षवर्धन।
त्रिलोचन शास्त्री जी को विनम्र श्रद्धांजलि ! पठनीय सूत्रों की खबर देता बुलेटिन..आभार !
त्रिलोचन शास्त्री जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
शास्त्री जी को श्रद्धांजलि !
रचना (ओं) को स्थान देने का हार्दिक आभार ! यूं ही स्नेह बना रहे।
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