Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 7 अगस्त 2018

यारी को ईमान मानने वाले यार को नमन और ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार दोस्तो,
यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी जैसे शब्द हों या फिर मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती जैसा गीत, सभी आज भी मन को प्रसन्न कर जाते हैं. आज इन गीतों के रचनाकार, हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार गुलशन बावरा की पुण्यतिथि है. उनका जन्म 12 अप्रैल 1937 को अविभाजित भारत के पंजाब में शेखपुरा (अब पाकिस्तान) में हुआ था. उन्होंने बचपन में विभाजन के समय रेलगाड़ी से भारत आते समय अपने पिता की तलवार से और माँ की गोली लगने से हत्या होते देखा था. यहाँ पर ये बताना उल्लेखनीय है कि आज़ादी के दौर की इस भयावह त्रासदी को झेलने वाले गुलशन बावरा ने इसे अपनी जिंदगी, अपने व्यक्तित्व और अपने लिखे गीतों पर कभी हावी नहीं होने दिया. भाई के साथ भागकर वे जयपुर आ गए जहाँ उनकी बहन ने उनकी परवरिश की. बाद में वे भाई की नौकरी लगने पर उसके साथ दिल्ली चले गए.


सन 1955 में रेलवे में क्लर्क की नौकरी मिलने पर वे मुंबई आ गए. लिखने का शौक उनको बचपन से ही था, बचपन में माँ के साथ भजन लिखने का शौक कॉलेज के दिनों में रुमानी कविता लेखन में बदल गया. मुंबई में नौकरी से समय मिलते ही वे संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी के दफ़्तर पहुँच जाते. इसका सुखद परिणाम ये हुआ कि उनको पहली सफलता इसी जोड़ी के संगीत-निर्देशन में बनी फ़िल्म सट्टा बाज़ार (1957) में मिली. इसी फ़िल्म निर्माण के दौरान उनको बावरा नाम मिला.

रेलवे के मालवाहक विभाग में कार्यरत गुलशन बावरा अक्सर पंजाब से आई गेहूँ से लदी बोरियाँ देखा करते थे और उन्हें देखकर उनके मन में मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती, मेरे देश की धरती पंक्ति जन्म लेती. बाद में जब उन्होंने अपने मित्र मनोज कुमार को ये पंक्तियाँ सुनाईं तो मनोज कुमार ने तत्काल इसे अपनी फ़िल्म उपकार के लिए चुन लिया. इस गीत पर उन्हें सन 1967 में सर्वश्रेष्ठ गीत का फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला. उपकार के इस गीत ने गुलशन बावरा को भारत की जनता से जोड़ दिया. इसके बाद जंजीर के गीत यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िदगी ने पूरे देश में धूम मचा दी.

जीवन भर गुलशन बावरा चुस्त-दुरुस्त रहे. कोई बीमारी न हुई. अचानक कैंसर जैसी बीमारी ने उनको अपनी गिरफ्त में ले लिया. बमुश्किल छः माह पहले हुई इस बीमारी ने उन्हें देखते ही देखते हम सबसे दूर कर दिया. आज ही के दिन, 7 अगस्त 2009 को कैंसर के चलते उनका देहांत हो गया. उनकी इच्छानुसार उनके पार्थिव शरीर को जे० जे० अस्पताल को दान कर दिया गया.

हिन्दी सिनेमा के द्वारा संगीत-प्रेमियों को अनेक कर्णप्रिय, मधुर गीत देने वाले गुलशन बावरा को उनकी पुण्यतिथि पर बुलेटिन परिवार की ओर से सादर श्रद्धांजलि.

++++++++++














7 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

गुलशन बावरा को उनकी पुण्यतिथि पर नमन। सुन्दर बुलेटिन।

HARSHVARDHAN ने कहा…

अद्वितीय गीतकार गुलशन बावरा जी को शत शत नमन।

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

yashoda Agrawal ने कहा…

आदरांजली बावरा साहब कोॆ
बेहतरीन बुलेटिन परोसी राजा साहब आपने
आभार
सादर

शिवम् मिश्रा ने कहा…

गुलशन बावरा जी को शत शत नमन।

नूपुरं noopuram ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति और संयोजन.
यारी के पन्ने पर मित्रता की बात खूब जंची !
हार्दिक आभार.

Jitu ने कहा…

मुझे आपकी वेबसाइट पर लिखा आर्टिकल बहुत पसंद आया इसी तरह से जानकारी share करते रहियेगा|
Read
Read
Read
Read
Read

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार