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शनिवार, 18 अगस्त 2018

ब्लॉग लिखें - ब्लॉग पढ़ें (चिट्ठा चर्चा )

गुप्तकाशी में बारिश 



अब ये बात भी बहुत बार हम आप ही दोहरा चुके हैं की ब्लॉगिंग  की रफ़्तार को धीमा करने या ऐसा महसूस होने में जितना बड़ा रोल फेसबुक और अन्य जैसी सोशल नेट्वर्किंग साइट्स ने किया उतनी ही बड़ी भूमिका खुद हम ब्लॉगर्स की भी रही | अपनी हाथों से सींची बगिया को सबने बड़ी ही उदासीनता से उपेक्षित छोड़ दिया | आखिर ब्लॉग भी कब तक एकतरफा साथ देता उसने भी ऐसा ही किया और जब आज मौजूद दोनों  संकलकों को देखता पाता हूँ तो इतने बड़े हिंदी अंतरजाल पर रोज़ाना की कुल पचास पोस्टें भी नहीं लिखी जाती और उससे भी बड़ी बात की वो पचास भी शायद ही पढ़ी जाती हों |

लेकिन ऐसा नहीं की तालाबंदी वाले हालात हैं | नियमित लेखन पठन भी ब्लॉग लिखने पढ़ने वाले कर ही रहे हैं | ऐसा ही जुनून ज़ज़्बा इस ब्लॉग की शुरूआत करने वाले शिवम भाई , बहुत बार सिर्फ अकेले अपने श्रम और दम पर बुलेटिन को प्रसारित/प्रकाशित करते रहे हैं | यही हाल कमोबेश हमारा भी था , लेकिन अब हम भी मोर्चे पर आ गए हैं | और ब्लॉग की रफ़्तार को जरूर ही गति देने के बहुत सारे नए नए प्रयोग की योजनाओं के साथ आ रहा हूँ | तैयार हो जाइये ब्लॉग लिखने पढ़ने के लिए , और खूब सारा लिखने पढ़ने के लिए

देखते हैं कुछ चुनिंदा ब्लॉग पोस्ट

आज पढ़िए सबसे पहले पढ़ते हैं भाई रोहिताश को जो इन दिनों सुकूं की तलाश में पोस्ट लिख रहे हैं , वे लिखते हैं

इस पिजरे में कितना सकूँ है
बाहर तो मुरझाए फूल बिक रहे है
कोई ले रहा गंध बनावटी
भागमभाग है व्यर्थ ही
एक जाल है;मायाजाल है
घर से बंधन तक
बंधन से घर तक
स्वतंत्रता का अहसास मात्र लिए
कभी कह ना हुआ गुलाम हैं
गुलामी की यही पहचान है।
मर रहे रोज कुछ कहने में जी रहे
सब फंसे हैं
सब चक्र में पड़े हैं




ब्लॉग शिरोमणि अपने लंठ महाराज यानी गिरिजेश राव एक आलसी के चिट्ठे को जगा कर देखें कह रहे हैं , यह दृष्टि है  | प्रकृति से लगातार छेड़छाड़ का नतीज़ा हम सब भुगत रहे हैं मगर अफ़सोस की फिर भी सुधार और उपाय तो दूर हमने अभी वो गलतियां  करना ही नहीं छोड़ा है | हरेश कुमार इसलिए कह रहे हैं , अपने आसपास की प्रकृति को बचाएं ये हम सबकी जिम्मेदारी है | सच है , और  ये अभी से करना जरूरी है | 


हम सबके प्रिय और देश के सर्वप्रिय राजनेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जाना अभी बहुत समय तक सालते रहेगा | यूं तो पिछले दो दिनों से लगातार सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर उनके ऊपर लिखा जा रहा है | ब्लॉग पोस्टों में
शब्द तूलिका पर मुझे इतनी ऊँचाई मत देना , और अनुराधा चौहान अपने ब्लॉग पर कहती हैं वे सदा अटल थे  

"
जिंदगी की धूप छांव में
हरदम वो अटल खड़े थे
मौत से ठान युद्ध
वो अटल जिए थे
न हार कभी मानी थी
न हार कभी मानेंगे
जिंदगी में हरदम
उनके अटल इरादे थे
काल के कपाल पर
गीत नए लिखते थे
साथ सभी के सुख-दुख में
कदम मिलाकर चलते थे"


जबकि अटल जी द्वारा कहे गए अनमोल वचनों को एक साथ संग्रहित करके खूबसूरत पोस्ट तैयार की है युवा ब्लॉगर हर्षवर्धन ने अपनी इस पोस्ट में 

  1. मेरे पास न दादा की दौलत है न बाप की, मेरे पास सिर्फ मां का आशीर्वाद है। 
  2. कड़ी मेहनत कभी भी आप पर थकान नहीं लाती, वो आपके लिए संतोष ही लाती है। 
  3. सत्य सबसे शक्तिशाली हथियार है, हर कोई जानता है सरकारी जगहों पर हथियार लेकर नहीं जा सकते।
  4. हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं, इसीलिए पड़ोसियों से अच्छे संबंध होने चाहिए। 
  5. जब मैं बोलना चाहता हूं तो लोग सुनते नहीं, जब लोग चाहते हैं, मैं बोलूं तो मेरे पास कुछ नहीं होता। 
  6. अगर किसी देश में हलचल नजर आए तो समझिये वहां का राजा ईमानदार है। 
  7. मैं हमेशा की तरह वादे लेकर नहीं आया बल्कि अपने इरादे लेकर आया हूं।

आइए इस बुलेटिन के आखिर में आपको लिए चलता हूँ हर्षवर्धन जोग जी के ब्लॉग की इस खूबसूरत पोस्ट बारिश  , की ओर | खूबसूरत चित्रों से सजी  इस पोस्ट में आज आप पढ़िए गुप्तकाशी के बारे में | रात गहराती जा रही है इसलिए अब विराम लेता हूँ |

एक , नहीं नहीं दो दो सूचनाएं हैं ,

ब्लॉग पोस्टों को अखबारों तक पहुंचाने वाले स्तम्भ "ब्लॉग बातें |" इसी सप्ताह से शुरू करने जा रहा हूँ |

अगले कुछ समय में दिल्ली में , राष्ट्रीय ब्लॉगर मिलन का आयोजन करने जा रहा हूँ , इस बार मीडिया के मित्रों की सहभागिता के साथ

चलते चलते एक और बात , कल रविवार है , कल आपको ले चलूँगा ब्लॉग पोस्टों के ऐसे सफर पर की यकीनन जब यहाँ से आप निकलेंगे तो सबसे पहले अपने ब्लॉग पर जाकर पोस्ट करे बिना नहीं निकल सकेंगे |

शुभ रात्रि , खूब पढ़ें , खूब लिखें

8 टिप्पणियाँ:

Anuradha chauhan ने कहा…

सुंदर ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति बहुत बहुत आभार आपका अजय कुमार जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

yashoda Agrawal ने कहा…

शुभ प्रभात..
सिंचाई और
खिंचाई...
दोनो ज़रूरी है
एक अच्छी सोच
नई शुरुआत की शुभकामनाएँ
सादर

Sweta sinha ने कहा…

सुंदर रचनाओं से सजी रचनात्मक प्रस्तुति है आदरणीय।
मेरे लेख को इस गुलदस्ते में स्थान देने के लिए सादर आभार आपका।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

जोर लगा कर हैशा। उर्जा भरी प्रस्तुति।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

घर वापसी पर हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं, बड़के भैया।

अब संभालिये मोर्चा।

Digvijay Agrawal ने कहा…

वाहहहह...
बेहतरीन...
सादर...

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

उनके सोते रहने का मुझे गम नहीं।
जगते ही पूरा, माहौल बदल देते हैं।

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह , गजब आप सबको पसंद आया तो श्रम भी सार्थक हुआ | और आप सब ही तो हमारी ऊर्जा का श्रोत हैं | अब मचाएंगे धमाल , कमाल और ब्लॉगिंग का बवाल भी | धमक और खनक दोनों ही जल्द फिर से सुनाई देने लगेंगे

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

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