ऑरकुट के पन्ने से ब्लॉग की दुनिया में 2008 में मुकेश कुमार सिन्हा ने प्रवेश लिया था। छोटी छोटी बातों में उलझा उसका मन शब्दों के अरण्य में भटक रहा था, और अंततः उसे रास्ते मिले। वह अनकहे को लिखने लगा, और आज उसकी वह पहचान है, जिसके लिए वह न कभी घबराया, न कभी रुका। मिलिए अपने परिचित मुकेश से प्रतियोगिता मंच पर उनकी कविता से -
टाटा नमक के
आयोडाइज्ड पैक्ड थैली की तरह
खुले आम बिकती बाजार में
मान लो 'दर्द'
वैक्सड माचिस के डिब्बी की तरह
पनवाड़ी के दूकान पर मिलती
अठन्नी में एक !
मान लो 'खुशियाँ' मिलती
समुद्री लहरों के साथ मुफ्त में
कंडीशन एप्लाय के साथ कि
हर उछलते ज्वार के साथ आती
तो लौट भी जाती भाटा के साथ
मान लो 'दोस्ती' होती
लम्बी, ऐंठन वाली जूट के रस्सी जैसी
मिलती मीटर में माप कर
जिसको करते तैयार
भावों और अहसासों के रेशे से
ताकि कह सकते कि
किसी के आंखों में झांककर
मेरी दोस्ती है न सौ मीटर लम्बी
छोड़ो, मानते रहो
क्यूंकि, फिर भी, हम
हम ठहरे साहूकार
आग की नमकीन थैली में
दर्द की तीली घिस कर
सीली जिंदगी जलाने की
कोशिश में खर्च कर देते है
पर, नहीं चाहते तब भी
कमर में दोस्ती की रस्सी बांध
समुद्री लहरों पर थिरकना
खुशिया समेटना, खिलखिलाना
खैर, दोस्त-दोस्ती भी तो
माँगने लगी है इनदिनों
फेस पाउडर की गुलाबी चमक
जो उतर ही जाती है
एक खिसियाहट भरी सच्चाई से
सीलन की दहन
बंधन की थिरकन
नामुमकिन है सहन
आखिर यही तो है इंसानी फितरत
है न!!!!!
56 टिप्पणियाँ:
मुकेश जी को शुभकामनाएं
वाह ! नायाब बिम्ब, अनुपम अभिव्यक्ति और बेहतरीन अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !
मुकेश जी ने पिछले दस वर्षों में कविता को जिस तरह से अपनाया है, मेहनत की है , निरंतरता बनाए रखी है, वह अद्भुद है ... वे अब कविता के जरिये संवाद करते हैं ... पाठक को इंगेज करते हैं ... नए बिम्ब गढ़ते हैं जो अपने उपयोग में सर्वथा चकित करता है .. इसी कविता की अंतिम पक्तियों में देखिये .... सीलन की दहन ... इस विरोधाभासी प्रयोग के कारण कविता में नयापन आ रहा है ... मुकेश जी को हार्दिक शुभकामनाएं .
असीम शुभकामनाओं के संग सस्नेहाशीष बबुआ... ब्लॉग जगत से मिला अनुज... जब भी आवाज दी सहायक रहा... लेखन में महारत हासिल... गूँज गूँजता रहे सदा...
आग, दर्द, खुशी, दोस्ती सब कुछ है मुकेश जी की लेखनी में
वाह
थैंक्स अरुण जी, बहुत कुछ आपसे भी सीखा है हमने :)
रश्मि दी, ध्न्यवाद क्या कहना पर अच्छा लगता है तुम हमे याद रखती हो :)
बढ़िया रचना
सीलन की दहन
बंधन की थिरकन
नामुमकिन है सहन ... सहज से शब्द कितनी गहनता लिए हुए हैं .... शानदार सृजन के लिए बधाई सहित शुभकामनाएं
मुकेश की रचनाओं में हल्के फुल्के अंदाज़ में गहन भाव भरे होते हैं और नित नवीन बिम्बों में अपनी बात कहने में माहिर हैं ।
रोजमर्रा की जिंदगी से उठाए गए बिम्ब से जीवन को सहज सटीक रूप से अभिव्यक्त कर पाने में मुकेश का जवाब नहीं...बिल्कुल पाठको के मन के करीब होती हैं उनकी रचनाएं। उन्हें बधाई व शुभकामनाएं।
वाह ...अंदाज अपना अपना 👌😊
वाह!
वाह !! प्रभावशाली अंदाज !
सुंदर रचना हार्दिक शुभकामनाएँ
मुकेश सर आपकी कविताएँ सच में अलग हैं। प्रेम और खूबसूरत एहसास से भरी हुई होती है।
जीवन की तल्ख़ गाँठ़ोंं में शहद की मिठास सी।
आपकी लेखनी के लिए आपको बहुत सारी शुभकानाएँ मेरी भी स्वीकार करें।
व्वाहहहह...
बेहतरीन...
सादर...
धन्यवाद सर 💐
शुक्रिया साधना जी ।
दी, स्नेह बनाये रखना 💐
ऋता दी,आपका स्नेह सर आंखों पर 💐
संगीता दी, आपसबने सँवारा है 💐
श्वेता, यादगार प्रतिक्रिया होती है तुम्हारी, थैंक्स 😊
मुकेश के पहले कदम से पढ़ रही हूँ । निखर कर लेखनी चमकने लगी हूँ ।
बहुत प्यारी कविता. इंसानी फ़ितरत को सटीक शब्दों में बयां किया है आपने. आपकी कविताएँ अब पहले से कहीं अधिक गंभीर होती जा रहीं हैं. यूँ अच्छा और सच्चा तो आप हमेशा ही लिखते आये हैं. किसी भी विषय को नए अंदाज़ में प्रस्तुत कर देने की अनुपम कला है आपमें. ढेरों शुभकामनाएँ आपको :)
बहुत ही खुबसुरत रचना
बधाई
बहुत ही खूबसूरत रचना रचनाकार आदरणीय मुकेश जी को बहुत-बहुत बधाइयां
इंसानी फ़ितरत बख़ूबी चित्रण किया आपने मुकेश जी!
~सादर
अनिता ललित
पहली बार पढ़ा मुकेशजी का ब्लॉग। बहुत अच्छी रचनाएँ हैं। धन्यवाद रश्मि जी और ब्लॉग बुलेटिन।
शुक्रिया प्रीति 💐
धन्यवाद ....💐
💐💐💐💐
स्नेह बना रहे निशा जी 💐
शुक्रिया मीना जी
मैं ने मुकेश जी की कई रचनाएं पढ़ी हैं। इनकी हर रचना लाजवाब रहती हैं। दिल को छूती सी...
अनुज मुकेश के लिए बस इतना ही कहूँगा ये जब लिखते हैं, दिल से लिखते हैं और बिंदास लिखते हैं। इस कविता में भी अनोखी कल्पना की कलम से एक कड़वी सच्चाई का क्या ख़ूब चित्रण किया है।
धन्यवाद वर्मा सर !
शुक्रिया मित्र, आपका उत्साहवर्धन ही हमारी थाती है :)
बड़े भैया, आपका आशीर्वाद बना रहे :)
धन्यवाद ज्योति जी, हमें आगे भी आपके पढ़ने का बराबर इंतजार रहेगा।
थैंक्स सैल
थैंक्स शशि 😊
💐💐💐💐
💐💐💐💐💐
दीदी का स्नेह बना रहे 💐
💐💐💐💐💐 शुक्रिया अनिता जी
आपकी कविता की एक अलग ही पहचान है
धन्यवाद ।
मुकेश कुमार सिन्हा ये नाम आज अपनी पहचान बना चुका है, इनकी हर कविता मे यथार्थ और कल्पनायों का अनूठा संगम होता है, ये कविता भी अपनी अलग पहचान लिये हुए हैं,।
मुकेश जी आपको ढेरों बधाई एवं शुभकामनायें 🍫🌹
शुक्रिया यशीदा 💐💐
आप भी तो मेरे शुरुआती दौर के साथी रहे हो, थैंक्स नीलू जी 💐
मुकेश जी की कविताएं अलहदा होती हैं चाहें वो किसी भी विषय पर हों,किसी गम्भीर विषय पर या हल्के-फुल्के।इनकी अपनी शैली है।आपको शुभकामनाएं।
आखिर यही तो है इंसानी फितरत
है अद्भूत अनूठा लिखते है ।
मानव संवेदनाओ के विभिन्न पहलुओ को उकेर्ती रच्त्नाये दिल को छू लेती है ।बधाई मुकेश जी ।
आपका स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया, मेरे लिए खुशियों का बंडल है, थैंक्स सपना सोनी 💐
धन्यवाद सुमन, आपकी कविताओंसे भी सीखा है, थैंक्स ।
आपकी प्रतिक्रिया 😊
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