Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 16 जुलाई 2019

ब्लॉग बुलिटेन-ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 (तेईसवां दिन) कविता




ऑरकुट के पन्ने से ब्लॉग की दुनिया में 2008 में मुकेश कुमार सिन्हा ने प्रवेश लिया था।  छोटी छोटी बातों में उलझा उसका मन शब्दों के अरण्य में भटक रहा था, और अंततः उसे रास्ते मिले।  वह अनकहे को लिखने लगा, और आज उसकी वह पहचान है, जिसके लिए वह न कभी घबराया, न कभी रुका।  मिलिए अपने परिचित मुकेश से प्रतियोगिता मंच पर उनकी कविता से -


मान लो 'आग'
टाटा नमक के
आयोडाइज्ड पैक्ड थैली की तरह
खुले आम बिकती बाजार में

मान लो 'दर्द'
वैक्सड माचिस के डिब्बी की तरह
पनवाड़ी के दूकान पर मिलती
अठन्नी में एक !

मान लो 'खुशियाँ' मिलती
समुद्री लहरों के साथ मुफ्त में
कंडीशन एप्लाय के साथ कि
हर उछलते ज्वार के साथ आती
तो लौट भी जाती भाटा के साथ

मान लो 'दोस्ती' होती
लम्बी, ऐंठन वाली जूट के रस्सी जैसी
मिलती मीटर में माप कर
जिसको करते तैयार
भावों और अहसासों के रेशे से
ताकि कह सकते कि
किसी के आंखों में झांककर
मेरी दोस्ती है न सौ मीटर लम्बी

छोड़ो, मानते रहो
क्यूंकि, फिर भी, हम
हम ठहरे साहूकार
आग की नमकीन थैली में
दर्द की तीली घिस कर
सीली जिंदगी जलाने की
कोशिश में खर्च कर देते है

पर, नहीं चाहते तब भी
कमर में दोस्ती की रस्सी बांध
समुद्री लहरों पर थिरकना
खुशिया समेटना, खिलखिलाना

खैर, दोस्त-दोस्ती भी तो
माँगने लगी है इनदिनों
फेस पाउडर की गुलाबी चमक
जो उतर ही जाती है
एक खिसियाहट भरी सच्चाई से

सीलन की दहन
बंधन की थिरकन
नामुमकिन है सहन

आखिर यही तो है इंसानी फितरत
है न!!!!!

56 टिप्पणियाँ:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मुकेश जी को शुभकामनाएं

Sadhana Vaid ने कहा…

वाह ! नायाब बिम्ब, अनुपम अभिव्यक्ति और बेहतरीन अंदाज़ ! बहुत सुन्दर !

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

मुकेश जी ने पिछले दस वर्षों में कविता को जिस तरह से अपनाया है, मेहनत की है , निरंतरता बनाए रखी है, वह अद्भुद है ... वे अब कविता के जरिये संवाद करते हैं ... पाठक को इंगेज करते हैं ... नए बिम्ब गढ़ते हैं जो अपने उपयोग में सर्वथा चकित करता है .. इसी कविता की अंतिम पक्तियों में देखिये .... सीलन की दहन ... इस विरोधाभासी प्रयोग के कारण कविता में नयापन आ रहा है ... मुकेश जी को हार्दिक शुभकामनाएं .

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

असीम शुभकामनाओं के संग सस्नेहाशीष बबुआ... ब्लॉग जगत से मिला अनुज... जब भी आवाज दी सहायक रहा... लेखन में महारत हासिल... गूँज गूँजता रहे सदा...

M VERMA ने कहा…

आग, दर्द, खुशी, दोस्ती सब कुछ है मुकेश जी की लेखनी में
वाह

Mukesh ने कहा…

थैंक्स अरुण जी, बहुत कुछ आपसे भी सीखा है हमने :)

Mukesh ने कहा…

रश्मि दी, ध्न्यवाद क्या कहना पर अच्छा लगता है तुम हमे याद रखती हो :)

vandana gupta ने कहा…

बढ़िया रचना

सदा ने कहा…

सीलन की दहन
बंधन की थिरकन
नामुमकिन है सहन ... सहज से शब्द कितनी गहनता लिए हुए हैं .... शानदार सृजन के लिए बधाई सहित शुभकामनाएं

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मुकेश की रचनाओं में हल्के फुल्के अंदाज़ में गहन भाव भरे होते हैं और नित नवीन बिम्बों में अपनी बात कहने में माहिर हैं ।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

रोजमर्रा की जिंदगी से उठाए गए बिम्ब से जीवन को सहज सटीक रूप से अभिव्यक्त कर पाने में मुकेश का जवाब नहीं...बिल्कुल पाठको के मन के करीब होती हैं उनकी रचनाएं। उन्हें बधाई व शुभकामनाएं।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

वाह ...अंदाज अपना अपना 👌😊

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

वाह!

Anita ने कहा…

वाह !! प्रभावशाली अंदाज !

shashi purwar ने कहा…

सुंदर रचना हार्दिक शुभकामनाएँ

Sweta sinha ने कहा…

मुकेश सर आपकी कविताएँ सच में अलग हैं। प्रेम और खूबसूरत एहसास से भरी हुई होती है।
जीवन की तल्ख़ गाँठ़ोंं में शहद की मिठास सी।
आपकी लेखनी के लिए आपको बहुत सारी शुभकानाएँ मेरी भी स्वीकार करें।

yashoda Agrawal ने कहा…

व्वाहहहह...
बेहतरीन...
सादर...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

धन्यवाद सर 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

शुक्रिया साधना जी ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

दी, स्नेह बनाये रखना 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

ऋता दी,आपका स्नेह सर आंखों पर 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

संगीता दी, आपसबने सँवारा है 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

श्वेता, यादगार प्रतिक्रिया होती है तुम्हारी, थैंक्स 😊

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

मुकेश के पहले कदम से पढ़ रही हूँ । निखर कर लेखनी चमकने लगी हूँ ।

Preeti 'Agyaat' ने कहा…

बहुत प्यारी कविता. इंसानी फ़ितरत को सटीक शब्दों में बयां किया है आपने. आपकी कविताएँ अब पहले से कहीं अधिक गंभीर होती जा रहीं हैं. यूँ अच्छा और सच्चा तो आप हमेशा ही लिखते आये हैं. किसी भी विषय को नए अंदाज़ में प्रस्तुत कर देने की अनुपम कला है आपमें. ढेरों शुभकामनाएँ आपको :)

Sarita Sail ने कहा…

बहुत ही खुबसुरत रचना
बधाई

Hindi Poetry and Classic Stories ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत रचना रचनाकार आदरणीय मुकेश जी को बहुत-बहुत बधाइयां

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

इंसानी फ़ितरत बख़ूबी चित्रण किया आपने मुकेश जी!

~सादर
अनिता ललित

Meena sharma ने कहा…

पहली बार पढ़ा मुकेशजी का ब्लॉग। बहुत अच्छी रचनाएँ हैं। धन्यवाद रश्मि जी और ब्लॉग बुलेटिन।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

शुक्रिया प्रीति 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

धन्यवाद ....💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

💐💐💐💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

स्नेह बना रहे निशा जी 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

शुक्रिया मीना जी

Jyoti Dehliwal ने कहा…

मैं ने मुकेश जी की कई रचनाएं पढ़ी हैं। इनकी हर रचना लाजवाब रहती हैं। दिल को छूती सी...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

अनुज मुकेश के लिए बस इतना ही कहूँगा ये जब लिखते हैं, दिल से लिखते हैं और बिंदास लिखते हैं। इस कविता में भी अनोखी कल्पना की कलम से एक कड़वी सच्चाई का क्या ख़ूब चित्रण किया है।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

धन्यवाद वर्मा सर !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

शुक्रिया मित्र, आपका उत्साहवर्धन ही हमारी थाती है :)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

बड़े भैया, आपका आशीर्वाद बना रहे :)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

धन्यवाद ज्योति जी, हमें आगे भी आपके पढ़ने का बराबर इंतजार रहेगा।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

थैंक्स सैल

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

थैंक्स शशि 😊

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

💐💐💐💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

💐💐💐💐💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

दीदी का स्नेह बना रहे 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

💐💐💐💐💐 शुक्रिया अनिता जी

Daisy jaiswal ने कहा…

आपकी कविता की एक अलग ही पहचान है

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

धन्यवाद ।

Neelam ने कहा…

मुकेश कुमार सिन्हा ये नाम आज अपनी पहचान बना चुका है, इनकी हर कविता मे यथार्थ और कल्पनायों का अनूठा संगम होता है, ये कविता भी अपनी अलग पहचान लिये हुए हैं,।
मुकेश जी आपको ढेरों बधाई एवं शुभकामनायें 🍫🌹

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

शुक्रिया यशीदा 💐💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

आप भी तो मेरे शुरुआती दौर के साथी रहे हो, थैंक्स नीलू जी 💐

Suman ने कहा…

मुकेश जी की कविताएं अलहदा होती हैं चाहें वो किसी भी विषय पर हों,किसी गम्भीर विषय पर या हल्के-फुल्के।इनकी अपनी शैली है।आपको शुभकामनाएं।

Sapna soni ने कहा…


आखिर यही तो है इंसानी फितरत
है अद्भूत अनूठा लिखते है ।
मानव संवेदनाओ के विभिन्न पहलुओ को उकेर्ती रच्त्नाये दिल को छू लेती है ।बधाई मुकेश जी ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

आपका स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया, मेरे लिए खुशियों का बंडल है, थैंक्स सपना सोनी 💐

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

धन्यवाद सुमन, आपकी कविताओंसे भी सीखा है, थैंक्स ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

आपकी प्रतिक्रिया 😊

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार