डॉक्टर निशा महाराणा जी की एक भावप्रवण रचना।
ले चल किसी विधि मुझे उस पार
जहाँ निराशा की ओट में
आशा का सबेरा हो
तम संग मचलता उजालों का घेरा हो
जहाँ मतलबी नहीं अपनों का बसेरा हो
साझा हो हर गम न तेरा न मेरा हो
जहाँ बचपन की मस्ती लेती हो अंगराई
उत्साह-उमंगों संग बहे पुरवाई
जहाँ अपने ही दम पे जुगनी झिलमिलाती
छोटी छोटी बातों पे निशा खिलखिलाती
मुँह -मांगी दूँगी तुमको उतराई
तहेदिल से दूंगी तुम्हे जीत की बधाई
खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार
ले चल किसी विधि मुझे उस पार----
23 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर रचना
ले चल किसी विधि मुझे उस पार- उस पार को महसूस कर पाते...
काश..
व्वाहहहहह
मुँह -मांगी दूँगी तुमको उतराई
तहेदिल से दूंगी तुम्हे जीत की बधाई
बेहतरीन रचना
सादर
बहुत बहुत धन्यवाद....विभा जी ...
बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी
परिचय और आपकी कलम दोनो ने एकदम सच कहा है ... बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर ..आभार के साथ शुभकामनाएं ।
बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी .
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना। बधाई हो निशा जी। रश्मि दी फिर वही ब्लॉगिंग के दिन लौटा लाई हैं...
बहुत बहुत धन्यवाद संध्या जी ..
बहुत खूब मैडम!
वाह अनुपम सृजन ....
बधाई सहित शुभकामनाएं
दमकता रहे तुम्हारा संसार ..........सुंदर !
बहुत बहुत धन्यवाद सर ..
बहुत बहुत धन्यवाद सीमा जी
बहुत बहुत धन्यवाद मुकेश जी ..
बहुत बहुत धन्यवाद ब्लॉग बुलेटिन को भी
एक सरल सहज रचना...!
हार्दिक आभार
बहुत सुंदर और सकारात्मक रचना ...
उम्मीद भरी रचना
तहेदिल से धन्यवाद 😊
बहुत बेहतरीन रचना
दिल को छू गयी 👌👌
धन्यवाद
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