प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
यमलोक के दरवाजे पर दस्तक हुई तो यमराज ने जाकर दरवाजा खोला।
उन्होंने बाहर झांका तो एक मानव को सामने खड़ा पाया। यमराज ने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला ही था कि वह एकाएक गायब हो गया।
यमराज चौंके और फिर दरवाज़ा बंद कर लिया। यमराज अभी वापस मुड़े ही थे कि फिर दस्तक हुई। उन्होंने फिर दरवाजा खोला। उसी मानव को फिर सामने मौजूद पाया, लेकिन वह आया और फिर गायब हो गया।
ऐसा तीन-चार बार हुआ तो यमराज अपना धैर्य खो बैठे और अबकी बार उसे पकड़ ही लिया और पूछा, "क्या बात है भाई, क्या ये आना-जाना लगा रखा है। मुझसे पंगा ले रहे हो?"
मानव ने बड़ी सहजता पूर्वक जवाब दिया, "अरे नहीं महाराज, दरअसल मैं तो वैंटीलेटर पर हूं और यह डॉक्टर लोग ही हैं जो आपसे मस्ती कर रहे हैं।"
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
प्रणाम |
यमलोक के दरवाजे पर दस्तक हुई तो यमराज ने जाकर दरवाजा खोला।
उन्होंने बाहर झांका तो एक मानव को सामने खड़ा पाया। यमराज ने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला ही था कि वह एकाएक गायब हो गया।
यमराज चौंके और फिर दरवाज़ा बंद कर लिया। यमराज अभी वापस मुड़े ही थे कि फिर दस्तक हुई। उन्होंने फिर दरवाजा खोला। उसी मानव को फिर सामने मौजूद पाया, लेकिन वह आया और फिर गायब हो गया।
ऐसा तीन-चार बार हुआ तो यमराज अपना धैर्य खो बैठे और अबकी बार उसे पकड़ ही लिया और पूछा, "क्या बात है भाई, क्या ये आना-जाना लगा रखा है। मुझसे पंगा ले रहे हो?"
मानव ने बड़ी सहजता पूर्वक जवाब दिया, "अरे नहीं महाराज, दरअसल मैं तो वैंटीलेटर पर हूं और यह डॉक्टर लोग ही हैं जो आपसे मस्ती कर रहे हैं।"
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
7 टिप्पणियाँ:
वाह वाह बेहतरीन
वाहह्हह... भूमिका बहुत बढ़िया है👌👌
रचनाएँ भी उत्कृष्ट है सभी।
हार्दिक आभार
हमने माना कि भारतीय राजनीति का परिदृश्य वेंटीलेटर पर है लेकिन उसको लेकर ऐसा मज़ाक करना? अटल जी के शब्दों में - 'यह अच्छी बात नहीं है.'
हा हा सही था। रोचक लिनक्स से सुसज्जित बुलेटिन।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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