प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज का विचार :-
प्रणाम |
आज का विचार :-
एक सवाल जोकर से: "तुम मुखौटा क्यूँ लगाते हो ?"
जोकर: "लगाते सब है, बस दिखाई मेरा ही देता है !"
सादर आपका
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झरोखा
प्यार
हाँ , मैंने देखा श्रवण कुमार
ग़ज़ल... जब प्यार दिलों में रोशन हो - डॉ. वर्षा सिंह
हर बार हारा मैं, हर बार हाथ आई बेबसी
मेरे घर आईं मेरी प्यारी माँ
भविष्य का इतिहास
आया है मुझे फिर याद
बनारस की गलियाँ-6
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई - गुलज़ार
तेरा अब न्याय होगा
अमलतास
जागो वोटर जागो
वामन मंदिर खजुराहो
भारतीय गणितज्ञ स्व॰ शकुंतला देवी जी की छटी पुण्यतिथि
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
6 टिप्पणियाँ:
वाहह्हह.. भूमिका की पंक्तियाँ गज़ब है👌
मुखौटों के जंगल में
एक किरदार हम भी है
बिना मुखौटों जीने वालों के
एक गुनहगार हम भी है।
बहुत अच्छी रचनाएँ हैंं सारी..मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत आभार।
बेहतरीन ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 👌
मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर
जी मेरे लेख को स्थान देने के लिये धन्यवाद।
प्रणाम।
बेहतरीन मुखड़ा! 'वामन मंदिर खजुराहो' को शामिल करने के लिए आभार.
आप सब का बहुत बहुत आभार |
स्वयं की ग़ज़ल को आपके इस पटल पर देखना अत्यंत सुखद अनुभव है। कृतार्थ हूं मैं आपकी...
सादर 🙏
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