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रविवार, 21 अप्रैल 2019

जोकर, मुखौटा और लोग - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज का विचार :-

6 टिप्पणियाँ:

Sweta sinha ने कहा…

वाहह्हह.. भूमिका की पंक्तियाँ गज़ब है👌
मुखौटों के जंगल में
एक किरदार हम भी है
बिना मुखौटों जीने वालों के
एक गुनहगार हम भी है।

बहुत अच्छी रचनाएँ हैंं सारी..मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत आभार।

अनीता सैनी ने कहा…

बेहतरीन ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 👌
मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर

व्याकुल पथिक ने कहा…

जी मेरे लेख को स्थान देने के लिये धन्यवाद।
प्रणाम।

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

बेहतरीन मुखड़ा! 'वामन मंदिर खजुराहो' को शामिल करने के लिए आभार.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

Dr Varsha Singh ने कहा…

स्वयं की ग़ज़ल को आपके इस पटल पर देखना अत्यंत सुखद अनुभव है। कृतार्थ हूं मैं आपकी...
सादर 🙏

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