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सोमवार, 15 अप्रैल 2019

१०० वीं जयंती पर भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह जी को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह और (दाएं) औपचारिक बैटन
पद्म विभूषण अर्जन सिंह,(पंजाबी: ਅਰਜਨ ਸਿੰਘ) डीएफसी, (पूरा नाम : अर्जन सिंह औलख, जन्म: 15 अप्रैल 1919, निधन: 16 सितंबर 2017) भारतीय वायु सेना के एकमात्र अधिकारी थे जिन्हें वायु सेना मार्शल (पांच सितारा स्तर) पर पदोन्नत किया गया था। 16 सितंबर 2017 को 98 वर्ष की आयु में इनका निधन हुआ। ये भारतीय वायुसेना में प्रमुख पद पर १९६४-६९ तक आसीन रहे। १९६५ के भारत पाक युद्ध के समय वायु सेना की कमान को सफलतापूर्वक संभालने हेतु इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया एवं १९६६ में एयर चीफ़ मार्शल पद पर पदोन्नत किया गया। वायु सेना से सेवानिवृत्ति उपरान्त इन्होंने भारत सरकार के राजनयिक, राजनीतिज्ञ एवं परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया। १९८९ से १९९० तक ये दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर रहे। २००२ में भारतीय वायु सेना के मार्शल के पद पर आसीन किया गया। ये प्रथम अवसर था कि जब भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी पांच सितारा स्तर पर पहुंचा हो।
 
अन्तिम वर्ष

सिंह का स्वास्थ्य अन्तिम वर्षों में बहुत अच्छा नहीं रहा था। वे अपने मिलने वालों से अपनी ढलती आयु के साथ गिरते स्वास्थ्य एवं अपने कई दिवंगत साथियों के बारे में बातें किया करते थे। अपने जीवन के स्वर्णिम काल में गोल्फ़ के खिलाड़ी रहे सिंह अपनी प्रातः की चाय नियम से दिल्ली गोल्फ़ क्लब में पिया करते थे। 2015 में उस समय 96 वर्षीय अर्जन सिंह उन कई गणमान्य व्यक्तियों में से थे जो पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए पी जे अब्दुल कलाम को 28 जुलाई को पालम हवाई अड्डे पर श्रद्धांजलि देने आये थे। उस समय वे व्हीलचेयर पर थे किंतु फिर भी उन्होंने खड़े होकर दिवंगत डा० कलाम को सैल्यूट करके अंतिम श्रद्धांजलि दी|
 
 
 
आज भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह जी की १०० वीं जयंती पर ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम उन्हें शत शत नमन करते हैं |
 
सादर आपका
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वीवीपैट क्या है?

प्रयागराज कुम्भ यात्रा-2019

जश्न और जीत की नई गर्जना - हाऊज् द जोश? …..हाई सर!!!

पहाड़ भी मरते हैं ....

ग़ज़ल: जिनके लिए लड़ती है उनकी माँ की दुआएँ

' फैलसूफ़ियाँ ' ( राजीव तनेजा )

चाँद उतरता है होले से ज़ीने पर ...

इस हिंदू राजा से खौफ खाते थे मुगल, दिल्ली में मुगल शासक को तीन दिन बंधक बनाकर हराया था बुरी तरह

धूप से उठ के दूर

जोतिबा मंदिर – हर दिन यहां गुलाल खेला जाता है...

और मुकम्मल तन्हाई !

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अब आज्ञा दीजिए ...

 जय हिन्द !!!

4 टिप्पणियाँ:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अच्छा बुलेटिन ... नमन मार्शल को
आभार मेरी ग़ज़ल को जगह सेने के लिए ...

Meena sharma ने कहा…

सुंदर संकलन। बुलेटिन में मेरी रचना लेने के लिए अत्यंत आभार।

Ankur Jain ने कहा…

उम्दा संकलन।

Admin ने कहा…

Arjan Sir ko dil se Salam.
Objectives of organic farming in india , Dry farming crops in india

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