Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

90वां जन्म दिवस - 'शम्मी आंटी' जी और ब्लॉग बुलेटिन

सभी हिंदी ब्लॉगर्स को नमस्कार। 
शम्मी
शम्मी (अंग्रेज़ी: Shammi, मूल नाम- नरगिस रबाड़ी, जन्म: 24 अप्रैल, 1929, गुजरात - मृत्यु: 6 मार्च, 2018) भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं, जो दो सौ से अधिक हिंदी फ़िल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। क़रीब साढ़े छह दशक पहले उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। शुरुआती दौर में कई फ़िल्मों में नायिका और सहनायिका के तौर पर नज़र आने के बाद उन्होंने चरित्र भूमिकाओं की ओर रुख किया। इस लम्बे अंतराल में उनकी अभिनय यात्रा बिना किसी विराम के लगातार जारी रही। ये उनके जादुई व्यक्तित्व और मधुर व्यवहार का ही असर है कि आज समूचा सिने जगत उन्हें प्यार और सम्मान से 'शम्मी आंटी' कहकर बुलाता है। उनका वास्तविक नाम नरगिस रबाड़ी था। 

शम्मी का जन्म 24 अप्रैल, 1929 को गुजरात के नारगोल संजान में अपने नाना के घर हुआ था। पारसी माता-पिता की संतान शम्मी आंटी कुछ ही महिनों की थीं जब उनके पिता परिवार को साथ लेकर मुम्बई चले आए थे। बकौल शम्मी आंटी, फ़िल्मी दुनिया से उनके परिवार का दूर-दूर तक का सम्बन्ध नहीं था। घर में पारसी-पुरोहित पिता और गृहिणी मां के अलावा एक बड़ी बहन मणि रबाड़ी थीं जिन्होंने आगे चलकर न सिर्फ़ फ़ैशन डिज़ाईनिंग की दुनिया में नाम कमाया, बल्कि अपनी कला के दम पर उस ज़माने में राष्ट्रपति-पुरस्कार भी हासिल किया था।

फ़िल्मी सफ़र 

फ़िल्मों में शम्मी आंटी का आना सिर्फ़ एक संयोग था, हालांकि रिश्तेदारी-बिरादरी में उनके इस क़दम का उस वक़्त विरोध भी बहुत हुआ था। जब वो सिर्फ़ तीन साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया। आय का कोई साधन था नहीं, इसलिए दोनों बेटियों के पालन-पोषण के लिए उनकी मां को बहुत तक़लीफ़ें सहनी पड़ीं। जब वो दोनों थोड़ी बड़ी हुईं तो उन्हें अपनी पढ़ाई का ख़र्च ख़ुद उठाने के लिए टाटा की खिलौना फैक्ट्री में काम करना पड़ा। बड़ी बहन पीपुल्स थिएटर की सक्रिय सदस्या थीं इसलिए उनके साथ नाटकों की रिहर्सल में शम्मी आंटी का भी अक्सर आना-जाना होता था, जहां उनकी मुलाक़ात महबूब ख़ान के सहायक चिमनकांत गांधी से हुई थी।

धारावाहिक निर्माण

आशा पारेख के साथ मिलकर शम्मी आंटी ने ‘बाजे पायल’, ‘कोरा क़ागज़’, ‘कंगन’ और ‘कुछ पल साथ तुम्हारा’ जैसे धारावाहिकों का निर्माण भी किया और आज भी दोनों अभिनेत्रियां बहुत अच्छी दोस्त रही हैं। अपने अब तक के कॅरियर में क़रीब दो सौ फ़िल्मों में छोटी-बड़ी भूमिकाएं निभाने के साथ ही उन्हें ‘देख भाई देख’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कभी ये कभी वो’ जैसे कई टी. वी. धारावाहिकों में भी अभिनय किया। ‘सहारा वन’ चैनल के धारावाहिक ‘घर एक सपना’ में वो आलोक नाथ की मां की भूमिका में नज़र आयी थीं।

1950 के दशक में शम्मी आंटी ने ‘बाग़ी’, ‘आग का दरिया’, ‘मुन्ना’, ‘रुखसाना’, ‘पहली झलक’, ‘लगन’, ‘बंदिश’, 'मुसाफ़िरखाना', ‘आज़ाद’ और 'दिल अपना और प्रीत परायी' जैसी कई फ़िल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभायीं। अब तक की उनकी अन्तिम फ़िल्म ‘शिरीन फ़रहाद की तो निकल पड़ी’ है जो साल 2012 में प्रदर्शित हुई थी।

6 मार्च, 2018 ई. को मुंबई में 88 वर्ष की आयु में शम्मी आंटी जी का निधन हो गया।  


आज शम्मी आंटी जी के 90वें जन्म दिवस पर हम सब उनके यादगार किरदारों और उनके अभिनय कौशल को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सादर।।

~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~ 














आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।

6 टिप्पणियाँ:

yashoda Agrawal ने कहा…

सादर नमन शम्मी आन्टी को...
बेहतरीन बुलेटिन...
आभार....
सादर...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहतरीन बुलेटिन...

Anuradha chauhan ने कहा…

सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति

शिवम् मिश्रा ने कहा…

शम्मी आंटी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि|

the study iQ ने कहा…

शम्मी आंटी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि|


हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता)।
कोशिका किसे कहते हैं ? परिभाषा संरचना प्रकार भाग खोज।
पर्यावरण के घटक तथा पर्यावरणीय कारक (components of environment and environmental factors)
HANUMAN CHALISA

the study iQ ने कहा…

सादर नमन शम्मी आन्टी को
alankar

samas

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार