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शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

आज जावेद अख़्तर साहब की लिखी हुई किताब 'लावा' पढ़ रहा था तो एक शे'र पर नज़र पड़ी ... लगा जैसे कि आजकल ब्लॉग जगत मे जो चल रहा है ... जावेद साहब उस बारे मे कुछ फ़रमा रहे है !

लीजिये आप सब की नज़र करता हूँ मैं जावेद साहब का वो शे'र ...

"   कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ ;
कभी ये लगता है अब तक तो कुछ हुआ भी नहीं 

कभी जो तल्ख़ - कलामी थी वो भी ख़त्म हुई ;
कभी गिला था हमें उनसे अब गिला भी नहीं  "

सादर आपका 


================================

क्यूँ कि मिले नहीं 

जाँच जारी है 

मेरी मर्जी यूँ 

जवाब आगे मिलेंगे 

चलो यह भी सही 

उड़ी बाबा ए की गंडगोल 

जन्मदिन की बधाइयाँ दोनों को 

यहाँ भी देखिये 

तो कोई गलती हो गई क्या 

पता नहीं हम वहाँ कभी गए नहीं 

को क्या हुआ 

निवारण क्या है 

इन्हे देख कर जी रहे है सभी 

इसलिए ब्लॉगर कुछ नहीं बोलेगा 

And the Oscar goes to ...

================================  

अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

17 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर सूत्र..

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

@"अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन, लखनऊ" (ढोल की पोल)

@अपने जीवन काल में मैंने यह इकलौता कार्यक्रम ही देखा जिसका नाम सम्मान समारोह था जिसमें सम्मानदाताओं का नाम तो सुर्खियों में था मगर सम्मान लेने वालों का नाम किसी भी अखबार या मीडियाचैनल में नदारत था।

चलिए आपके माध्यम से हम ये पढ़ खुश हैं कि इस सम्मान में हमारा नाम कभी नहीं आता .....:))

HARSHVARDHAN ने कहा…

बहुत खूब फ़रमाया !!!!!!!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

किसे क्यों और क्या मिला, किसे मान अपमान
ब्लॉग बुलेटिन में छाया रहा,परिकल्पना सम्मान,,,,

शिवम जी, मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत२ आभार,,,,
RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

Arvind Mishra ने कहा…

बढियां चयन है -

रश्मि प्रभा... ने कहा…

:)

vandana gupta ने कहा…

:)

समय चक्र ने कहा…

badhiya charcha ..

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

हिंदी ब्लॉगिंग की मुख्यधारा को सामने लाने के लिए शुक्रिया।

रश्मि शर्मा ने कहा…

सुंदर लिंक...

आनंद ने कहा…

मिश्रा जी इस बार बड़ी गरमी रही आपके सारे लिंक्स में :)

Shah Nawaz ने कहा…

वाह... क्या अंदाज़-ए-लिंक है शिवम् भाई!

वाणी गीत ने कहा…

पढेंगे बारी- बारी तब ही कह पायेंगे कैसी रही :)

सुनीता शानू ने कहा…

ह्म्म्म बहुत बढ़िया अंदाज़ रहता है हमेशा इस बुलेटिन का। आज और भी बेहतर है...
अनोखी बुलेटिन :)

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह वाह ! जय हो मिसर जी की जय । का बात है आज तो टिका टिका के लगाए हैं कैप्शन । धमाल कमाल बुलेटिन । जय हो । जारी रहिए ।

mukti ने कहा…

ए लो ! इत्ता कुछ लिख दिया गया और हमने पढ़ा ही नहीं. बड़ी नाइंसाफी है :)
वैसे कमेंटरी अच्छी है...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

ham der ho gaye... ab dekhna hi padega... sab:)

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