“स्पाइडर मैन” सिनेमा का ऊ मसहूर डायलाग आप लोग नहिंये भुलाए होंगे – विद ग्रेट पावर, कम्स ग्रेट रेस्पोंसिबिलिटी. माने ढेर ताकत आने से ओतने जिम्मेदारी भी बढ़ जाता है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि ई बिहारी भी कोनो बात सीधा कहबे नहीं करता है. स्पाइडर मैन-४ के ज़माना में स्पाइडर मैन -१ का डायलाग सुना रहा है. मगर घबराइए मत. आज दू महीना के बाद लौट कर आये हैं अऊर पिछला पन्द्रह रोज से ई संबाद हमरे दिमाग में लगातार घूम रहा है. काहे कि भगवान हमको देह त सिवम बाबू जइसा दिए नहीं हैं कि हम ताकत का बात करें, मगर दिल एतना बड़ा दिए हैं कि रिश्ता का ताकत में स्व. दारा सिंह को भी टक्कर दे सकते हैं. रहा सहा आग में घी का काम करता है हमरे चारों तरफ मौजूद लोग का हमरे खातिर ओतने मोहब्बत. पन्द्रह दिन में एतना लोग का फोन आया कि कब आ रहे हैं अंतर्जाल का दुनिया में, आपके बिना सूना-सूना लग रहा है. अब अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने का त कोनो बाते नहीं है. किसके मोहब्बत पर संदेह करें, अभिषेक का, मनोज जी का, मनोज भारती का, गिरिजा दी का, संगीता दी का चाहे सिवम बाबू का या निम्मो दी का!
अब ई बताने का जरूरत नहिंये होना चाहिए कि एही प्यार का ताकत के साथ जिम्मेदारियो ओतने बढ़ जाता है. हम त पहिलहूँ कहे थे कि सिवम बाबू हमेसा हमको धर के ले आते हैं ई बुलेटिन का सेंचुरी वाला पोस्ट लिखवाने के लिए, धर के भी नहीं, फोन उठाये अऊर आदेस सुना दिए कि दादा प्रणाम! आठ तारीख को २५० वीं पोस्ट आने वाली है. बस लिखने के लिए तैयार रहिये! अब इसके पहिले कि हम कुछ बोलें, ऊ सिनेमा के अदालत के जज के जइसा दन्न से हथौड़ा पटक कर कह देते हैं कि अदालत अगली पोस्ट तक के लिए मुलतवी की जाती है!
ले बलैया!! न बयान, न गवाही सीधा फैसला. अब हम रात में बईठकर दू सौ पचासवां पोस्ट लिख रहे हैं अऊर लिंक बटोर रहे हैं. आजे के दिन यानि आठ अगस्त को एगो गुजराती अंग्रेजों भारत छोडो का नारा दिया था, आज हम गुजरात से ‘नींदों हमरा पीछा छोडो, हमको बुलेटिन का २५० वाँ पोस्ट लिखना है’ का नारा लगा रहे हैं.
मगर पोस्ट लिखने के पहिले गूगल बाबा से पूछे कि २५० पर कुछ काम का बात बताओ त जानते हैं ऊ का बताए??? सुनियेगा त बिस्वास नहीं होगा. सिवम बाबू तनी ध्यान से सुनिए- मंदारिन बोलचाल में कोनो आदमी को २५० कहने का माने होता है “इस्टूपिड फेलो”. एही से का आप हमको ‘२५०’ थमा दिए हैं!!
फैसला आपके हाथ में, बुलेटिन के अदालत में!!
सादर
सलिल वर्मा
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त अब अनुमति दीजिए... मिलेंगे फिर से ३०० के आंकड़ा पर!!
19 टिप्पणियाँ:
सुस्वागतम सलिल जी....
२५० वीं पोस्ट को आपने और खास बना दिया...
लिंक्स तो बढ़िया हैं ही...
अब मेलजोल बना रहेगा ऐसी उम्मीद है..
आभार
सादर
अनु
शुभकामनायें |
:)
२५० वीं पोस्ट ,बधाई .... !!
शुभकामनायें .... !!
250 नाट आउट... सादर बधाइयाँ...
:) stupid fellow :P uff gajabe karte hain :P
jaise hi aap apne flow me aate hain... rang dekte banta hai bade bhaiya:)
२५० पोस्ट.. बहुत सुन्दर.. आप जिस तरह सब्जेक्ट इंट्रोड्यूस करते वह अदभुद है... मैं आपको फ़ोन नहीं किया ..मेल नहीं किया लेकिन इंतजार जरुर कर रहा था..
सलिल दादा प्रणाम !
लखनऊ भी कुछ समय रहे है क्या ???
बाई गॉड का कसम भीगो भीगो के मारे है आज आप हमको ... :(
वैसे आपका यह अंदाज़ इतना लुभाता है कि यह खिंचाई भी मंजूर !
सभी पाठकों, आपको , और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम को २५० वी ब्लॉग बुलेटिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
बस ऐसे ही स्नेह बनाए रखें !
बधाई इस उपलब्धि के लिये..सुन्दर सूत्र..
बधाई सभी को ....बहुत पढ़ना है ...उफ़्फ़....
सलिल जी,,,,ब्लॉग बुलेटिन की २५० वीं पोस्ट के लिए आपको तथा पूरी टीम को हार्दिक बधाई शुभकामनाए,,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
आपको इस नेक काम के लिए हार्दिक बधाई ....आप यूं ही प्रगति करते रहें .....मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका आभार ......जय हिंद ..!
ैबाबा ैकी पोस्ट न शामिल करने के लिए आभार, भारी होने से बच गई पोस्ट
बाबाओं का खुद समय बहुत भारी चल रहा है जी , ऐसे में पोस्ट से लेकर दोस्त तक , शामिल नहीं हो पा रहे हैं , क्या किया जाए । दसबंद की चाह बाबाओं को अक्सर खुद पर ही किरपा बरसा देती हैं । :) :)..दो सौ पचास टन की पोस्ट से और भारी करते तो गूगल दांत चियार के पड जाते :)
मंदारिन बोलचाल में कोनो आदमी को २५० कहने का माने होता है “इस्टूपिड फेलो”. एही से का आप हमको ‘२५०’ थमा दिए हैं!!
आनंद आ गया इस 250वीं पोस्ट को पढ़ कर!!! सलिल दा आपके अंदाज़ का क्या कहने? 8 अगस्त के साथ-साथ और बहुत सी बातें भी सिखने को मिली इस पोस्ट से...
बधाई हो!
ब्लॉगिंग के सकारात्मक परिणाम भी कम नहीं .
250वीं पोस्ट की बहुत बधाई !
बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं
२५० वीं पोस्ट पर बधाई .... !!
शुभकामनायें ....सलिल जी.... !!
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