प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
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प्रणाम !
हाथ मिलाने की प्रथा कब शुरू हुई? इस बारे में कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। हालांकि, साक्ष्य ऐसे भी मिले हैं, जिनसे यह प्रमाणित होता है कि यह प्रथा सदियों पुरानी है। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, हाथ मिलाने की प्रथा की शुरुआत की सर वाल्टर रैले ने। रैले ब्रिटिश कोर्ट में कार्यरत थे और वह समय था लगभग सोलहवीं सदी के आसपास का।
बहरहाल, हाथ मिलाने की इस अनोखी प्रथा से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। मसलन, कहा जाता है कि यदि कोई किसी संक्रामक बीमारी से ग्रसित हो, उनसे हाथ मिलाने से परहेज करना चाहिए। वहीं, मीटिंग में, अभिवादन करने में, बधाई देने के लिए आदि कई अवसरों पर हाथ मिलाने की प्रथा आम है।
विभिन्न संस्कृतियों व देशों में भी यह चलन में है। जैसे, पारंपरिक अमेरिकी लोग जब सार्वजनिक रूप से किसी महिला से हाथ मिलाते हैं, तो वे दाएं हाथ में ग्लव्स जरूर पहने होते हैं। लेकिन किसी समारोह या उत्सव में वे ऐसा नहीं करते। दूसरी तरफ, यूरोप के कुछ देशों में ग्लव्स पहनकर हाथ मिलाने को बैड मैनर्स से जोड़कर देखा जाता है।
गिनीज बुक में हाथ मिलाने को लेकर कई तरह के रिकॉर्ड दर्ज हैं। मेयर जोजफ लैजरो एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने एक दिन में 11, 000 लोगों से हाथ मिलाने का रिकॉर्ड दर्ज करवाया। यह रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। इससे पहले यह रिकॉर्ड अमेंरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट के नाम था। उन्होंने एक दिन में कुल 8,513 व्यक्तियों से हाथ मिलाकर यह रिकॉर्ड अपने नाम किया था। गिनीज बुक में साढ़े नौ घंटे तक हाथ मिलाने का अनोखा रिकॉर्ड है, जो आज भी बरकरार है।
अमेरिका में सोल ब्रदर हैंडशेक या यूनिटी हैंडशेक का चलन लगभग साठ के दशक में खूब प्रचलन में था। इसमें अफ्रीकी और अमेरिकी लोग आपस में हाथ मिलाते थे। आज भी यह प्रथा अमेरिका के अलग-अलग प्रांतों में कायम है।
हाथ मिलाने के तरीकों को व्यक्ति की पर्सनैल्टी से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई पूरे दमखम या गर्मजोशी से हैंडशेक करता है, तो यह संबंधित व्यक्ति की मजबूत इच्छाशक्ति की ओर संकेत करता है और इसके विपरीत ढीलेपन से हाथ मिलाना कमजोर व्यक्तित्व की निशानी होती है।
वैसे आप कैसे हाथ मिलाते ??
सादर आपका
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posted by काजल कुमार Kajal Kumar at Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
posted by Sanjay Mahapatra at फुरसतनामासोमारू – अबे मंगलू , तैं त ईकोनोमिक्स पढ़े हस का बे ? मंगलू - अबे मोला का तैं गँवार समझे हस । अबे ऐमे कियों हो बे, ओ भी बिना चीट मार के । मौनी बाबा जैसन कौनो फर्जी डॉक्टर नई हों । सोमारू – चल बे तो...
posted by रश्मि प्रभा... at मेरी नज़र सेकुछ लोग लिखते नहीं नुकीले फाल से सोच की मिट्टी मुलायम करते हैं शब्द बीजों को परखते हैं फिर बड़े अपनत्व से उनको मिट्टी से जोड़ते हैं उम्मीदों की हरियाली लिए रोज उन्हें सींचते हैं एक अंकुरण पर सजग हो...
posted by nilesh mathur at आवारा बादलकल फिर शहर बंद रहेगा दंगों के विरोध मे रैली और धरना होगा कुछ खद्दरधारी भाषण देंगे और फिर अगले दिन जनजीवन सामान्य होगा, यूँ ही मृतकों के परिजन रोते रहेंगे दंगे और विरोध प्रदर्शन होते रहेंगे, यूँ ही ह...
posted by Suman at लो क सं घ र्ष !आदर्श मरना नही आदर्श के लिए जीना ...भगत सिंह * *आतंकवाद के चुभते सवाल के बारे में हमें बहुत साफ़ विचार रखने चाहिए | बम का यह रास्ता काफी पुराना है | 1905 से चल रहा है | यह क्रांतिकारी भारत पर दुखद: टिप्प...
posted by Pallavi saxena at मेरे अनुभव (Mere Anubhav)नमस्कार दोस्तों आज बहुत दिनों बाद आप सब के बीच उपस्थित हुई हूँ,क्यूंकि पिछले कुछ दिन पूर्व ही इंडिया से वापस आई हूँ और अब तक वहाँ की खुमारी उतरी नहीं है। इसलिए क्या लिखूँ कुछ खास समझ नहीं आ रहा है लेकिन ...
posted by Tulika Sharma at मन का कैनवसउमर के पूरे आँगन में बिखरी बेचैनियों को पकड़ कैसे सकोगे बहुत फिसलन भरे होते हैं बेचैनियों के हाथ पाँव होते हैं मगर इनके .. टहलती रहती हैं दिल के हर कोने में और झाडती रहतीं हैं राख .. बहुत कुछ ज...
posted by पंकज सुबीर at सुबीर संवाद सेवा[image: 5th Anniversary Ribbon6] पांच साल पहले जब इस सफ़र की शुरूआत की थी तब पता नहीं था कि 'लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया' इस मिसरे को हकीकत में बदलते देखने का मौका आने वाले पांच साल में मिलने वाल...
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posted by dheerendra at काव्यान्जलि ...जख्म जब तेरी याद आई आँखों में आँसू आ गये, तुम्हारी खातिर हँसते-हँसते जख्म खा गये! न दिन को चैन रहा न रात को नीद आई, जिसके लिए जंग छेडा वो गैरों को भा गई! एक इन्तजार था कि कभी तुझे घर लायेगें, कल्पना न क...
posted by आशा जोगळेकर at स्व प्न रं जि ताहम बोले तो बडबोले वे बोले, वाह, क्या बोले ! कौन किसी की सुनता है, सब अपनी अपनी बोले । उनसे कल क्या बात हुई, जो तेरा तन मन डोले । काम गती पकडे कैसे, गाडी खाये हिचकोले. रानी हुकुम चलाये तो, मंत्री प्र...
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!
8 टिप्पणियाँ:
लिंक्स से अच्छा हाथ मिलाया है :).बढ़िया बुलेटिन.
वैसे आप कैसे हाथ मिलाते ??
uske liye bhai aapko Patna aanaa hogaa :)
रोचकता लिए आया ब्लॉग बुलेटिन ....जहां तक हाथ मिलाने का ज़िक्र है बशीर बद्र साहब को याद करिए -बात कम कीजे जहानत को छिपाए रहिए ,ये नया शहर है कुछ दोस्त बनाए रहिए ,दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
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शनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं .
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)http://veerubhai1947.blogspot.com/
ACHHE LINKS
हाथ मिलाने के बारे में रोचक जानकारी मिली, शुक्रिया। साथ ही इन उपयोगी लिंक्स के लिए भी शुक्रिया।
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सभी ब्लॉगर्स का अदब और तहज़ीब की नगरी में स्वागत है... लेकिन साथ ही साथ एक सवाल भी पूछना चाहूँगा कि आप ब्लॉगिंग क्यों करते हैं?
बड़े सुन्दर और सजीव सूत्र..सोचने को विवश करते हुये..
दुश्मनी लाख सही, खत्म न कीजे रिश्ता,
दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिये!
जोरदार लिंक हैं।
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!