प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
आज आप को एक कविता सुनाने का मन है ... बहुत पहले नेट पर पढ़ी थी ... कवि का नाम तो पता नहीं चला पर कवि की बात दिल को छू गई थी !
लीजिये आप भी पढ़िये ...
प्रणाम !
आज आप को एक कविता सुनाने का मन है ... बहुत पहले नेट पर पढ़ी थी ... कवि का नाम तो पता नहीं चला पर कवि की बात दिल को छू गई थी !
लीजिये आप भी पढ़िये ...
शहर की इस दौड में दौड के करना क्या है?
यही जीना हैं दोस्तों... तो फिर मरना क्या हैं?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िकर हैं......भूल गये भींगते हुए टहलना क्या हैं.......
सीरियल के सारे किरदारो के हाल हैं मालुम......पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुरसत कहाँ हैं!!!!!!
अब रेत पर नंगे पैर टहलते क्यों नहीं........?????
१०८ चैनल हैं पर दिल बहलते क्यों नहीं!!!!!!!
इंटरनेट पे सारी दुनिया से तो टच में हैं.......लेकिन पडोस में कौन रहता हैं जानते तक नहीं!!!!
मोबाईल, लैंडलाईन सब की भरमार हैं.........ज़िगरी दोस्त तक पहुंचे ऐसे तार कहाँ हैं!!!!
कब डूबते हुए सूरज को देखा था याद हैं??????
कब जाना था वो शाम का गुजरना क्या हैं!!!!!!!
तो दोस्तो इस शहर की दौड में दौड के करना क्या हैं??????
अगर यही जीना हैं तो फिर मरना क्या हैं!!!!!!!
यही जीना हैं दोस्तों... तो फिर मरना क्या हैं?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िकर हैं......भूल गये भींगते हुए टहलना क्या हैं.......
सीरियल के सारे किरदारो के हाल हैं मालुम......पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुरसत कहाँ हैं!!!!!!
अब रेत पर नंगे पैर टहलते क्यों नहीं........?????
१०८ चैनल हैं पर दिल बहलते क्यों नहीं!!!!!!!
इंटरनेट पे सारी दुनिया से तो टच में हैं.......लेकिन पडोस में कौन रहता हैं जानते तक नहीं!!!!
मोबाईल, लैंडलाईन सब की भरमार हैं.........ज़िगरी दोस्त तक पहुंचे ऐसे तार कहाँ हैं!!!!
कब डूबते हुए सूरज को देखा था याद हैं??????
कब जाना था वो शाम का गुजरना क्या हैं!!!!!!!
तो दोस्तो इस शहर की दौड में दौड के करना क्या हैं??????
अगर यही जीना हैं तो फिर मरना क्या हैं!!!!!!!
पता नहीं हम मे से कितने ठीक ऐसे ही मर मर कर जी रहे है !!??
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!
10 टिप्पणियाँ:
भैया आपको सच में नहीं पता है या मजाक कर रहे हैं..ये तो 'लगे रहो मुन्नाभाई' फिल्म से है....देखिये इस विडियो को -
http://youtu.be/TMVVUxJGEy4
मुझे सच मे नहीं मालूम था ... आभार इस जानकारी के लिए ... साथ साथ भैया इसके लेखक के बारे मे भी कुछ बता दो तो बड़ा उपकार होगा !
बहुत सुन्दर कविता है । धन्यवाद आपका जो इस कविता को साझा किया । शुभरात्रि ।
शिवम भाई, दुखती रग पर उंगली रख दी है, पर किया क्या जाए। इस सुंदर चर्चा के लिए बधाई।
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आश्चर्यजनक किन्तु सत्य! हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन : अंग्रेजी अखबार के पहले पन्ने की पहली खबर!
गर्मागर्म सूत्र...बहुत रोचक...
achhe links
कविता बहुत कुछ कह गई ...
आप सब का बहुत बहुत आभार !
गज़ब मामला है भाई.......
:)))).
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