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गुरुवार, 27 जून 2019

ब्लॉग बुलिटेन-ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 (चौथा दिन) कविता





आज हम आपको मिलवाते हैं उषा किरण जी से, जिन्होंने हाल में ही अपना ब्लॉग बनाया, और पाठकों के साथ एक अद्भुत ताना बाना जोड़ा।  इनकी कलम में एक ऐसी ज़िन्दगी की ताकत है, जिससे हर कोई किसी न किसी तरह खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता है।  
ये स्वयं कहती हैं -
"मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले
तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं
और जब शब्दों से भी मन भटका
तो रेखाएं उभरीं और
रेखांकन में ढल गईं...
इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये
ताना- बाना
यहां मैं और मेरा समय
साथ-साथ बहते हैं""



जब वे
किसी अस्मिता को रौंद
जिस्म से खेल
विजय-मद के दर्प से चूर
लौटते हैं घरों को ही
तब चीख़ने लगते हैं अख़बार
दरिंदगी दिखाता काँपने लगता है
टी वी स्क्रीन
दहल जाते हैं अहसास
सहम कर नन्हीं चिरैयों को
ऑंचल में छुपा लेती हैं माँएं...
और रक्तरंजित उन हाथों पर
तुम बाँधती हो राखी
पकवानों से सजाती हो थाली
रखती हो व्रत उनकी दीर्घायु के लिए
भरती हो माँग
तर्क करती हो
पर्दे डालती हो
कैसे कर पाती हो ये सब ?
कैसे सुनाई नहीं देतीं
उस दुर्दान्त चेहरे के पीछे झाँकती
किसी अबला की
फटी आँखें,चीखें और गुहार ?
किसी माँ का आर्तनाद
बेबस बाप की बदहवासी ?
बोलो,क्यों नहीं दी पहली सजा तब
जब दहलीज के भीतर
बहन या भाभी की बेइज़्ज़ती की
या जब छीन कर झपटा मनचाहा ?
तुम्हारे इसी मुग्ध अन्धत्व ने
सौ पुत्रों को खोया है
उठो गाँधारी !
अपनी आँखों से
अब तो पट्टी खोलो...!!

52 टिप्पणियाँ:

रंजू भाटिया ने कहा…

सुंदर रचना

yashoda Agrawal ने कहा…

बेहतरीन रचना...
आभार पढ़वाने हेतु
सादर

shobhana ने कहा…

सशक्त रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

झकझोर देने वाली रचना . गांधारी बन हर दुष्कर्म पर पर्दा न डालें . बलात्कारी घटनाओं से आक्रोशित मन सटीक आह्वान कर रहा है . उषा किरण जी को इस प्रभावी रचना के लिए बधाई .

shikha varshney ने कहा…

सशक्त रचना

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

गांधारी न बनने का सशक्त आह्वान, बेहतरीन अभव्यक्ति!

Archana Chaoji ने कहा…

बहुत अच्छी रचना,विषय को आदि से जोड़कर ....👍👍👍

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

काश की हम महिलाएं आँखों पर बँधी इन पट्टी को खोल पाते ..प्रासंगिक रचना ..👌

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन बुलेटिन अद्भुत रचना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कमाल की रचना है ...

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

मेरी पहली भेंट उषा जी की लेखनी से
शानदार भावाभिव्यक्ति

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

समाज की वर्तमान हालात पर बखूबी लिखा है ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

काश कि उषा किरण जी की ये पुकार मौजूदा दौर की गांधारी सुन ले और अपने वहशी पुत्रों को रोक ले |

Anita ने कहा…

वर्तमान हालातों से जूझने को प्रेरित करती प्रभावशाली रचना

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

पहली बार पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ उषा जी को. बहुत ही प्रभावशाली रच्ना... दिल को छूने और झकझोरने वाली रचना... शब्दों का चयन सुंदर है और रचनाकार की भावाभिव्यक्ति में सक्षम भी है!

संध्या शर्मा ने कहा…

स्वागत आपका... बहुत प्रभावी रचना, सुंदर शब्दचयन... शुभकामनाएं

संध्या शर्मा ने कहा…

स्वागत आपका... बहुत प्रभावी रचना, सुंदर शब्दचयन... शुभकामनाएं

उषा किरण ने कहा…

आपका बहुत धन्यवाद !

उषा किरण ने कहा…

आभार शोभना जी !

उषा किरण ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
उषा किरण ने कहा…

आभार शिखा !

उषा किरण ने कहा…

धन्यवाद ऋता जी !

उषा किरण ने कहा…

अर्चना जी आभार आपका !

उषा किरण ने कहा…

काश....धन्यवाद!

उषा किरण ने कहा…

धन्यवाद अनुराधा जी !

उषा किरण ने कहा…

आभार आपका!

उषा किरण ने कहा…

उत्साहवर्धन हेतु आभार आपका !

उषा किरण ने कहा…

धन्यवाद रेखा जी !

उषा किरण ने कहा…

जी बस यही आशा है ...काश...!

उषा किरण ने कहा…

अनीता जी आभार आपका !

Sadhana Vaid ने कहा…

चेतना को झकझोरती अत्यंत सशक्त रचना ! उषा जी की कलम और कलाकारी हम तो दोनों के ही मुरीद हैं ! हार्दिक शुभकामनाएं उषा जी !

उषा किरण ने कहा…

बहुत आभार आपका !

उषा किरण ने कहा…

बहुत धन्यवाद संध्या !

उषा किरण ने कहा…

आपका बहुत आभार साधना जी आप हमेशा ही हौसला बढ़ाती हैं !

वाणी गीत ने कहा…

गाँधारी का मोह महाभारत होने देने के लिए एक कारण रहा है.
अच्छी रचना.

Meena sharma ने कहा…

बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति। ताना बाना पढ़ रही हूँ।

M VERMA ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
M VERMA ने कहा…

यथार्थ धरातल का कड़वा सच
उत्कृष्ट और मार्मिक

सदा ने कहा…

बेहद सशक्त और सटीक रचना ... उत्कृष्ट लेखन के लिये बधाई सहित शुभकामनाएं ...
सादर

उषा किरण ने कहा…

जी वाणी और आज भी पुत्रमोह की पट्टी बाँधे कम नहीं हैं गाँधारी ...धन्यवाद आपका !

उषा किरण ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
उषा किरण ने कहा…

धन्यवाद रंजु जी !

उषा किरण ने कहा…

बहुत धन्यवाद आपका!

उषा किरण ने कहा…

बहुत शुक्रिया हौसला बढ़ाने का!

उषा किरण ने कहा…

आभारी हूँ आपकी प्रतिक्रिया पर आशा है आप आगे भी हौसला बढ़ाती रहेंगी 😊

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

बहुत खूब , दिल को खरोंचती हुई कविता

Preeti 'Agyaat' ने कहा…

सच कहा! शिक्षा घर से ही देनी होगी.

रेणु ने कहा…

अत्यंत प्रेरक और सार्थक ल रचना आदरणीय उषा जी | यदि हर माँ पत्नी बेटी परिवार के दुराचारी प्पुरुस्शों को संरक्षण देना छोड़ दे तो समाज से इस तरह के अपराध मिटने में बहुत सहायता मिलेगी |

उषा किरण ने कहा…

धन्यवाद गिरिजा जी उत्साह बढ़ाने का😊

उषा किरण ने कहा…

जी ...संस्कार व शिक्षा की पहली पाठशाला घर ही है ...धन्यवाद!

उषा किरण ने कहा…

यही कहना चाहा है मैंने आखिरकार अपराधी, बलात्कारी का भी तो परिवार होता है वे क्यों नहीं सजा देते ? क्यों साथ देते हैं सब लोग ...माँ का काम है बेटे को सही गलत की शिक्षा देना और गल्ती पर दंड देना भी....धन्यवाद!

उषा किरण ने कहा…

मीना जी आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा...धन्यवाद😊

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