प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
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"हर एक लकीर, एक तजुर्बा है जनाब,
झुर्रियां चेहरों पर, यूँ ही आया नही करती।"
- अज्ञात
झुर्रियां चेहरों पर, यूँ ही आया नही करती।"
- अज्ञात
सादर आपका
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कोशिश का मूल्यांकन
मैं भाग रही हूँ तुमसे दूर
संतुष्ट है भारत
कच्चे केले का चोखा
भजन-कीर्तन भी दिनचर्या की औपचारिकता भर रह गए हैं
चिकित्सक भी डर गया है ... सहम गया है
सिने-संगीत इंद्र का घोड़ा है : 'विविध भारती' के प्रधान नियोजक और कवि नरेंद्र शर्मा से इन प्रश्नों के उत्तर सुनिए
भारत के संविधान में बहुसंख्यकों की उपेक्षा, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ व बरुण...
एक सफर : कॉर्पोरेट से किसानी तक
गांव, मसान और गुड़गांव
बाहों में आपकी पापा !!
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
4 टिप्पणियाँ:
अच्छे लिंक ढ़ूंढ़ लाये.
दो ब्लॉग व्लॉग की शक्ल में भी है. यदि हम उन्हें सुनने के साथ ही लिखा हुए भी पढ़ें तो ब्लॉग माध्यम की सार्थकता बढ़ती है.
विविधरंगी सूत्रों से सजा बुलेटिन, आभार मुझे भी शामिल करने के लिए..
रोचक लिंक्स से सुसज्जित बुलेटिन।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!