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रविवार, 30 सितंबर 2018

भागती गाड़ियों में,उजबुजाती बातें हैं




लिखने को, 
कहने को,
छुपा लेने को,
ज़ाहिर करने को,
अनगिनत बातें हैं। 
हौसला है सच कहने का, 
लेकिन, वक़्त किसके पास है ?
जिनके पास कुछ देर ठहरने का समय है,
उनके पास खुद की बहुत सारी बातें हैं !
भीड़ में,
भागती गाड़ियों में,
 उजबुजाती बातें हैं,
गाड़ी का शीशा नीचे करो,
तो प्राकृतिक गर्मी बर्दाश्त नहीं होती,
और उस पर बातों की बेशुमार भीड़ से,
ट्रैफिक जाम रहता है,
धीरे धीरे घर पहुँचो,
तो  ... बात कौन करे,
सोने दो भाई। 

4 टिप्पणियाँ:

yashoda Agrawal ने कहा…

आदरणीय दीदी
बेहतरीन रचनाएँ पढ़वाई आपने
आभार
सादर नमन

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

भागती गाड़ियों में,
उजबुजाती बातें हैं,
बहुत सुन्दर।

Anita ने कहा…

बातें कितनी भी कह लें चुकती ही नहीं..इसीलिए शिव भी समाधि में चले जाते हैं..और विष्णु भी योगनिद्रा का सहारा लेते हैं..सुंदर बुलेटिन..आभार !

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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