नमस्कार
साथियो,
आज,
13 सितम्बर अमर शहीद जतीन्द्रनाथ दास की पुण्यतिथि
है. उनका जन्म 27 अक्टूबर, 1904 को कोलकाता में एक बंगाली परिवार
में हुआ था. उनके पिता का नाम बंकिम बिहारी दास और माता का नाम सुहासिनी देवी था. जब
उनकी उम्र नौ वर्ष की थी तभी उनकी माता का निधन हो गया. सन 1920 में उन्होंने मैट्रिक
की परीक्षा उत्तीर्ण की और वे महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन में सक्रिय
रूप से जुड़ गए. इस आन्दोलन में वे गिरफ़्तार किये गए और उन्हें छह माह की सज़ा सुनाई
गई. इसके बाद जब चौरी-चौरा की घटना के बाद गाँधीजी ने आन्दोलन वापस लिया तो निराश जतीन्द्रनाथ
आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज में भर्ती हो गए. यहाँ उनकी मुलाकात प्रसिद्ध क्रान्तिकारी
शचीन्द्रनाथ सान्याल से हुई और वे क्रान्तिकारी संस्था हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन
के सदस्य बन गये.
सन
1925 में जतीन्द्रनाथ को दक्षिणेश्वर बम कांड और काकोरी कांड के आरोप
में गिरफ़्तार कर नज़रबन्द कर दिया गया. जेल में दुर्व्यवहार के विरोध में उन्होंने
21 दिन तक भूख हड़ताल की तो उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को देखकर सरकार ने उन्हें रिहा
कर दिया. जेल से बाहर आकर उन्होंने अपने अध्ययन और राजनीति को जारी रखा. बाद में कांग्रेस
सेवादल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सहायक बनने के दौरान उनकी भेंट सरदार
भगत सिंह से हुई. 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने जो बम केन्द्रीय
असेम्बली में फेंके वे इन्हीं के द्वारा बनाये गए थे. 14 जून 1929 को जतीन्द्र गिरफ़्तार
कर लिये गए और उन पर लाहौर षड़यंत्र केस में मुकदमा चला. जेल में क्रान्तिकारियों
के साथ राजबन्दियों के समान व्यवहार न होने के कारण क्रान्तिकारियों ने 13 जुलाई 1929
से अनशन शुरू कर दिया. जतीन्द्रनाथ भी इसमें शामिल हो गए. जेल अधिकारियों द्वारा
इनका अनशन तुड़वाने के लिए जबरदस्ती इनकी नाक में नली डालकर पेट में दूध डालना शुरू
किया. इसी जबरदस्ती में नली उनके फेफड़ों में चली गई. उनकी घुटती सांस की परवाह किए
बिना एक डॉक्टर ने दूध उनके फेफड़ों में भर दिया. इससे उन्हें निमोनिया हो गया.
इस
अनशन के 63वें दिन 13 सितम्बर 1929 को जतीन्द्रनाथ दास का देहान्त हो गया. कोलकाता
में उनके अंतिम संस्कार में लाखों लोग उपस्थित हुए. बुलेटिन परिवार की ओर से उनको
हार्दिक नमन.
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5 टिप्पणियाँ:
Jatindranath das ji ko naman...behtar liknks ke liye shukriya.
'बाल की खाल' निकालने का शुक्रिया!
अमर शहीद जतीन्द्रनाथ दास जी को शत् शत् नमन सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
ऐसे शहीदों के बारे में आज की और आने वाली पीढ़ी को जानकारी अवश्य ही होनी चाहिए ! पर धीरे-धीरे होता कुछ और ही जा रहा है !
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