प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज कल ...
- कुछ लोग जब रात को अचानक फोन का बैलेंस ख़त्म हो जाता है इतना परेशान हो जाते हैं कि जैसे सुबह तक वो इंसान जिंदा ही नहीं रहेगा जिससे बात करनी थी।
- कुछ लोग जब फ़ोन की बैटरी 1-2% हो तो चार्जर की तरफ ऐसे भागते है जैसे अपने फ़ोन कह रहे हों "तुझे कुछ नहीं होगा भाई, आँखे बंद मत करना मैं हूँ न सब ठीक हो जायेगा।"
- कुछ लोग अपने फोन में ऐसे पैटर्न लॉक लगाते हैं जैसे रॉ की सारी गुप्त फाइलें उनके फ़ोन में ही पड़ी हों।
- कुछ लोग जब आपसे बात कर रहे होते हैं तो बार बार अपने फ़ोन को जेब से निकालते हैं, लॉक खोलते हैं और वापस लॉक कर देते हैं। वास्तव में वे कुछ देखते नहीं हैं, बस ये जताते हैं कि वो जाना चाहते हैं।
- और अगर कभी गलती से फ़ोन किसी दूसरे दोस्त के यहाँ छूट जाए तो ऐसा महसूस होता हैं जैसे अपनी भोली-भाली गर्लफ्रेंड को शक्ति कपूर के पास छोड़ आये हों।
क्या आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं !?
सादर आपका
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खुद पर हँसने का हासिल
नमक और शकर के उपयोग मे सावधानी बरतें
पूर्ण और अपूर्ण
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में...
या देवी सर्व भूतेषु
सितम्बर
हिंदी दिवस: हिंदी बोलने पर शर्म नहीं, गर्व कीजिए...
रात में हो कचरा संकलन और निस्तारण
नव्या को मिली सीख (बाल कहानी)
..अब मेंढक नहीं टर्राते
गोलगप्पा: हाय! इस पर किसी को प्यार क्यों न आये भला!
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
11 टिप्पणियाँ:
मेरे पास तो है ही नहीं :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
आज के दौर में झूठ बोलना या बहाना बना किसी को भी मजबूरी का अहसास करवाना हास्यस्पद लगता है| काम या मतलब है तो साये की तरह नज़र और तारीफ करना नहीं दूरी बना फोन बंद रिमायड पर सैट करना अजीब व्यबहार समझ से बाहर होता है.घर बैठे फुरसत में झूठ काम में हूँ|जीवन के नैतिक मूल्य और विश्वास सा अब शक के घेरे में इन यंत्रो की वजह से हो गया हैं.जीवन किस मोड़ ज़ायेगा भरोसा सा नहीं होता.
बेहतरीन बुलेटिन प्रस्तुति
बहुत बढ़िया ब्लॉग बुलेटिन ।
Meri Rachna ko jodne ke liye Apka bahut-bahut Abhar Bhai :) sabhi sahbhagi bloggers ko badhai
फोन की वास्तविकता को बहुत ही चुटीले अंदाज में पेश किया हैं आपने। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
आज ही एक खबर चीन से थी, एक्सीडेंट में एक रॉड युवक के कंधे के आर-पार हो गयी ! एम्बुलेंस के आने तक वह मोबाईल पर गेम खेलता रहा ! अब इसे लत कहें, हिम्मत कहें या दर्द से ध्यान हटाने का प्रयास !
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
सुरुचिपूर्ण संकलन। आभार।
duibaat.blogspot.com
अच्छा संकलन. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार
dhanyawad!
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