सभी हिंदी ब्लॉगर्स को नमस्कार।
जाने-माने खेल कमेंटेटर जसदेव सिंह का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को यहां निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं। जसदेव ने 1968 से 2000 के दौरान आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए नौ ओलिंपिक, आठ हॉकी विश्व कप और छह एशियाई खेलों की कमेंट्री की। उन्होंने कई स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोहों पर भी कमेंट्री की।
कुछ साल पहले उन्होंने अपने जीवन की कहानी 'मै जसदेव सिंह बोल रहा हूं…' के रूप में एक किताब की शक्ल दी थी। उन्हें 1985 में पद्मश्री और 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
जसदेव की आवाज देश के कई ऐतिहासिक पलों को आम लोगों तक पहुंचाने का माध्यम बनी। फिर चाहे वह 1975 का हॉकी विश्व कप का फाइनल हो या अंतरिक्ष में पहले भारतीय राकेश शर्मा का पहुंचना।
जसदेव ने 1955 में जयपुर में ऑल इंडिया रेडियो में काम करना शुरू किया था। वे आठ साल बाद दिल्ली आ गए। उन्होंने 35 साल तक दूरदर्शन के लिए काम किया। खास यह है कि उन्होंने खुद कभी कोई खेल नहीं खेला।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
कुछ साल पहले उन्होंने अपने जीवन की कहानी 'मै जसदेव सिंह बोल रहा हूं…' के रूप में एक किताब की शक्ल दी थी। उन्हें 1985 में पद्मश्री और 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
जसदेव की आवाज देश के कई ऐतिहासिक पलों को आम लोगों तक पहुंचाने का माध्यम बनी। फिर चाहे वह 1975 का हॉकी विश्व कप का फाइनल हो या अंतरिक्ष में पहले भारतीय राकेश शर्मा का पहुंचना।
जसदेव ने 1955 में जयपुर में ऑल इंडिया रेडियो में काम करना शुरू किया था। वे आठ साल बाद दिल्ली आ गए। उन्होंने 35 साल तक दूरदर्शन के लिए काम किया। खास यह है कि उन्होंने खुद कभी कोई खेल नहीं खेला।
(साभार : भास्कर.कॉम)
आज जसदेव सिंह जी को हम सब स्मरण करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
7 टिप्पणियाँ:
महान कमेंटेटर जसदेव सिंह को शत शत नमन। उनकी आवाज में जो दम था वह फिर किसी आवाज
में नहीं दिखा।
मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद, सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
जसदेव सिंह जी को नमन व श्रद्धांजलि।
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
अपने आप में अनूठे थे जसदेव सिंह जी। एक समय था जब हॉकी की कमेंट्री को असंभव माना जाता था, इसे उन्होंने एक चुन्नौती की तरह लिया और नतीजा सभी जानते हैं ! उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि !
जसदेव सिंह जी को नमन सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति
जसदेव जी को सादर नमन.....
जसदेव सिंह जी को नमन व भावभीनी श्रद्धांजलि !
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!