जीवन-मृत्यु,
आरम्भ,मध्य,समापन में,
संगीत में घुले-पाँच तत्व,
आराध्य,आराधक,
किसने निर्धारित किया?
ये अदृश्य होकर
कौन लिख रहा इतनी किताबें ?
कुछ अधूरी,कुछ पूरी !
... ऐ लेखक,
मैं तुमसे मिलना चाहूँगी,
ढेर सारी बातों के मध्य,
एक बार बस एक बार,
तुमको छूना चाहूँगी !
रश्मि प्रभा
7 टिप्पणियाँ:
वाह। छूना मुश्किल है। आभार रश्मि प्रभा जी सूत्र को जगह देने के लिये।
शुभ प्रभात
बेहतरीन बुलेटिन
सादर
बेहतरीन बुलेटिन प्रस्तुति
सुप्रभात, उससे मिलना सम्भव है, पर अदृश्य से तो अदृश्य होकर ही मिला जा सकता है..पहले खुद मिटना होगा तब उसे छूना भी सम्भव है..आभार तीन बार..
behad shukriya aur aabhaar aapka !
bahut sundar rachna didi , hamari post shamil karne hetu abhar . sundar links hai
बढ़िया बुलेटिन रश्मि दीदी |
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