किसी भी रिश्ते में
आपसी समझ के लिए
निरंतर बातचीत की ज़रूरत नहीं होती
एक मौन
एक विराम
हर रिश्ते की मजबूती के लिए ज़रूरी है …
न मौन अधिक
न शब्द अधिक
अधिकता हानिकारक होती है !
बातों के प्रवाह में
संभव है अनचाहा कह देना
मौन की अधिकता में
मुमकिन है कुछ कहने से रह जाना
आपसी समझ के लिए
थोड़ी बातें
थोड़ा मौन ज़रूरी है …
6 टिप्पणियाँ:
आपकी बातें अनोखी होती है
और
चयन उम्दा
चुप रहकर भी समझा देना बहुत कुछ !
सुंदर प्रस्तुति ।
बहुत दिन बाद टिवटर खोला तो आपका सन्देश दिखा जिसे क्लिक करते ही बेहद खूबसूरत भाव पढ़ने को मिले... बहुत सुकून मिला पढ़कर ...शुक्रिया अजय
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ...आभार!
bahut sundar prastuti.
दोनों मे संतुलन बनाए रखना जरूरी है |
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