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रविवार, 13 जनवरी 2013

तिल गुड खाओ... मीठे वचन सुनाओ... ब्‍लॉग बुलेटिन

सभी मित्रों को देव बाबा की राम राम। सबसे पहले लोहडी और मकर संक्रान्ति की ढेरों शुभकामनाएं। आज के दिन तिलगुड का आनन्द लीजिए.. बडों का आशीर्वाद लीजिए और मौज कीजिए... गुनगुनी सी ठंड में अगर पतंग उडाने का मौका मिले तो चूकिए मत, त्यौहार आनन्द के लिए हैं और उनका गर्मजोशी से आनन्द लिया जाना चाहिए...  हमारे ज्योतिष विज्ञान में 12 राशियां मानी गई हैं। उनमें से एक राशि है - मकर। पौष मास में 14 जवनरी को सूर्य मकर राशि पर आ जाता है। इस दिन को संक्रान्ति कहते हैं। इस दिन से सूर्य उत्तर की ओर झुकता दिखाई देता है। दिन बड़े और रातें छोटी होनी प्रारंभ हो जाती हैं। उजाला भरता है यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और जाड़े पर धूप की विजय पाने की यात्रा इसी दिन से शुरू हो जाती है। 

सो मित्रों... तिल गुड घेया आणि गोड गोड बोला... 


(तस्वीर वेब-दुनिया के सौजन्य से)

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चलिए आज के बुलेटिन की ओर चला जाए...
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हिंद स्‍वराज-1

मनोज कुमार at विचार 
*गांधी और गांधीवाद-**14**6* *संदर्भ और पुराने पोस्टों के लिंक यहां पर* ** *1909*** *हिंद स्‍वराज-**1*** ** *1909* में जब गांधी जी के लंदन से दक्षिण अफ़्रीका लौटने का समय पास था तो एक महत्वपूर्ण घटना हुई। कनाडा में रह रहे एक भारतीय क्रांतिकारी तारक नाथ दास ने लिओ टॉल्सटॉय को एक पत्र लिखा था। वह वैंकोवेर (*Vancouver*) से प्रकाशित होने वाले पत्र ‘फ़्री हिन्दुस्तान’ के सम्पादक थे। उन्होंने टॉल्सटॉय से सलाह मांगी थी कि भारत के लोग किस तरह ख़ुद को आज़ाद कर सकते हैं? रूस वासी इस संत ने बड़ा साधारण सा जवाब दिया था – *भारतीय ख़ुद के ग़ुलाम हैं, ब्रिटिशों के नहीं। तीस हज़ार कर्मचारियों वा... more »


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मेरा दूसरा कविता संग्रह’दोस्ती’-’यश पब्लिकेशंस’ से प्रकाशित

विनोद पाराशर at सादर ब्लॉगस्ते! 
पुस्तक: दोस्ती(कविता-संग्रह) मूल्य: 195 रुपये लेखक: विनोद पाराशर प्रकाशक: यश पब्लिकेशंस 1/10753,गली नं.3,सुभाष पार्क, नवीन शाहदरा,कीर्ति मंदिर के पास, दिल्ली-110032 मो:09899938522 ई-मेल: yashpublicationdelhi@gmail.com वेबसाइड: www.yashpublications.com मित्रों! लगभग 20 वर्ष बाद,मेरा दूसरा कविता-संग्रह’दोस्ती’ प्रकाशित हुआहै.पुस्तक का प्रकाशन यश पब्लिकेशन्स,शाहदरा दिल्ली ने किया है.पुस्तक की भूमिका वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रताप सहगल ने लिखी है.साहित्यिक ई-पत्रिका ’सर्जनगाथा’ के संपादक श्री जयप्रकाश ’मानस’ व विदे... more »
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द्रौपदी - आज का भारत

द्रौपदी की ये कहानी बहुत बार पहले भी सुनी जा चुकी है , मैं फिर से सुना रहा हूँ | अब ज़रा इसे वर्तमान परिदृश्य में देखते हैं - - ध्रतराष्ट्र अर्थात दिल्ली में बैठा मूक राजा जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता , जो कोई भी कड़ा फैसला तो छोडिये , कोई सामान्य फैसला भी अपनी मर्जी से नहीं ले सकता | - पाण्डव अर्थात वे व्यक्ति जिन पर द्रौपदी की रक्षा की जिम्मेदारी है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए उन्होंने ही उसे दांव पर लगा दिया | - सभा में मौजूद अन्य सदस्य अर्थात तमाशबीन जनता , जिसकी पसंदीदा पंक्ति है - "मुझे क्या ? ये मेरे घर का मसला नहीं है |", जो... more »

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हो सके तो मुझे माफ़ कर देना

हो सके तो मुझे माफ़ कर देना माफ़ ना कर सको तो बद्दुआ मत देना बद्दुआ भी दो तो मेरा नाम मत भूलना नाम भी भूल जाओ तो जो कहता हूँ उसे याद रखना दुश्मन को दोस्त बना लाना कभी दोस्त को दुश्मन मत बनाना मुझ से तो नफरत कर ली तुमने किसी और से नफरत मत करना 896-14-05-12-2012 दोस्त,दुश्मन,दोस्ती,माफी, नफरत Dr.Rajendra Tela"Nirantar"

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लड़ना जानती हैं बेटियाँ-2

रणधीर सिंह सुमन at लो क सं घ र्ष ! 
एक ओर रोज़गार तथा व्यावसायिक शिक्षा के अवसरों का बड़े नगरों तक केन्द्रित होते जाना, विपुल सम्पदा तथा आधुनिकता की चकाचैंध का बढ़ना, दूसरी ओर सामाजिक पिछड़पन, शिक्षा व रोज़गार के अवसरों का सीमित होना, आधुनिकता के अवदानों की वंचना। फलस्वरूप ग्रामीण अंचलों, छोटे शहरों तथा अन्य पिछड़े क्षेत्रों से युवा वर्ग तथा दूसरे आयुवर्ग के लोगों का बड़े नगरों की ओर पलायन। ऐसे में युवाओं पर जीवन शैली को बदलने का दबाव बनना लाज़मी है। खुली हवा में साँस लेने के लिये बेचैन बेटियाँ जबरन थोपी गयी वर्जनाएं तोड़ती हैं, अपनी साहसिकता में कुछ ख़तरे भी उठाती हैं। मुक्ति के चिन्तन के साथ आगे बढ़ना है तो ख़तरे उठ... more »

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सच कहता हूँ...

प्रतुल वशिष्ठ at ॥ दर्शन-प्राशन ॥ 
सच कहता हूँ, सच कहता हूँ अकसर तो मैं चुप रहता हूँ तन मन पर पड़ती मारों को बिला वजह सहता रहता हूँ .... सच कहता हूँ। वर्षों से जो जमा हुआ था जो प्रवाह हृत थमा हुआ था आज नियंत्रित करके उसको धार साथ में खुद बहता हूँ ... सच कहता हूँ। इस दृष्टि में दोष नहीं था भावुकता में होश नहीं था खुद को दण्डित करने को अब धूर्तराज खुद को कहता हूँ ... सच कहता हूँ। ___________________ *कंठ शीत ने बिगाड़ दिया है। अन्यथा सस्वर प्रायश्चित करता!!*

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‘सैनिक समाचार’:100 साल की सैन्य पत्रकारिता का जीवंत दस्तावेज

संजीव शर्मा at नुक्कड़ 
‘सैनिक समाचार’ का नाम सामने आते ही एक ऐसा जीवंत दस्तावेज सामने आ जाता है जो गुलामी के दौर से लेकर देश के आज़ाद होकर अपने पैरों पर खड़े होने और फिर विकास के पथ पर अग्रसर होने का साक्षी है. पत्रकारिता में गहरी रूचि नहीं रखने वाले लोगों के लिए भले ही यह नाम कुछ अनजाना सा हो सकता है परन्तु पत्रकारों के लिए तो यह अपने आप में इतिहास है. आखिर दो विश्व युद्धों से लेकर पाकिस्तान से लेकर बंगलादेश बनने और फिर भारत के नवनिर्माण की गवाह इस पत्रिका को किसी ऐतिहासिक दस्तावेज से कम कैसे आंका जा सकता है. आज के दौर में जब दुनिया भर में प्रिंट मीडिया दम तोड़ रहा है या फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया से लेक... more »

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मिस्टर गार्डेनर {Mr. Gardener}

माधव( Madhav) at माधव 
माधव के स्कुल मे Parents Orientation के दौरान हमें दो स्टोरी सुनाई गयी थी . पहली स्टोरी थी - स्टोरी ऑफ दार्जिलिंग बॉय {Story of Darjeeling Boy} और दुसरी स्टोरी थी मिस्टर गार्डेनर {Mr. Gardener}. मिस्टर गार्डेनर {Mr. Gardener} की स्टोरी भी बहुत ही प्रेरणादायक थी. कहानी के अंश अंगरेजी मे : *स्टोरी ऑफ मिस्टर गार्डेनर {Story of Mr. Gardener}* *Mr. Gardener was a man in love with flowers. To grow all sorts of flowers was his only aim in life. To talk to his flowers, look at them, to enjoy their fragrance was all his delight. One day, he called his friends to his garden for a p... more »


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यह शुरुआत है, आगे लंबी लड़ाई

आधुनिकता का मतलब अंगरेजी गीत गाना और जींस पहनना नहीं है। यह हल्की सोच है। आधुनिकता का अर्थ है, सामाजिक और राजनीतिक समानता। भारत ने इस दिशा में पहला कदम उठाया है। उथल-पुथल, संघर्ष और अनैतिक बातें साबित करती है कि रूढ़िवादी आसानी से अपनी पकड़ को नहीं जाने देंगे। बदलाव दिख रहा है, लेकिन लंबी लड़ाई अभी शुरू ही हुई है। यह शांत है। यह जटिल है। वहां बेचैनी है, लेकिन शोर नहीं है। वहां आत्मसंशय और अनिश्‍चिय है, क्योंकि ऐसा लगता है कि उसमें बंदिश है, धर्म की नहीं बल्कि कुछ धार्मिक लोगों की। भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति नि:संदेह विश्‍व के सबसे प्रमुख मत हिंदुत्व और अंत में इसलाम से प्रभावित र... more »


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सर कटा भी है सर झुका भी है....

Padm Singh at ढिबरी 
खबर है कि सीमा पर पाकिस्तान फ्लैग वार्ता करने को तैयार है... तैयार है मतलब? जिसने पड़ोसी और शान्ति के लिए बार बार पहल करने वाले स्वयंभू दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक राष्ट्र की सीमा का उयलंघन किया हो, हर तरह से बड़े और शक्तिशाली देश के एक सैनिक का सर काट लिया हो, सीमा पर युद्ध जैसे हालात पैदा किए हों, फ्लैग वार्ता भी करने को वही तैयार होता हो। भारत जैसा सक्षम देश उस देश को फ्लैग वार्ता के लिए पुकारता रहे जिसका खर्च ही विकसित देशों की चापलूसी से चलता हो। सीमा पर सीज़ फायर होने के बावजूद गोलीबारी होना क... more »


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फिल्में एक सूत्र में बांधने का माध्यम: अमिताभ

Kusum Thakur at आर्यावर्त 
बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा पर लग रहे आरोपों से परेशान हैं। उन्होंने सिनेमा जगत का बचाव करते हुए कहा कि यही वह जगह है जो लोगों को एक छत के नीचे एकजुट करती है। अमिताभ (70) ने कहा कि बहुत से लोग बहुत सारी बातों और कमजोरियों के लिए भारतीय सिनेमा को कोसते हैं। मैं कहता हूं कि जब बहुत से लोग एक सिनेमाहॉल में फिल्म देखने के लिए जमा होते हैं, तब बगल में बैठे दूसरे व्यक्ति की जाति, धर्म, रंग नहीं पूछते। बिग बी मुम्बई विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे जहां फिल्मों में अपूर्व योगदान और उपलब्धियों के लिए उन्हें सम्मानित किया जाना था। उन्होंने क... more »


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सो मित्रों आशा है की वर्ष के पहले त्यौहार का आनन्द आप पूरे परिवार के साथ लेंगे, हम भी कल मिलते हैं एक नये रूप के साथ.. तब तक के लिए देव बाबा को इज़ाजत दीजिए

जय हिन्द
देव

5 टिप्पणियाँ:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बढ़िया लिनक्स लिए बुलेटिन, सभी को हार्दिक शुभकामनायें

शिवम् मिश्रा ने कहा…

अपनी सरकार का बस चले तो आज के दिन एक नया नारा दे दे ... "रोज़ गोली खाओ , सर कटाओ ... फिर भी अमन की आशा बढ़ाए जाओ"

खैर ... सब को हार्दिक शुभकामनायें !

बढ़िया बुलेटिन लगाए देव बाबू !

Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता ने कहा…

happy sankranti everyone

vandana gupta ने कहा…

बढिया बुलेटिन

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबको मकरसंक्रान्ति की शुभकामनायें..

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