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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

आओ फिर दिल बहलाएँ ... आज फिर रावण जलाएं - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज दशहरा है ... इस अवसर पर लीजिये पेश है एक लतीफा ...


रावण को कोर्ट में लाया गया और कहा गया, "गीता पर हाथ रखो !"
 रावण बोला, " सीता पर हाथ रखा तो इतना बवाल हुआ ... और अब गीता पर ! माफ़ करना सर, सज़ा भले ही कुछ भी दे दो पर अब मैं कोई भी रिस्क नहीं लूँगा ! "



पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को शुभ दशहरा !

सादर आपका 


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सरकारी अस्पताल में पुरुष नर्स।

VICHAAR SHOONYA at विचार शून्य
नर्सिंग एक महिला प्रधान पेशा है। पुरुष भी नर्स बन सकते हैं ये बात मुझे पता थी पर अभी तक मैंने किसी पुरुष को नर्स का कार्य करते हुए देखा नहीं था। पिछले कुछ दिन मेरे बच्चे डेंगू की वजह से दिल्ली के एक सरकारी बाल चिकित्सालय में भर्ती थे। वहां मैंने पहली बार किसी पुरुष को नर्स के रूप में कार्य करते हुए देखा। दो युवक मेडीसिन वार्ड में नर्स के तौर पर कार्यरत थे। मैं दोनों के ही कार्य से बहुत प्रभावित हुआ। उनका संयम, धेर्य और बाल मरीजों से बात करने का तरीका काबिले तारीफ था। आम तौर पर सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सें अपने कार्य के प्रति बेहद असंवेदनशील होती हैं।इसके विपरीत ये दोने युव... more »

राजपूत नारियों की साहित्य साधना

noreply@blogger.com (Ratan singh shekhawat) at ज्ञान दर्पण
भारतीय इतिहासकारों ने शासक जाति राजपूत नारियों के द्वारा शासन सञ्चालन में योगदान, युद्ध बेला में शत्रु सामुख्य जौहर तथा शाकों में आत्म-बलिदान और पति की मृत्यु पर चितारोहण कर प्राण विसर्जन करने आदि अति साहसिक कार्यों पर तो प्रकाश डाला है परन्तु उनके द्वारा सर्वसाधारण के हितार्थ किये गए विशिष्ट सेवा कार्यों की ओर तनिक भी विचार नहीं किया है| राजपूत नारियों ने राजस्थान के नगरों,कस्बों और गांवों में हजारों की संख्या में मंदिरों, मठों, पाठशालाओं, कूपों, वापिकाओं, प्रपातों का निर्माण करवाया है| सर्वजन हिताय: के लिए नारियों की यह देन वस्तुत: महत्त्व की है| इसी प्रकार स्थापत्य कला के अतिरि... more »

दशहरे पर !

रेखा श्रीवास्तव at मेरा सरोकार
आज दशहरे पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हर शहर में और कई जगह पर रावण के पुतलों को जलाया जाएगा और परंपरागत रूप से घर के बड़े बच्चों को ये कहते हुए सुने जा सकते हैं कि ये तो बुराई के अंत और भलाई की बुराई के ऊपर विजय का पर्व है, इसी लिए बुराई के प्रतीक रावण को भलाई के प्रतीक राम जी इसको जलाते हैं। रावण एक प्रतीक है और जब ये प्रतीक था तो सिर्फ और सिर्फ एक ही रावण था . उसके अन्दर पलने वाली हर बुराई उसके अन्दर के विद्वान पर भारी पड़ी थी और फिर उसका अंत हुआ . लेकिन कभी हमने सोचा है कि रावण तो आज भी जिन्दा है और आज व... more »

"शून्यं चाशून्यं च"

सूर्यकान्त गुप्ता at उमड़त घुमड़त विचार
* माँ भगवती की अराधना के अभी अभी बीते वे नौ दिन थे। श्रद्धा, विश्वास, आस्था के सम्पूर्ण दर्शन कराने वाले ये नौ दिन। एक तरफ माँ शक्ति के उपासक की उपासना, दूसरी और "आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरी" की अवधारणा के साथ पहाड़ावाली माँ बमलेश्वरी के दर्शन की लालसा लिए मीलों पैदल चलने वालों की श्रद्धा व आस्था। माँ भगवती भक्तों को अपने किसी न किसी स्वरूप का दर्शन अवश्य कराती है। * * लगता है हमने भी माँ के विभिन्न स्वरूपों में से एक "शून्य" स्वरुप का ब्लॉग के माध्यम से दर्शन किया। मन को रोक नहीं पाए। ध्यान आया माँ भवानी की स्तुति के ... more »

"कागज़ ही तो काले करती हो "

तोड़ने से पहले तोडना और जोड़ने से पहले जोड़ना कोई तुमसे सीखे कितनी आसान प्रक्रिया है तुम्हारे लिए ना जाने कैसी सोच है तुम्हारी ना जाने कैसे संवेदनहीन होकर जी लेते हो जहाँ किसी की संवेदनाओं के लिए कोई जगह नही होती होती है तो सिर्फ एक सोच अर्थ की दृष्टि से अगर आप में क्षमता है आर्थिक रूप से कुछ कर पाने की तब तो आप की कोई जगह है वर्ना आपका नंबर सबसे आखिरी है बेशक दूसरे आपको सम्मान देते हों आपके लेखन के कायल हों मगर आप के जीवन की यही सबसे बड़ी त्रासदी होती है आप अपने ही घर में घायल होती हो नहीं होता महत्त्व आपका आपके लेखन का आपके अपनों की नज़रों में ही और आसान हो जाता है उनके  more »

विजयादशमी,,,

Dheerendra singh Bhadauriya at काव्यान्जलि ...
विजयादशमी. विजयादशमी, एक मात्र पर्व नहीं यह एक प्रतीक है -? कई सारी बातों का साहस और सच्चाई का बुराई और अच्छाई का नि:स्वार्थ सहायता मित्रता और वीरता प्रतिभाशाली और दंभ का रावण जैसे स्थभं का अलग-अलग भले-बुरे तत्वों का प्रतीक है अच्छाई, राम की- बुराई, रावण की- सीख लेने की बनाई गई रीत अच्छाई की बुराई पर जीत विजय की खुशी मनाने का प्रतीक, विजयादशमी. *dheerendra,bhadauriya,*

रावण का अंतरद्वंद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा at कुछ अलग सा
*हमारे प्राचीन साधू-संत, ऋषि-मुनि अपने विषयों के प्रकांड विद्वान हुआ करते थे। उनके द्वारा बताए गए उपदेश, कथाएँ, जीवनोपयोगी निर्देश उनके जीवन भर के अनुभवों का सार हुआ करता था जो आज भी प्रासंगिक हैं। उनके कहे पर शक करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा ही है। पर समय के साथ या फिर अपनी क्षुद्र बुद्धि से कुछेक लोगों ने अपने हितों के लिए उनकी हिदायतों को तोड़ मरोड़ लिया हो, ऐसा भी संभव है। रामायण के सन्दर्भ में ही देखें तो करीब पांच हजार साल पहले ऋषि वाल्मीकि जी के द्वारा उल्लेखित रावण में और आज के प्रचारित रावण जमीन-आसमान का फर्क देखने को मिलता है।* आकाश मे अपने पूरे तेज के साथ भगव.more »

जल जायेगा रावण बेचारा -- क्या मन के रावण को मारा !

डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
और एक बार फिर रावण जल जायेगा। बड़ा बेहया है ये वाला रावण। हर वर्ष जलता है , फिर अगले वर्ष पहले से भी बड़ा होकर फिर मूंह उठाकर खड़ा हो जाता है। जलाने वाले भी ऐसे हैं कि थकते ही नहीं। पूरे नौ दिनों तक विविध रूप के कर्मकांड करते हुए दसवें दिन धूम धाम से ज़नाज़ा निकालते हैं और जला कर राख कर खाक में मिला देते हैं . एक बार फिर अन्याय, अधर्म और पाप की हार होती है और न्याय, धर्म और पुण्य की जीत होती है जिसका जश्न भी तुरंत मना लिया जाता है। यह दुनिया भी अजीब है। जब एक देश में दिन होता है , उसी समय किसी दूसरे देश में रात होती है। इसी तरह एक धर्म के पर्व दूसरे धर्मों के लिए कोई विशेष अर्थ नही... more »

‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष: परिचय एवं उपयोगिता’ का एक प्रजेंटेशन और कार्यक्रम

समाज से ज्‍योतिषीय एवं धार्मिक भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्‍य से पेटरवार के वन एवं पर्यावरण विभाग के सभागार में अविभाजित बिहार के वित्‍त राज्‍य मंत्री रह चुके श्री छत्रु राम महतो की अध्‍यक्षता में ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिषीय अनुसंधान केन्‍द्र द्वारा ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष: परिचय एवं उपयोगिता’ का एक प्रजेंटेशन और कार्यक्रम आयोजित किया गया। श्रीमती शालिनी खन्‍ना ने बीस वर्षों में गत्‍यात्‍मक ज्‍योति ष की यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में होने वाले चर्चा के बारे में बताया। गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष के जनक श्री विद्या सागर महथा जी ने जीवनभर चलने वाले अपने ज्‍योतिषीय यात्रा के बारे में बताने के क... more »

हे राम

आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक मंगलकामनाएं । प्रभु राम को नमन .......

या देवी सर्वभूतेषु … …

मनोज कुमार at विचार
*या देवी सर्वभूतेषु … …* ** *या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।*** *नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।*** हे देवी तुम शक्ति रूप हो। जो देवी सब प्राणियों में शक्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है। हम सभी जानते हैं कि कहीं न कहीं कोई शक्ति अवश्य है जो सारे ब्रह्मांड का संचालन करती है। प्रत्येक वर्ष आश्‍विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक हम शारदीय नवरात्र मनाते हैं। यह पर्व है असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की, अत्याचार पर सदाचार की विजय पाने का। एकबार देवताओं के राजा इन्द्र तथा राक्षसों के राजा महिषासुर में वर्षों तक घ... more »

लैपटॉप या टैबलेट - तकनीकी पक्ष

noreply@blogger.com (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम्
जीवन में लैपटॉप की आवश्यकता सबसे पहले तब लगी थी, जब कार्यालय और घर के डेस्कटॉपों पर पेनड्राइव के माध्यम से डाटा स्थानान्तरित करते करते पक गया था। लैपटॉप आने से दोनों डेस्कटॉप मेरे लिये अतिरिक्त हो गये। लैपटॉप की और छोटे होने की चाह बनती ही रही, कारण रहा, उस १५.६ इंच के लैपटॉप को ट्रेन यात्रा और कार यात्रा के समय अधिकतम उपयोग न कर पाने की विवशता। १२ सेल की बैटरी के साथ लगभग ४ किलो का उपकरण सहजता से यात्रा में उपयोगी नहीं हो सकता था। बैठकों में भी १५.६ इंच का लैपटॉप अपने सामने रखना अटपटा सा लगता था, लगता था कि कोई और व्यक्ति सामने आकर बैठ गया हो। अन्ततः वह लैपटॉप दो डेस्कटॉपों के स्था... more »

एक जनसेवक को क्या चाहिए ...

शिवम् मिश्रा at मेरे पसंदीदा अश्आर
*मित्रों , आज **अदम गोंडवी साहब का एक शे'र आप सब की नज़र करता हूँ ... देखिये बिलकुल सादा शब्दों क्या दमदार और गहरी बात कही है उन्होने ...* "एक जनसेवक को दुनिया में 'अदम' क्या चाहिए ... ; चार छ: चमचे रहें, माइक रहे, माला रहे ..." - अदम गोंडवी

" कच्ची रसीद........."

तुम, 'हाँ' नहीं कहते , यह सच है , 'ना' भी नहीं कहते , यह और भी सच है , लबों से बोलकर , पक्की रसीद न दो न सही , आँखों ही आँखों में , कच्ची रसीद ही जारी कर दो | गर हुआ मिलना कभी , दुनिया के किसी मोड़ पर , रसीद दिखा तुम्हें , अपनी चाहत रसीद कर दूँगा | अपनी चाहत वसूल कर लूँगा |

कुछ क्षणिकायें

उपेन्द्र नाथ at सृजन _शिखर
1. लोकतंत्र लोकतंत्र ने पूछा इसबार किसपर लगाओगे मुहर मतदाता मुस्कराता है महँगी होगी जिसकी शराब लोकतंत्र बेचारा फिर हो जाता है उदास ।। 2. असमंजस भगवान बड़े असमंजस में है कि किसकी सुने सौ तोले का सोने का हार भक्त ने आज ही चढ़ाया है कि धंधा खूब फले- फूले भक्त के कसाईखाने में कटने को तैयार गाय की गुहार थी हे भगवन मुझे बचा ले ...।। 3 . दहेज़-हत्या नेताजी का तर्क था जब सारा देश नाच सकता है हमारी उंगुलियों पर तब हमारी बहू भला क्यों नहीं नाची..? 4. पीढ़ी-दर-पीढ़ी तुम्हारे बाप ने जिस जिन्दगी को तलाश किया था दूध की कटोरियों में तुमने उसी जिन्दगी को पाया पेप्सी औ... more »
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 अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!!

10 टिप्पणियाँ:

amit kumar srivastava ने कहा…

जय हो !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

.


मज़ेदार लतीफ़े के साथ अच्छे लिंक्स के लिए आभार !


ஜ▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~विजयदशमी की हार्दिक बधाई~*~♥
ஜ▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बच्चों का रावण दहन !!! जो है,वह पुतला है - जो है वह अन्दर है ...
अन्दर के रावण को खुद जलना आसान नहीं

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

chutkula bahut achchha laga. badhiya blog buletin . aap sabhi ko vijayadashmi ki hardik shubhkamanye.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

लतीफे के साथ सुंदर लिंक्स,,,,मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने के लिये आभार,,,,

विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

रावणमय हो गया है बुलेटिन.. सौरी दशहरामय.. शुभकामनाएँ!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही अच्छे सूत्र पिरोये हैं इस बुलेटिन में।

सदा ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

Manish Khedawat ने कहा…

kya baat hai !!
kuch collection hai :)

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं बुलेटिन में। आभार्।

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