ज़िन्दगी हमेशा एक खूबसूरत मौका देती है , अलग अलग विचारों को एकसूत्र में पिरोती है...
ज़िन्दगी जब मंच दे , ख़ास आवाज़ दे तो उसे अनसुना करना समय को गँवा देना है ! ज़िन्दगी
कभी कहानी कहती है, कभी गुनगुनाती है, कभी समुद्र मंथन से अमृत निकालती है , कभी सूखे
पेड़ों में प्राण फूंक जाती है .... नज़रिए की बात है - खुशियों की इबादत करो तो खुशियाँ मन के
कोने कोने में फैल जाती है , पर इबादत भूल गए तो बेमानी दुःख भी लम्बे खींच जाते हैं !
आइये हम खुशियों के प्रारंभ की इबादत करें ....
रश्मि प्रभा
अरुणा कपूर
हंमेशा दूसरों की खोज खबर लेने में....
लिप्त रहते है हम लोग....
उसने क्या पहना, क्या खाया..
वह कहाँ गया...कब आया...
उसने ये कहा...उसने ये किया....
सब जानकारी रखतें है हमलोग!
वह बहुत अच्छा है....मिलनसार है....
कमाल का व्यक्तित्व है उसका....
हंमेशा मदद करता आया है वह...और
उसकी प्रशंसा के बड़े बड़े पूल....
खुश हो कर बांध देते है हम लोग....
लेकिन भूल जाते है हरदम....
अपने गुणों को जानना....
अपने प्रशंसनीय कार्यों को पहचानना....
अपनी खुद की पीठ थपथपाना....
ऐसा क्यों करते है हम लोग?
उपहार देते है हम दूसरों को....
दूसरे भी देते है हमें....
लेकिन कभी..अपने आप से खुश हो कर...
अपने आप को सुन्दरसा उपहार....
क्यों नहीं देते हम लोग?
कुदरत ने बनाई है सुन्दर चीजें....
उनमें से मैं भी हूँ एक...
मदद मैंने भी की है बहुतोंकी...कईबार...
मैं भी हूँ भला, साफ़ दिल का और नेक...
...पर अपने पर दो मीठे शब्द.....
..कहाँ खर्च करते है हमलोग!
दूसरों की पसंद- नापसंद की चिंता...
दूसरों की सेहत का भारी ख़याल...
दूसरों की दुनिया बसाने का सपना...
दूसरों को खुश रखने की दिली ख्वाहिश..
क्या सिर्फ दूसरों के लिए जी रहे है हमलोग?
अपने लिए भी...कुछ कर गुजरना....
बेशक फर्ज है हमारा....
अपने मन को खुश रखना...
अपनी सेहत का ध्यान रखना...
अपने आप से प्यार करना...कर्तव्य है हमारा!
काश!.. इतनी सी बात अगर समझ सकें हमलोग
शिवनाथ कुमार
आसमान के तारों को
तोड़ जमीं पर लाना है
आगे आगे हम बढ़ें
कुछ ऐसा कर दिखाना है
अंदर बहुत उजाला है
जिसने हमें संभाला है
पथ आलोकित होता अपना
पग जिधर भी हमने डाला है
अंतर्मन का दीप जला
अंधियारा दूर भगाना है
आसमान के तारों को...
बाधाओं से डरकर बोलो
कब हमने हिम्मत हारा है
बाधाओं से लड़कर देखो
जीत का सेहरा बाँधा है
हम इस युग के मीना है
हमें सिकंदर बन जाना है
आसमान के तारों को ...
अपने होठों की हँसी
हमें बहुत ही प्यारी है
इससे यारों देखो अपनी
बड़ी ही गहरी यारी है
हँसते हँसते जिंदगी का
हर इक कदम उठाना है
आसमान के तारों को ...
अंबर पर छा जाने को
नवगीत कोई अब गाने को
लालायित उल्लासित हैं
हम पुंज पुंज प्रकाशित हैं
परिभाषाएँ कई गढ़ ली हमने
अब राह में दीप जलाना है
आसमान के तारों को...
अपर्णा
इक सोन चिरैया आसमान से,
आ बैठी मेरी हथेली पर,
ख़ुशी से पागल मन मेरा,
नाचे उसकी धुन पर।
मन अवाक भी है,
मन प्रसन्न भी,
उस नन्ही चिड़िया के विश्वास पर,
मन उद्वेलित है,और द्रवित भी।
डरता है मन,मेरी चिरैया,
चोट न तुझको आये
विश्वास तेरा बना रहे,
पागल मन ये चाहे।
मिनाक्षी मिश्रा तिवारी
मैंने जब से होश संभाला है,
एक किताब को अपने साथ पाया है,
जो मुझसे बातें करती है,
जो मेरे साथ ही रहती है,
कुछ पन्ने उसके पहले से लिखे हैं,
और कुछ पन्नो को मैंने लिखा है,
न जाने कितने ख्वाब संजोये हैं,
न जाने कितने आंसू रोये हैं,
हर ख़ुशी पे उसको सराहा है,
हर दुःख में साथ उसे ही पाया है,
उस किताब के कुछ पन्ने हैं,
जिनको समेतटी मैं रहती हूँ,
बिखर न जाएँ पन्ने वो,
इस बात से मैं डरती हूँ,
उस किताब का नाम है "जिंदगी" ......
उन् पन्नों का नाम है "रिश्ते" ........
जिन्हें समेटना मेरी आदत बन गयी है,
और इनके बिन न रहना मेरी फितरत बन गयी है.....
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8 टिप्पणियाँ:
खुशियों की इबादत करो तो खुशियाँ मन के कोने कोने में फैल जाती है , पर इबादत भूल गए तो बेमानी दुःख भी लम्बे खींच जाते हैं ! sach hai इस लिए तो कभी-कभी ऐसा होता है जब मौका आता है हम पीठ फेरे होते हैं ......... !!
अच्छे लिंक्स हैं दी...मगर बहुत पुरानी पोस्ट्स है सो पढ़ी हुई हैं...नए पाठकों को आनंद आएगा.
आभार
अनु
आपके सहेजे लिंक्स हैं तो नायाब होंगे ही!!
बहुत बढि़या..अभी लिक्स बहुत ही अच्छे है.. हम बहुत कुछ करते है सिर्फ अपनी पीठ ही नही थपपाते ...चलिए ये काम भी शुरु किया जाए..आभार
जीवन में ज़िन्दगी हमेशा एक खूबसूरत मौका देती है,इंसान को इसे गवांना नही चाहिए,,,,
बेहतरीन लिंक्स,,,,,प्रस्तुति,,,,
हमेशा की भाँती सुन्दर लिंक्स!.....:)))))
अच्छे लगे लिंक्स।
दूसरों को खुश रखने की दिली ख्वाहिश..
क्या सिर्फ दूसरों के लिए जी रहे है हमलोग? ek dam sach
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परिभाषाएँ कई गढ़ ली हमने
अब राह में दीप जलाना है.motivating post
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मन अवाक भी है,
मन प्रसन्न भी,
उस नन्ही चिड़िया के विश्वास पर,
मन उद्वेलित है,और द्रवित भी।too gud
बिखर न जाएँ पन्ने वो,
इस बात से मैं डरती हूँ,
उस किताब का नाम है "जिंदगी" ......
उन् पन्नों का नाम है "रिश्ते" ........
जिन्हें समेटना मेरी आदत बन गयी है,
और इनके बिन न रहना मेरी फितरत बन गयी awesome post
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