प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों..। इन
पंक्तियों को याद कर देश की आजादी के परवाने याद आते हैं। भले ही आजादी को
छह दशक से अधिक हो चुके हैं, किंतु इस आजादी के पीछे अनेकों कुर्बानियां
बलिदान और त्याग की कहानियां छिपी हैं, उन्हीं में से एक दुर्गा भाभी भी
हैं। जिनका योगदान भारत की आजादी में क्रांतिकारियों के साथ शान से याद
किया जाता है।
सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु व चंद्रशेखर आजाद के साथ जंगे आजादी
में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली भाभी को सभी लोग दुर्गा भाभी के नाम से
जानते हैं।
दुर्गा भाभी का जन्म सात अक्टूबर 1902 को शहजादपुर ग्राम में पंडित
बांके बिहारी के यहां हुआ। इनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे और
इनके बाबा महेश प्रसाद भट्ट जालौन जिला में थानेदार के पद पर तैनात थे।
इनके दादा पं. शिवशंकर शहजादपुर में जमींदार थे जिन्होंने बचपन से ही
दुर्गा भाभी के सभी बातों को पूर्ण करते थे।
दस वर्ष की अल्प आयु में ही इनका विवाह लाहौर के भगवती चरण बोहरा के साथ
हो गया। इनके ससुर शिवचरण जी रेलवे में ऊंचे पद पर तैनात थे। अंग्रेज
सरकार ने उन्हें राय साहब का खिताब दिया था। भगवती चरण बोहरा राय साहब का
पुत्र होने के बावजूद अंग्रेजों की दासता से देश को मुक्त कराना चाहते थे।
वे क्रांतिकारी संगठन के प्रचार सचिव थे। वर्ष 1920 में पिता जी की मृत्यु
के पश्चात भगवती चरण वोहरा खुलकर क्रांति में आ गए और उनकी पत्नी दुर्गा
भाभी ने भी पूर्ण रूप से सहयोग किया। सन् 1923 में भगवती चरण वोहरा ने
नेशनल कालेज बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की और दुर्गा भाभी ने प्रभाकर की
डिग्री हासिल की। दुर्गा भाभी का मायका व ससुराल दोनों पक्ष संपन्न था।
ससुर शिवचरण जी ने दुर्गा भाभी को 40 हजार व पिता बांके बिहारी ने पांच
हजार रुपये संकट के दिनों में काम आने के लिए दिए थे लेकिन इस दंपती ने इन
पैसों का उपयोग क्रांतिकारियों के साथ मिलकर देश को आजाद कराने में उपयोग
किया। मार्च 1926 में भगवती चरण वोहरा व भगत सिंह ने संयुक्त रूप से नौजवान
भारत सभा का प्रारूप तैयार किया और रामचंद्र कपूर के साथ मिलकर इसकी
स्थापना की। सैकड़ों नौजवानों ने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों का
बलिदान वेदी पर चढ़ाने की शपथ ली। भगत सिंह व भगवती चरण वोहरा सहित
सदस्यों ने अपने रक्त से प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर किए। 28 मई 1930 को
रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम बनाने के बाद परीक्षण करते समय वोहरा
जी शहीद हो गए। उनके शहीद होने के बावजूद दुर्गा भाभी साथी क्रांतिकारियों
के साथ सक्रिय रहीं।
9 अक्टूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी जिसमें
गवर्नर हैली तो बच गया लेकिन सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया। मुंबई के
पुलिस कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी जिसके परिणाम स्वरूप
अंग्रेज पुलिस इनके पीछे पड़ गई। मुंबई के एक फ्लैट से दुर्गा भाभी व साथी
यशपाल को गिरफ्तार कर लिया गया। दुर्गा भाभी का काम साथी क्रांतिकारियों के
लिए राजस्थान से पिस्तौल लाना व ले जाना था। चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों
से लड़ते वक्त जिस पिस्तौल से खुद को गोली मारी थी उसे दुर्गा भाभी ने ही
लाकर उनको दी थी। उस समय भी दुर्गा भाभी उनके साथ ही थीं। उन्होंने पिस्तौल
चलाने की ट्रेनिंग लाहौर व कानपुर में ली थी।
भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त जब केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने जाने लगे
तो दुर्गा भाभी व सुशीला मोहन ने अपनी बांहें काट कर अपने रक्त से दोनों
लोगों को तिलक लगाकर विदा किया था। असेंबली में बम फेंकने के बाद इन लोगों
को गिरफ्तार कर लिया गया तथा फांसी दे दी गई।
साथी क्रांतिकारियों के शहीद हो जाने के बाद दुर्गा भाभी एकदम अकेली पड़
गई। वह अपने पांच वर्षीय पुत्र शचींद्र को शिक्षा दिलाने की व्यवस्था करने
के उद्देश्य से वह साहस कर दिल्ली चली गई। जहां पर पुलिस उन्हें बराबर
परेशान करती रहीं। दुर्गा भाभी उसके बाद दिल्ली से लाहौर चली गई, जहां पर
पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और तीन वर्ष तक नजरबंद रखा। फरारी,
गिरफ्तारी व रिहाई का यह सिलसिला 1931 से 1935 तक चलता रहा। अंत में लाहौर
से जिलाबदर किए जाने के बाद 1935 में गाजियाबाद में प्यारेलाल कन्या
विद्यालय में अध्यापिका की नौकरी करने लगी और कुछ समय बाद पुन: दिल्ली चली
गई और कांग्रेस में काम करने लगीं। कांग्रेस का जीवन रास न आने के कारण
उन्होंने 1937 में छोड़ दिया। 1939 में इन्होंने मद्रास जाकर मारिया
मांटेसरी से मांटेसरी पद्धति का प्रशिक्षण लिया तथा 1940 में लखनऊ में कैंट
रोड के (नजीराबाद) एक निजी मकान में सिर्फ पांच बच्चों के साथ मांटेसरी
विद्यालय खोला। आज भी यह विद्यालय लखनऊ में मांटेसरी इंटर कालेज के नाम से
जाना जाता है। 14 अक्टूबर 1999 को गाजियाबाद में उन्होंने सबसे नाता तोड़ते
हुए इस दुनिया से अलविदा कर लिया।
मृत्यु के बाद भी नहीं मिल सका राजकीय सम्मान
देश का दुर्भाग्य है कि उनकी मृत्यु के समय चंद लोग ही एकत्रित हो पाए,
जिसमें सिर्फ चंद समाज सेवी और साहित्यकार और पत्रकार ही थे। अंतिम यात्रा
में शामिल लोगों के प्रयास के बावजूद भी उनको राष्ट्रीय सम्मान नहीं मिल
पाया।
अंतिम छह वर्षो में उनसे बार-बार चर्चा करने वाले पत्रकार कुलदीप के
अनुसार वह आज की राजनीति से दूर रहना चाहती थीं। और देश की वर्तमान स्थिति
पर चिंतन कर दुखी भी होती थीं। उनका मानना था कि देश की आजादी में जिन
लोगों ने जो सपने देखे थे, वह शायद अभी धुंधले हैं। कुलदीप बताते हैं कि
उनके नाम पर राजनगर में नगर निगम ने पार्क तो बना दिया है, किंतु उनकी
प्रतिमा लगाने का आश्वासन 13 वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका।
आज दुर्गा भाभी की ११० वीं जयंती पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और ब्लॉग जगत की ओर से उनको शत शत नमन !
सादर आपका
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वो बच्चा...
कुछ दिन पहले जब मै मंदिर से होके आ रहा था तब रास्ते में मुझे एक करीब 7-8 साल का बच्चा मिला |देखकर और कहने को तो वो एक बच्चा ही था पर इतनी सी उम्र में उसकी समझ और बात करने का सलीका... बस मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया |अपने खुद के,सच्चे शब्दों के जरिए उसने अपनी कुछ दिनों की जिंदगी को मेरे सामने रखा...और मै जानकर बस स्तब्ध हों गया था...उसकी मासूमियत से...उसकी सच्चाई से...उसकी चहरे की मुस्कान से...उसके अपनों के प्रति प्यार से...स्तब्ध हों गया गया था,देखकर कि...उसकी जिंदगी ने जिस राह को पकड़ी है वह उसे कहाँ लेकर जाएगी? "बच्चे देश के भविष्य होते हैं" पर ऐसा भविष्य किसे चाहिए??? और ना जाने कि... more »
ताऊजी और भतीजी
*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी **तस्वीर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो **तस्वीर में... * *आज की तस्वीर में हैं- सलिल वर्मा जी, अपने सबसे छोटे भाई विश्वप्रिय वर्मा(राज) जी की बेटी, अपनी भतीजी, अनुभूति प्रिया (टिनी) के साथ * *और इनका ब्लॉग है -चला बिहारी ब्लॉगर बनने*
कार्टून :- शुतुरमुर्गौं का समूहगान
पुरानी के बावजूद क्यों खुश है नेता जी ?
जब से एक बड़े मंत्री जी का बयान आया कि –“मजा नई जीत और नई शादी में ही है”, तब से हमारे शहर के सबसे पुरानी पार्टी के नेता जी असमंजस में है| और हो भी क्यों नहीं ? एक तो पार्टी इतनी पुरानी और ऊपर से सत्ताधारी नेताओं और मंत्रियों ने एक से बढ़कर एक घोटाले करके बेचारी पार्टी को इतना बदनाम कर दिया कि अगले चुनावों में नेता जी को जीतना भी बहुत मुश्किल लग रहा है| बढ़ी महंगाई के चलते देश में उनकी पुरानी पार्टी के खिलाफ असंतोष भी बहुत बढ़ा हुआ है| और ऊपर से अन्ना, बाबा और केजरीवाल सरीखे लोग आग में घी डालने में लगे है| इसलिए इन सब बातों से बेचारे नेताजी वैसे भी दुखी थे और जब से मंत्रीजी का more »
बुरे हाल में कांग्रेसी!
अथक क्रांतिकारी व संगठनकर्ता शचीन्द्र नाथ सान्याल
अथक क्रांतिकारी व महान संगठनकर्ता शचीन्द्र नाथ सान्याल राष्ट्रीय व क्रांतिकारी आंदोलनों के सक्रिय भागीदार होने के साथ ही क्रान्तिकारियो के कई पीढ़ी के प्रतिनिधि भी थे द्य इसके साथ ही वे गदर पार्टी और अनुशीलन संगठन के दूसरे स्वतंत्रता संघर्ष के प्रयासों के महान कार्यकर्ता और संगठनकर्ता तथा वे अपने बाद के दौर के क्रान्तिकारियो के पथ प्रदर्शक भी थे द्य याद रखना होगा कि 1923 में उनके खड़े किए गये हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन को ही भगत सिंह एवं साथियो ने हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ के रूप में विकसित किया द्य जीवन में दो बार काले पानी कि सजा पाए शचीन्द्र नाथ हिन्दुस्तान रिपब्...
पल पल बदलता आसमां (एक हवाई यात्रा )
* १५ मिनट में आसमां का बदलता रंग ...पल पल मेरे कैमरे में कैद कुछ पल * *नीचे उतरते वक्त , ऊँचाई से दिखता दिल्ली का नज़ारा * *पल पल बदलता आसमां का रंग * * लैंडिंग के वक्त खुलते पंख * *एक और धुंधला नज़ारा * *अलगे ही पल-पल और नीचे ...और नीचे * *रनवे पर उतरते समय * *पूरी तरह से रुकने के बाद * *सभी फोटो मोबाईल से लिए गए हैं ......अंजु (अनु)*
माँ, तुम्हे अपना भी तो कुछ, ख़याल रखना चाहिए - सतीश सक्सेना
*नीचे लिखा पत्र ,डॉ गीता कदायप्रथ ( कैंसर कंसल्टेंट ) का है, जिसमें उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर के खतरे के लिए , महिलाओं को जागरूक करने हेतु , एक रचना का अनुरोध किया है ! डॉ गीता, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत , दिल्ली में, कैंसर सर्जन के रूप में कार्यरत हैं ! * *Dear Mr Saxena,* *It was really good talking to you and am glad you are also enthusiastic about writing a few lines for creating breast cancer awareness.* Dr Geeta Kadayaprath 9810169286 ***1. Breast cancer is on the rise, and actually can be defeated just by early detection / screening.2. Health consciousness in terms of lifestyle: t... more »
बच्चों की संस्कृति
अपनी संस्कृति पर गर्व होना स्वाभाविक है, पर सारा जीवन अपनी संस्कृति के एकान्त में नहीं जिया जा सकता है, अन्य संस्कृतियाँ प्रभावित करती हैं। पहले का समय था, संस्कृतियों के बीच का संवाद सीमित था, परस्पर प्रभाव सीमित था, जो बाहर जाते थे वे ही बाहर की संस्कृति के कुछ अंश ले आते थे, पर दूसरी संस्कृति में जीवन निभा पाने के समुचित श्रम के पश्चात। आज न जाने कितनी फुहारें बरसती हैं, बड़ा ही कठिन होता है, भीग न पाना। हर संस्कृति की एक जीवनशैली है, अपने सिद्धान्त हैं और उसमें पगी दिनचर्या। औरों की संस्कृति पहले तो रोचक लगती है, पर धीरे धीरे रोचकता हृदय बसने लगती है, हम औरों की संस्कृति के पक्... more »
कालिख तो पुत ही गई सोनिया जी !
Reply to: कांग्रेस अध्यक्ष खुद या उनकी टीम कितनी भी सफाई दे दे, लेकिन उनके दामाद राबर्ट वाड्रा पर जो गंभीर आरोप लगे हैं, उससे चहरे पर कालिख तो पुत ही गई है। अब इसे कितना भी साफ कर लिया जाए, लेकिन इसका धब्बा आसानी से छूटने वाला नहीं है। अच्छा आज बुरी खबर सिर्फ कांग्रेस के लिए नहीं थी, बीजेपी के अध्यक्ष पर भी गंभीर आरोप लगे। सुबह न्यूज चैनलों पर बेचारे नीतिन गडकरी एक सिफारिसी पत्र को लेकर सफाई देते नजर आए, लेकिन शाम होते-होते सोनिया गांधी को भी अपने दामाद राबर्ट वाड्रा के बचाव में बयान जारी करना पड़ा। यूं कहें कि आज का दिन दोनों ही बड़ी पार्टियों के लिए ठीक नहीं था, तो गलत नहीं होग... more »
पॉलीथीन और झुर्रियाँ
‘भारतीय रिजर्व बैंक’ का जारी किया हुआ सब नोट पर लिखा रहता है कि *“**मैं धारक को .....रुपये अदा करने का वचन देता हूँ. दस्तखत – गवर्नर – भारतीय रिजर्व बैंक.**”* जब छोटा थे त सोचते थे कि ई लिखने का का जरूरत है. अऊर ई बात सोचकर हंसी भी आता था कि दस रुपया का नोट के बदला में दस रुपया देने का वचन काहे दे रहे हैं. ई त जानले बात है कि दस रुपया के बदला में दस रुपया मिलेगा अऊर सौ रुपया के बदला में सौ रुपया, इसमें वचन देने वाला कौन बात हो गया! जब बड़ा हुए, तब जाकर समझ में आया कि इसके पीछे का कारन है. असल में एक रुपया भारत सरकार का करेंसी होता है अऊर उसके ऊपर का सब नोट, भारत सरकार के गारण्टी प... more »
मिस्टिरीअस अक्टूबर -१-
*बस कुछ ही दिनों में त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है..आज की सुबह फिज़ा में बिलकुल वही ताजगी महसूस हुई जो अमूमन अक्टूबर के महीने में महसूस होनी चाहिए.अक्टूबर महिना आते ही मौसम अचानक करवट लेने लगता है..गर्मी और धुप की चुभन कम होने लगती है, रात में ठंडी हवा चलने लगती है और धुप की खुशबु में ये एहसास होता है की बस कुछ ही और दिनों में सर्दियाँ शुरू हो जायेंगी.* * **जिस तरह से दिसंबर उसके लिए एक खूबसूरत महिना था ठीक उसी तरह अक्टूबर उसके लिए एक महत्वपूर्ण महिना रहा है.जहाँ एक तरफ उसकी कई अच्छी स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं इस महीने से, तो दूसरी तरफ उसके ज़िन्दगी के सबसे बुरे वक़्त की शुरुआत भी... more »
फ्रंट फूट पर बीजेपी
बिहार में बीजेपी और जदयू गठबंधन की गांठ ढिली होने लगी है । इस बार चोट भारतीय जनता पार्टी ने मारी है । पिछले सात बरस में पहली बार भारतीय जनता पार्टी फ्रंट फूट पर खेल रही है और जनता दल यूनाइटेड के नेता ऑफेंसिव हैं । पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के संकेत दिए तो उसके ठीक बाद बीजेपी के एक सांसद ने राज्य सरकार के कामकाज पर ही सवाल उठा दिया । और अब नरेन्द्र मोदी को पटना बुलाने की तैयारी है । याद कीजिए, जब नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी की तस्वीर प्रचार के तौर पर अखबार के आखिरी पन्ने पर छपी थी, तो नीतीश कुमार ने भोज स्थगित कर दिया था । जदयू के नेता गठबंधन तोड़ने ... more »
बोस के हेडफोन्स...न ना...मेरे हेडफोन्स :) :)
बारिशें आजकल मूडी हो गयी हैं बैंगलोर में...मेरा असर पड़ा है मौसम पर लगता है. आज सुबह सूरज गायब है...कोहरे कोहरे वाली दिल्ली सा मौसम लग रहा है. ठंढ बिलकुल वैसी ही है...खिड़की खुली है और हलकी हवा चल रही है. जाड़ों के आने की पहली आहट है. लिखने-पढ़ने के बाद जो चीज़ मुझे सबसे अच्छी लगती है वो है म्यूजिक...कुछ अच्छा सुनना...अपनी पसंद का. कुछ दिन पहले कुणाल ने मेरे लिए बोस के हेडफोन खरीद दिए. अभी से कोई तीन साल पहले नए हेडफोन्स खरीदने का मन हुआ था तो ऐसे ही बोस के शोरूम चले गए थे हम...सोचा था कितना महंगा होगा...पाँच हज़ार टाइप भी होगा तो खरीद लेंगे. जब बात संगीत की आती है तो बोस सबसे अच्... more »
दुर्गा भाभी की ११० वीं जयंती पर विशेष
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों..। इन पंक्तियों को याद कर देश की आजादी के परवाने याद आते हैं। भले ही आजादी को छह दशक से अधिक हो चुके हैं, किंतु इस आजादी के पीछे अनेकों कुर्बानियां बलिदान और त्याग की कहानियां छिपी हैं, उन्हीं में से एक दुर्गा भाभी भी हैं। जिनका योगदान भारत की आजादी में क्रांतिकारियों के साथ शान से याद किया जाता है। सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु व चंद्रशेखर आजाद के साथ जंगे आजादी में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली भाभी को सभी लोग दुर्गा भाभी के नाम से जानते हैं। दुर्गा भाभी का जन्म सात अक्टूबर 1902 को शहजादपुर ग्राम में पंडित बांके बिहारी के यहां हुआ। इनके पिता इलाहाबाद ... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!
10 टिप्पणियाँ:
सुन्दर सूत्रों से सजा बुलेटिन..
बहुत अच्छा लगा दुर्गा भाभी से मिलना.. एक वीरांगना जिनका स्थान हमारे स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास में सदा अमर रहेगा.. और भाभियाँ न तो कभी बूढ़ी होती हैं, न कभी पुरानी.. दुर्गा भाभी.. यू आर ग्रेट!!
बुलेटिन का पहला लेख दुर्गा भाभी काफी प्रभावी है। मुझे ये जानकर काफी अफसोस है कि उन्हे राजकीय सम्मान नहीं मिला।
बुलेटिन में मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया
इतने लोगों की ज़ुबान पर दुर्गा भाभी,इतने सिर श्रद्धा से नत - इससे बड़ा पुरस्कार कुछ नहीं
दुर्गा भाभी एक मिसाल हैं अनुकरण की
दुर्गा भाभी से मिलना बहुत अच्छा लगा..दुर्गा भाभी की ११० वीं जयंती
पर उन्हें शत शत नमन...अच्छे सूत्र मिले..आभार
Thanks Bhaiya!!
देश के प्रति उनकी कुर्बानियों के लिए शत-शत नमन...|
दुर्गा भाभी के बारे में और करीब से जानने का मौका मिला...आभार |
मुझे इस बुलेटिन का हिस्सा बनाने के लिए शुक्रिया |
सादर नमन |
बुलेटिन बिलकुल बुलेटिन की तरह ...शुक्रिया शिवम ..
nice
आप सब का बहुत बहुत आभार !
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!