माँ यानि प्रकृति
प्रकृति का छोटा रूप
हमारे घर का बागीचा
जहाँ फूल,पौधे,फलों के वृक्ष लगे हैं
उन फूलों को कोई तोड़ता है
तो हमें दुःख होता है
पानी देना हो उनमें
और नल में पानी न हो
तो हम परेशान हो जाते हैं -
सारे काम रुक जाते हैं
परिश्रम से किसी नदी के पास
या कुएं के निकट जाएँ
और गन्दा पानी देखें तो बौखलाहट होती है !!!!....
इस बौखलाहट को विस्तृत कीजिये
प्रकृति की स्वाभाविकता से जो छेड़छाड़ करते हैं
उन पर गरजीय बरसीय
नदी,कुओं को गन्दा करने से रोकिये
पूजा कीजिये
विशाल मूर्तियाँ बनाकर उन्हें पानी में मत डालिए
छोटी सी मूर्ति में
काल्पनिक मूर्ति में प्राणप्रतिष्ठा करें
आँखें बंदकर संकल्प करें ...
नृत्य देखने न देव आते हैं न माँ
व्यर्थ के शोर शराबों से
बीमारों को
विद्यार्थियों को परेशान न करें
रास्ते जाम न करें ....
सोचिये किसी को अस्पताल जाना होगा
..... गौर कीजिये
कहीं पूजा के व्यर्थ दिखावे में
आप किसी की हत्या तो नहीं कर रहे ??????
मासूम की मुठ्ठियों में? जो वहीँ मिट्टी से सना, बालू के ढेर से खेलने में मगन था ...
हे दुर्गा !
कभी उनका भी करो मर्दन
फाड़ दो छाती जो चौड़ी है दंभ से
पी रहे दिन-रात लहू हम सभी का
बनकर रक्तबीज
जो बढ़ रहे हर रोज़
क्या तुम भी इन्हें देखकर सहम गई हो ?...
कर्ता कर्म और फल
सब तुम्हारा ही रूप होता है
देखो ये शब्दों की उलझन में ना उलझाओ
मुझे अपने शब्द जाल में ना फंसाओ ...
एक वही न दूजा कोई
ईश्वर का नाम भक्त के हृदय को पवित्र करता है, उसे नाम जपने में कभी आलस्य नहीं होता.
अच्छा लगता है और एक वक्त ऐसा भी आता है जब नाम सुमिरन के अतिरिक्त बात करना
भी बोझ मालूम पड़ता है. सचमुच अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले निराले होते हैं...
पूजो एलो, चोलो मेला,
हेटे-हेटे जाई,
नतून जामा,नतून कापोड़,
नतून जूतो चाई.
बाबा एनो रोशोगोला,
मिष्टी दोईर हांड़ी,
माँ गो तुमि
शेजे-गूजे,
पोड़ो ढ़ाकाई शाड़ी...
9 टिप्पणियाँ:
कर्ता कर्म और फल
सब तुम्हारा ही रूप होता है
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
सादर
बौखलाहट तो है.....चिल्लाने का कोई फायदा नहीं...
अपने हाथ से,अपने घर से आगे लगाए पौधों को सुबह सुबह भक्तनें नोच ले जातीं हैं....और हमें ही नास्तिक की उपमा ने नवाजती हैं...
सभी लिक्स सुन्दर हैं दी
आभार
अनु
bahut hi behtareen links ..........
बेचैन आत्मा यहाँ भी!..धन्यवाद।
पूजा के नाम पर समाज में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो अशोभनीय है, पूजा तो भक्त और भगवान के आपस की बात है जो मौन में घटती है..
आजकल न जाने क्यूँ ब्लॉग की ओर आने का मन ही नहीं होता इस लिए बिलकुल भी नियमित नहीं रह पा रहा हूँ ... :(
पर बहुत जल्द सब मसले हल कर आता हूँ !
आभार रश्मि दी......मेरी प्रार्थना सबकी बनाने के लिए ।
भक्ति भाव से परिपूर्ण लिंक्स
सुन्दर स्वर प्रार्थना के।
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