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मंगलवार, 28 मई 2019

नमन आज़ादी के दीवाने वीर सावरकर को : ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
अंग्रेज़ी सत्ता के विरुद्ध भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के भगूर गाँव में हुआ था. वे बीसवीं शताब्दी के सबसे बड़े हिन्दूवादी थे. उन्हें हिन्दू शब्द से बेहद लगाव था. वे कहते थे कि उन्हें स्वातन्त्रय वीर की जगह हिन्दू संगठक कहा जाए. उन्होंने जीवन भर हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान के लिए कार्य किया. उनको अखिल भारत हिन्दू महासभा का छह बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.
उन्हें आजीवन काला पानी की दोहरी सज़ा मिली थी. वे सन 1911 से सन 1921 तक अंडमान की सेल्यूलर जेल में रहे. सन 1921 में स्वदेश लौटने के बाद उन्हें फिर कला पानी की सजा सुनाई गई. सन 1937 में उन्हें मुक्त कर दिया गया था. उन्होंने सन 1947 में भारत विभाजन का विरोध किया. बाद में सन 1948 में महात्मा गांधी की हत्या में उनका हाथ होने का संदेह किया गया. अपने देशप्रेम के ज़ज्बे के चलते वे किसी आरोप से घबराये नहीं और कालांतर में अदालत ने उन्हें तमाम आरोपों से बरी किया. 

उनकी मृत्यु 26 फ़रवरी 1966 में मुम्बई में हुई. उनके निधन पर तत्कालीन भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया. उनके ही सम्मान में पोर्ट ब्लेयर के हवाई अड्डे का नाम वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया.


आइये इसके साथ-साथ वीर सावरकर के बारे में कुछ तथ्य जान लें, शायद आपको भी जानकारी हो.

> वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लंदन में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था.
> वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा देकर विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी.
> वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों और अंग्रेजी साम्राज्य के प्रति शपथ ने लेने के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोई.
> वे पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की.
> वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का स्वाधीनता संग्राम बताया और लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास लिखा.
> वे दुनिया के एकमात्र लेखक हैं जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था.
> वे दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था.
> वे पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिन्होंने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था.
> उन्होंने ही पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था.
> वे एकमात्र व्यक्ति रहे जिन्हें दो बार कालापानी की सजा हुई.
> वे पहले कवि थे, जिन्होंने काग़ज़-कलम के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं. कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षों स्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वे देशवासियों तक नहीं पहुँची.
> वे प्रथम क्रान्तिकारी थे, जिन पर स्वतंत्र भारत की सरकार ने झूठा मुकदमा चलाया और बाद में निर्दोष साबित होने पर माफी मांगी.


वीर सावरकर को उनकी जन्म जयंती पर सादर नमन करते हुए आज की बुलेटिन प्रस्तुत है.

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5 टिप्पणियाँ:

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

Digvijay Agrawal ने कहा…

नमन महानात्मा सावरकर जी को...
आज ही हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारत विभाजन में सावरकर जी ने पहल की थी...
तरस आता है उनकी बौनी अकल पर..
बढ़िया बुलेटिन..
सादर..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

वीर सावरकर जी को हम सब का शत शत नमन !!

Asha Lata Saxena ने कहा…

वीर सावरकर जी को सादर नमन |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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