प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
एक प्रिंसिपल को उसके स्कूल की कुछ लड़कियों ने परेशान कर रखा था!
वे लड़कियां अपने होटों पर लिपस्टिक लगाती थी और बाथरूम में जाकर वहां लगे शीशे पर अपने होटों के निशान छोड़ देती!
उसे ये पता ही नहीं चलता था कि ऎसी हरकत कौन सी लड़कियां करती है एक दिन उसने सभी लड़कियों को इकट्ठे होने को कहा और उन्हें सीधी चेतावनी दे दी की! अगर दोपहर तक वे लड़कियां जो बाथरूम के शीशे पर लिपस्टिक के दाग लगाती हैं प्रिंसिपल के ऑफिस में आकर स्वीकार कर ले की ये हरकत उनकी है तो मैं सभी लड़कियों को स्कूल से निकाल दूंगा! डर के मारे वे लड़कियां इकट्ठी हो कर प्रिंसिपल के ऑफिस में पहुँच गयी, वहां प्रिंसिपल और स्कूल की सफाई करने वाले उनका इन्तजार कर रहे थे!
प्रिंसिपल ने गुस्से होते हुए कहा तुम जानती हो सफाई करने वालों के लिए रोज शीशे को साफ़ करना एक समस्या बन गई थी, तुम को तो पता भी नहीं कि इन लोगों को ये 'वैक्सी लिपस्टिक' मिटाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है
आओ, तुम्हें बाथरूम में चलकर दिखाते हैं चलो एक एक कर के पहले वहां अपने होटों के निशान लगाओ सभी लड़कियां चुपचाप गई और वापिस आ गयी!
वे लड़कियां अपने होटों पर लिपस्टिक लगाती थी और बाथरूम में जाकर वहां लगे शीशे पर अपने होटों के निशान छोड़ देती!
उसे ये पता ही नहीं चलता था कि ऎसी हरकत कौन सी लड़कियां करती है एक दिन उसने सभी लड़कियों को इकट्ठे होने को कहा और उन्हें सीधी चेतावनी दे दी की! अगर दोपहर तक वे लड़कियां जो बाथरूम के शीशे पर लिपस्टिक के दाग लगाती हैं प्रिंसिपल के ऑफिस में आकर स्वीकार कर ले की ये हरकत उनकी है तो मैं सभी लड़कियों को स्कूल से निकाल दूंगा! डर के मारे वे लड़कियां इकट्ठी हो कर प्रिंसिपल के ऑफिस में पहुँच गयी, वहां प्रिंसिपल और स्कूल की सफाई करने वाले उनका इन्तजार कर रहे थे!
प्रिंसिपल ने गुस्से होते हुए कहा तुम जानती हो सफाई करने वालों के लिए रोज शीशे को साफ़ करना एक समस्या बन गई थी, तुम को तो पता भी नहीं कि इन लोगों को ये 'वैक्सी लिपस्टिक' मिटाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है
प्रिंसिपल ने सफाई वाले को इशारा किया कि साफ़ करे, सफाई वाले ने एक ब्रुश उठाया और उसे टॉयलेट में डुबोया और उससे शीशा साफ़ करने लगा!
वह उस स्कूल में लड़कियों की शरारत का आखिरी दिन था उसके बाद शीशे पर कभी भी लिपस्टिक के दाग नहीं दिखे!
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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मैं तुम्हे प्यार करती हूँ
नीम कड़वी ज़िन्दगी- 2
स्पर्श
#सूरत_अग्निकांड
धीर धरो हरदम रचनाओं
मैं हूँ बड़ा रुपैया भैया
आओ ,,मिलकर वृक्ष लगाएं...
क्यों बदले हम
अपनी जान जोखिम में डाल कर डाला वोट
काकी माँ..
तपती गरमी जेठ मास में ------
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
7 टिप्पणियाँ:
जी बहुत बहुत आभार आपका, मेरी इस रचना को अपने प्रतिष्ठित ब्लॉग पर स्थान देने के लिये।
हे भगवान! लड़कियों को ऐसी सजा 😁
पढ़ती हूँ सभी लिंक धीरे-धीरे.
बहुत ही सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति 👌
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर
बहुत सुंदर लिंक्स। मेरी रचना को 'ब्लॉग बुलेटिन' में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शिवम जी।
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति शिवम जी । मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
हाहाहा.... बेचारी लड़कियाँ
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