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गुरुवार, 16 मई 2019

मुफ़्त का धनिया - काबिल इंसान - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज का ज्ञान:

आप चाहे कितने ही काबिल बन जाओ लेकिन अगर सब्जी वाले से धनिया मुफ्त नहीं ला सकते तो घर वालों की नज़र में आपसे ज्यादा नाकाबिल इंसान कोई नहीं है।

सादर आपका
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पञ्चचामर छन्द

मुकम्मल अधूरेपन की एक अतृप्त सच्ची झूठी गाथा।

हे सुंदरी! तुम कौन हो?

फर्क नहीं पड़ता।

भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद...

पैशन और पढ़ाई

बच्चे भी काम पर जाते है

मेरा कोना भीग रहा है

ध्रुव त्यागी की हत्या पर इतना सन्नाटा क्यों है भाई?

ख़ता है अपनी या....

ये कानपुर है मेरी जान...

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अब एक ख़ास लिंक, 
यहाँ आप रश्मि प्रभा जी की कविताओं और कहानियों को पढ़ सकते हैं ... सुन भी सकते हैं...

स्टोरी मिरर पर रश्मि प्रभा

~~~~~~~~~~~~~~~~~

अब आज्ञा दीजिए ... 

जय हिन्द !!!

7 टिप्पणियाँ:

ब्रजकिशोर सिंह ने कहा…

धन्यवाद् सरजी.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

:)

Anuradha chauhan ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति

Amit Mishra 'मौन' ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार|

Meena sharma ने कहा…

सुंदर बुलेटिन। सादर आभार।

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