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बुधवार, 5 सितंबर 2018

शिक्षक दिवस और ब्लॉग बुलेटिन

सभी हिंदी ब्लॉगर्स को नमस्कार।
Teacher's-Day.jpg
शिक्षक दिवस (अंग्रेज़ी: Teachers' Day) गुरु की महत्ता बताने वाला प्रमुख दिवस है। भारत में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। शिक्षक का समाज में आदरणीय व सम्माननीय स्थान होता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस और उनकी स्मृति के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला 'शिक्षक दिवस' एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया है। विश्व के विभिन्न देश अलग-अलग तारीख़ों में 'शिक्षक दिवस' को मानते हैं। बहुत सारे कवियों, गद्यकारों ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।

गुरु, शिक्षक, आचार्य, अध्यापक या टीचर ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को व्याख्यातित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है। इन्हीं शिक्षकों को मान-सम्मान, आदर तथा धन्यवाद देने के लिए एक दिन निर्धारित है, जो की 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में जाना जाता है। सिर्फ़ धन को देकर ही शिक्षा हासिल नहीं होती, बल्कि अपने गुरु के प्रति आदर, सम्मान और विश्वास, ज्ञानार्जन में बहुत सहायक होता है। 'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है, लेकिन क्या हम इसके महत्त्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन अपने शिक्षक को भेंट में दिया गया एक गुलाब का फूल या ‍कोई भी उपहार नहीं है और यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका भी नहीं है। यदि शिक्षक दिवस का सही महत्त्व समझना है तो सर्वप्रथम हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि आप एक छात्र हैं और ‍उम्र में अपने शिक्षक से काफ़ी छोटे है। और फिर हमारे संस्कार भी तो यही सिखाते है कि हमें अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। अपने गुरु का आदर-सत्कार करना चाहिए। हमें अपने गुरु की बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए। अगर अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएं तो निश्‍चित ही हमारा व्यवहार हमें बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा और तभी हमारा 'शिक्षक दिवस' मनाने का महत्त्व भी सार्थक होगा।


भगवान का धन, भगवान के बंदों के लिए ही उपलब्ध नहीं हो पा रहा

मेरे बचपन की पुस्तकें-पत्रिकाएं, जो आज भी मुझे संजोए हुए हैं

देखना बस इतना है कि क्या क्या ऊबर होगा?

हमें शिकायत है :

रुपये की लीला...

ये गोवर्धन मेड जुगाड़ गाड़ी- बाइक बनी तिपहिया

बगिया या जंगल

अरे गुरुजी का वह डंडा ! ------ रमापति शुक्ल

सड़कों पर जाम

प्यार एक शब्द या स्थिति नहीं

दुनिया के सवालों का जवाब न आया

दोस्ती

लिखना जरूरी हो जा रहा होता है जब किसी के गुड़ रह जाने और किसी के शक्कर हो जाने का जमाना याद आ रहा होता है


आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।

8 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

नमन गुरुवों को नमन गुरुवों के शिष्यों को शुभकामनाएं शिक्षक दिवस की। आभार हर्षवर्धन को 'उलूक' के गुरु चेलों को आज की बुलेटिन में स्थान देने के लिये।

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन बुलेटिन प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुन्दर संकलन।
duibaat.blogspot.com

Anita ने कहा…

हमें अपने गुरु की बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए। अगर अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएं तो निश्‍चित ही हमारा व्यवहार हमें बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा और तभी हमारा 'शिक्षक दिवस' मनाने का महत्त्व भी सार्थक होगा।
सुंदर विचार सरणी, शिक्षक दिवस की शुभकामनाओं के साथ आभार !

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

Sadhana Vaid ने कहा…

सभी सूत्र सारगर्भित एवं पठनीय ! मेरी रचना को आज के बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार हर्षवर्धन जी !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

शिक्षक दिवस पर मैं अपने सभी शिक्षकों का पुण्य स्मरण करते हुए नमन करता हूँ |

भगवान् उन सब को दीर्घजीवी बनाये ... ताकि वह सब ज्ञान का प्रकाश दूर दूर तक पंहुचा सकें |

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

बेहतरीन बुलेटिन
धन्यवाद

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